सीओपीडी और अस्थमा में है अंतर,रहें सावधान
धूम्रपान करने वाले व्यक्ति में सीओपीडी होने का खतरा सबसे अधिक
धूम्रपान करने वाले व्यक्ति के संपर्क में आने से बचने की कोशिश करें
बांका, 17 नवंबर
हर साल 17 नवंबर को क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) दिवस मनाया जाता है। इस बार की थीम हेल्दी लंग्स- नेवर मोर इंपोर्टेंट है। यानी स्वस्थ फेफड़े से ज्यादा महत्वपूर्ण कुछ नहीं है। आमतौर पर यह बीमारी वायु प्रदूषण से होती है। इस बीमारी में मरीज को सांस लेने में तकलीफ होती है। धूम्रपान करने वाले व्यक्ति में इस रोग का खतरा अधिक रहता है। साथ ही धूम्रपान करने वाले व्यक्ति के साथ रहने वाले में इस बीमारी के होने का खतरा रहता है। इसलिए धूम्रपान करने से तो दूर रहे हीं, साथ ही धूम्रपान करने वाले व्यक्ति के संपर्क में भी आने से बचने की कोशिश करें। इसके अलावा हर तरह के धुएं और तेज गंध से दूर रहने की आवश्यकता है। इससे बचने के लिए घर की हवा को साफ रखने की जरूरत है। जो लोग सीओपीडी की चपेट में आ चुके हैं, वह इन शर्तों का जरूर पालन करें।
शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी डॉ. सुनील कुमार चौधरी कहते हैं कि एक स्वस्थ व्यक्ति के फेफड़े स्पंज जैसे होते हैं। सांस के जरिये जब हम ऑक्सीजन अंदर लेते हैं तो वह खून के अंदत घुल जाती है और कार्बन डाइऑक्साइड बाहर निकलती है, लेकिन सीओपीडी के मरीज के साथ ऐसा नहीं होता है। सीओपीडी के मरीज के अंदर ऑक्सीजन घुल नहीं पाती है। इस कारण शरीर को पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन नहीं मिल पाती है। यही कारण है कि मरीज की सांसें फूलने लगती हैं। कुछ लोग इसे अस्थमा समझने की भूल कर बैठते हैं। अस्थमा में ऑक्सीजन नहीं घुल पाने जैसी कोई समस्या नहीं होती है। अस्थमा फेफड़ों से संबंधित बीमारी होती है, जिस कारण लोगों को सांस लेने में कठिनाई होती है। सीओपीडी फेफड़ों में वायुमार्ग से जुड़ी बीमारी होती है। अस्थमा में श्वास नली सूज जाता है, जिससे श्वसन मार्ग सिकुड़ जाता है। इसलिए अस्थमा और सीओपीडी को एक समझने की भूल नहीं करें। सीओपीडी अस्थमा के मुकाबले ज्यादा खतरनाक होता है। इसलिए श्वांस लेने में तकलीफ हो तो तुरंत डॉक्टर के पास जाएं।
कोरोना काल में सीओपीडी के मरीजों को ज्यादा खतराः डॉ. चौधरी कहते हैं कि कोरोना काल में सीओपीडी के मरीजों को ज्यादा खतरा रहता है। कोरोना के कारण सांस के मरीजों को ज्यादा परेशानी होती है। इसलिए अभी के समय में सीओपीडी के मरीजों को ज्यादा सावधान रहने की जरूरत है। कामकाज के दौरान सांस की तकलीफ हो या फिर घबराहट हो तो तत्काल डॉक्टर के पास जाएं। इसके अलावा कफ के साथ लगातार खांसी, वजन कम होना, थकान इत्यादि भी सीओपीडी के लक्षण हैं।
बाहर निकलते वक्त मास्क लगाएः डॉ. चौधरी कहते हैं कि सीओपीडी के मरीज घर से बाहर निकलते वक्त हर हाल में मास्क लगाएं। मास्क लगाने से धूल, धुएं और तेज गंध से बचाव होगा। घर में साफ-सफाई के दौरान भी मास्क लगाएं। भीड़ वाली जगहों पर जाने से बचें। तंबाकू, धूम्रपान और शराब का सेवन बिल्कुल भी नहीं करें। पौष्टिक भोजन के साथ व्यायान भी करें। इसके अलावा पानी अधिक पीने की कोशिश करें।