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देश

आज बच्चों व किशोरों को खिलाई जाएगी कृमिनाशक दवा 

-जिले के 18 लाख से अधिक लोगों को दवा खिलाने का लक्ष्य
-छूटे हुए बच्चों व किशोरों को 26 को खिलाई जाएगी दवा
भागलपुर, 21 अप्रैल –
राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस के मौके पर भागलपुर में 22 और 26 अप्रैल को एक से 19 साल तक के 18,04,834 बच्चों एवं किशोरों को कृमिनाशक दवा खिलाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। अभियान के क्रम में दवा सेवन से वंचित बच्चों के लिये 26 अप्रैल को मॉपअप राउंड का संचालन किया जायेगा, ताकि शत प्रतिशत बच्चों को दवा सेवन सुनिश्चित करायी जा सके। अभियान की सफलता को लेकर विभिन्न स्तरों पर जरूरी तैयारियों को पूरी तक ली गई हैं।
जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ. मनोज कुमार चौधरी ने कहा कि कृमि के कारण बच्चों का शारीरिक व मानसिक विकास अवरुद्ध होता है। राष्ट्रीय कृमि दिवस के अवसर पर जिले के 01 से 19 साल तक के सभी बच्चों के लिये कृमिनाशक दवा का सेवन जरूरी है। इसके सेवन से बच्चे पेट के कई रोग, कुपोषण सहित अन्य बीमारियों से सुरक्षित होते हैं। निर्धारित समय पर कृमिनाशक दवा का सेवन जरूरी है। इससे शरीर के अंदर पल रहे कृमि नष्ट हो जाते हैं। बच्चों को दवा खिलाने के लिए जिले की चयनित आशा,
आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, एएनएम को प्रशिक्षण दिया गया है। दवा पिलाने के दौरान कोरोना की गाइडलाइन का पालन अनिवार्य है।
बीमार बच्चे नहीं खाएंगे दवा: डॉ. चौधरी ने बताया कि कृमि की दवा खाने में किसी प्रकार का संकोच नहीं करना चाहिए। इससे स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ता बल्कि यह शरीर को सुरक्षित रखने के लिए जरूरी है।
कृमि की दवा आशा, एएनएम, आंगनबाड़ी केंद्रों, स्कूलों के माध्यम से खिलायी जानी है। स्वास्थ्य कर्मियों की टीम सहयोग में रहेगी। उन्होंने बताया कि 01 से 02 साल तक के बच्चों को अल्बेंडाजोल 400 मिलिग्राम ग्राम की आधी गोली दो चम्मचों के बीच अच्छी तरह पीस कर खिलायी जानी है। वहीं 02 से 03 साल तक के बच्चों को पूरी गोली को पीस कर पानी में घोल कर पिलायी जानी है। वहीं 3 से 19 वर्ष तक के बच्चों को पूरी गोली चबाकर खानी है। दवा की खुराक बच्चों को खाली पेट में नहीं दी जानी है। बीमार बच्चों का दवा का सेवन नहीं कराया जाना है।
अभियान की सफलता को लेकर तैयारी पूरी: डॉ. चौधरी ने बताया कि अभियान की सफलता को लेकर आईसीडीएस, शिक्षा व स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी व कर्मियों को जरूरी दिशा निर्देश दिया गया है। अभियान में निजी स्कूल भी बढ़-चढ़ कर अपनी भागीदारी निभायेंगे। स्कूल संचालकों के साथ समन्वय स्थापित करने का निर्देश जारी किया गया है। कार्यक्रम की सफलता को लेकर सारी तैयारियाँ पूरी कर ली गई हैं, ताकि कार्यक्रम का शुभारंभ होने के बाद किसी प्रकार की कोई असुविधा नहीं हो और हर हाल में सफलतापूर्वक कार्यक्रम का समापन सुनिश्चित हो सके।

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