Notice: Function _load_textdomain_just_in_time was called incorrectly. Translation loading for the wordpress-seo domain was triggered too early. This is usually an indicator for some code in the plugin or theme running too early. Translations should be loaded at the init action or later. Please see Debugging in WordPress for more information. (This message was added in version 6.7.0.) in /home/u709339482/domains/mobilenews24.com/public_html/wp-includes/functions.php on line 6114
अच्छे पोषण से दिमागी बुखार को मात - Mobile News 24 ✓ Hindi men Aaj ka mukhya samachar, taza khabren, news Headline in hindi.
news

अच्छे पोषण से दिमागी बुखार को मात

  • बेहतर पोषण दिमागी बुखार से बचाव में सहायक
  • दिमागी बुखार से बचाव के लिए दोनों टीके जरूरी

लखीसराय, 18 फरवरी-

पूरी तरह से स्वस्थ बच्चा बीमारियों से लड़ने में सक्षम होता है। कुपोषण सिर्फ शरीर को कमजोर ही नहीं करता बल्कि अन्य बीमारियों से होने वाले प्रभावों में भी वृद्धि करता है| बच्चों में होने वाले दिमागी बुखार ऐसे तो मच्छर द्वारा काटने से होता है लेकिन कुपोषित बच्चों में होने वाले दिमागी बुखार एक स्वस्थ बच्चे में होने वाले दिमागी बुखार की तुलना में अधिक गंभीर एवं जानलेवा साबित हो सकता है|
बेहतर पोषण कई रोगों से बचाव का रास्ता:
बच्चों को जन्म से ही बेहतर पोषण की आवश्यकता होती है| बच्चे के जन्म के एक घंटे के भीतर माँ का गाढ़ा पीला दूध एवं अगले छह महीने तक सिर्फ़ माँ का दूध बच्चे को इस उम्र में होने वाली बहुत सी बीमारियों जैसे डायरिया, निमोनिया, ज्वर एवं अन्य गंभीर रोगों से बचाव करता है| छह माह तक माँ का दूध एवं इसके बाद मसला हुआ अनुपूरक आहार के साथ 2 साल तक नियमित स्तनपान बच्चों को कुपोषण से दूर रखता है| मच्छरों से फैलने वाले कई रोग जैसे डेंगू, मलेरिया, चिकनगुनिया एवं दिमागी बुखार जैसे गंभीर रोगों से होने वाले प्रभावों में बच्चों के बेहतर पोषण के कारण बहुत हद तक कमी आती है एवं बच्चा आसानी से इन रोगों के प्रभावों से बाहर भी आ जाता है|
टीके के साथ पोषण भी जरूरी :
जिला अपर मुख्य चिकित्सा डॉ देवेन्द्र चौधरी ने बताया कि दिमागी बुखार से बच्चों को बचाने के लिए नियमित प्रतिरक्षण में दिमागी बुखार का भी टीका शामिल है| दिमागी बुखार का पहला टीका 9 से 12 महीने तक के बच्चों को एवं 1 से 2 वर्ष की उम्र के बच्चों को दूसरी ख़ुराक दी जाती है जिसे बूस्टर डोज़ भी कहते हैं| दिमागी बुखार क्यूलेक्स नामक मच्छर के काटने से इसका वायरस शरीर में प्रवेश करता है और सीधे दिमाग पर असर करता है| इससे बच्चों को दिमागी बुखार हो जाता है| जापानी बुखार में शुरू में फ्लू जैसे लक्ष्ण के साथ बुखार आना, ठंड लगना, थकान होना, सिर दर्द, उल्टी एवं दौरे आना आदि दिखाई देते हैं| यह बुखार काफी गंभीर हो सकता है जिससे बच्चा अपंग एवं समुचित चिकित्सीय जाँच के अभाव में जानलेवा भी हो जाता है|
इस गंभीर रोग से मजबूती से लड़ने के लिए बच्चे का सुपोषित होना फायदेमंद होता है| सुपोषित बच्चे में दिमागी बुखार प्रभाव डालने के बाद भी काफी हद तक जानलेवा नहीं हो पता है| इसलिए बच्चों को दिमागी बुखार से बचाने के लिए टीके के साथ उनका बेहतर पोषण भी जरूरी है|

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *