युवाओं की टीकाकरण में शत-प्रतिशत भागीदारी से कोरोना पर वार होगा असरदार
• सभी स्तर पर लोगों को जागरूक करने की जरूरत
• प्रोफेसर एवं शिक्षकों को भी निर्वहन करनी होगी जिम्मेदारी
• टीकाकरण को लेकर लोगों को सही संदेश देना जरुरी
पटना: कोरोना महामारी की संभावित तीसरी लहर से बचाव के लिए सरकार टीकाकरण की रफ़्तार बढ़ाने पर जोर दे रही है. इसको लेकर महाअभियान भी चलाया जा रहा है. लेकिन सरकारी प्रयासों के इतर टीकाकरण के प्रति सामुदायिक जागरूकता एवं भागीदारी भी महत्वपूर्ण है. जिसमें युवाओं एवं महिलाओं की सहभागिता की अधिक जरूरत है. इसके लिए प्रतिष्टित पदों पर कार्यरत लोगों को भी आगे आने की आवश्यकता है. उनके द्वारा टीकाकरण के लिए अपील करने से टीकाकरण को लेकर फैली भ्रांति को दूर करने में मदद मिलेगी.
नकारात्मक सोच से बाहर निकलने की जरूरत:
टीआईएएस, नई दिल्ली, में सहायक प्रोफेसर के पद पर कार्यरत पटना के रहने वाले डॉ. अजय कुमार सिंह का कहना है कि कोरोना टीकाकरण को लेकर अभी भी समुदाय में कई भ्रांतियां हैं. ये भ्रांतियां सिर्फ़ इसलिए है क्योंकि लोग अपनी सोच को सकारात्मक दिशा में ले जाने को तैयार नहीं है. कई लोगों ने कोरोना को कभी न खत्म होने वाली बीमारी मान बैठे हैं. जबकि इसका किसी वैज्ञानिक तथ्य से कोई सारोकार नहीं है. इसका सबसे अधिक असर युवाओं एवं महिलाओं पर पड़ता है. उनका कहना है कि वह निरंतर अपने छात्रों को नकारात्मक सोच से बचने की सलाह देते हैं. साथ ही टीकाकरण की महत्ता पर भी छात्रों को जागरूक करते हैं.
नवादा जिले में सरकारी शिक्षक के पद पर कार्यरत महेंद्र कुमार कहते हैं कि कोरोना की संभावित तीसरी लहर के बीच स्कूल खुल चुके हैं. बच्चे अब नियमित तौर पर स्कूल भी जाने लगे हैं. इसलिए उनके जैसे अन्य शिक्षकों की जिम्मेदारी अब बढ़ गयी है. इसके लिए तो सर्वप्रथम यह जरुरी है कि सभी शिक्षक खुद का पूरा टीकाकरण कराएँ एवं साथ ही वह बच्चों को भी कोविड अनुरूप व्यवाहर अपनाने की सलाह दें. उन्होंने कहा कि सभी के आपसी सहयोग से ही कोरोना पर विजय संभव होगी.
कर्तव्यों के साथ जिम्मेदारी का एहसास भी जरुरी:
नवादा जिले के पकरीबरावां के रहने वाले तरुण कुमार अभी झरिया में कोल इंडिया में वरीय इंजिनियर के पद पर कार्यरत हैं. उनका मानना है कि कोरोना महामारी ने सभी वर्ग के लोगों को प्रभावित किया है. अभी कोरोना की तीसरी लहर की संभावना जताई जा रही है. ऐसे में सभी को कोरोना महामारी को दूर करने में एक जिम्मेदारी भी लेनी होगी. इसके लिए सभी को टीकाकरण के दोनों डोज लेने होंगे एवं अपने आस-पास के लोगों, अपने मित्रों एवं अन्य लोगों को भी टीकाकरण के लिए जागरूक करने की जरूरत है.
नवादा जिले में सरकारी शिक्षक के पद पर कार्यरत मनोज कुमार का भी कहना है कि शिक्षक की भूमिका कोरोना काल में बढ़ी है. विशेषकर संभावित तीसरी लहर में तो सबसे अधिक है. वह कहते हैं कि एक शिक्षक का कर्तव्य सिर्फ़ बच्चों को शिक्षित करने तक सीमित नहीं है. बल्कि समाज में किसी आपातकाल स्थिति से उबरने में सहयोग करने का भी है. अभी का समय कुछ ऐसा ही है. कोरोना के खौफ़ से अपने परिवार एवं समुदाय को सुरक्षित रखने के लिए शिक्षकों को भी समुदाय में लोगों से टीकाकरण के लिए अपील करना नितांत जरुरी है.
वहीं, नवादा जिले के कादिरगंज प्रखंड निवासी राजेश कुमार कहते हैं कि वह बीपीएससी की तैयारी कर रहे हैं. कई बार उन्होंने पीईटी भी क्लियर किया है. तैयारी करने के दौरान उन्हें एक बात सीखने को मिली है कि मेहनत और विश्वास से कोई भी जंग जीती जा सकती है. अभी कोरोना का समय हमारे जैसे कई छात्रों के लिए चुनौती भरा साबित हुआ है. लेकिन इससे हतोत्साहित होने की जरूरत नहीं है. सभी को ख़ुद का टीकाकरण कराना चाहिए ताकि जीवन की जंग जीती जा सके.