आयरन सुक्रोज पर सदर व अनुमंडलीय अस्पताल, सीएचसी, पीएचसी के मैटरनिटी इकाई एएनसी ओपीडी के नर्सों का होगा प्रशिक्षण
- राज्य स्वास्थ्य समिति की राज्य कार्यक्रम प्रबंधक (मातृत्व स्वास्थ्य) ने पत्र लिखकर सभी जिलों के सिविल सर्जन को दिया निर्देश
- एनीमिया से ग्रसित गर्भवती महिलाओं को दी जाती है आयरन सुक्रोज
- गर्भवती महिलाओं में खून की कमी को दूर कर रहा है आयरन सुक्रोज
मुंगेर, 11अगस्त|संस्थागत प्रसव के दौरान प्रसूता एवं नवजात को किसी प्रकार की परेशानी गर्भावस्था के दौरान बेहतर स्वास्थ प्रबंधन पर निर्भर करता है। इसके बाद ही सुरक्षित संस्थागत प्रसव संभव हो पाता है। गर्भावस्था में बेहतर शिशु विकास एवं प्रसव के दौरान होने वाली रक्तस्राव के प्रबंधन के लिए महिलाओं में पर्याप्त मात्रा में खून का होना अति आवश्यक है। ऐसे में एनीमिया प्रबंधन के लिए प्रसव पूर्व जांच के प्रति गर्भवती महिलाओं की जागरुकता ना सिर्फ एनीमिया की रोकथाम में सहायक होती है, बल्कि सुरक्षित मातृत्व की आधारशिला भी तैयार करती है। इसलिए गर्भावस्था में एनीमिया प्रबंधन बहुत जरूरी होता है। गर्भावस्था के दौरान महिलाओं में खून का कम होना उनके व उनके बच्चे के लिए खतरे की घंटी है। स्वास्थ्य विभाग ने गर्भवती महिलाओं में खून की कमी को पूरा करने के लिए गर्भवती महिलाओं को आयरन और कैल्सियम की दवाओं के बाद अब आयरन सुक्रोज इंजेक्शन से गर्भवती महिलाओं में खून की पूर्ति करने की योजना बनाई है। विशेषज्ञ चिकित्सक की देखरेख में ही महिलाओं को आयरन सुक्रोज इंजेक्शन को एनएस वाटर में मिलाकर सलाइंस के द्वारा लगाया जाता है। इस संबंध में राज्य स्वास्थ्य समिति की राज्य कार्यक्रम प्रबंधक (मातृत्व स्वास्थ्य) डॉ. सरिता ने पत्र लिखकर राज्य के सभी सिविल सर्जन को आयरन सुक्रोज पर जिला अस्पताल, अनुमंडलीय अस्पताल, सीएचसी, पीएचसी के मैटरनिटी इकाई एएनसी ओपीडी, लेबर रूम, ओटी में पदस्थापित नर्सों को प्रशिक्षित कराने का निर्देश दिया है। जो गर्भवती महिलाओं की जांच करती हैं।
गर्भ धारण के तीन महीने के बाद गर्भवती महिलाओं को दी जाती है आयरन सुक्रोज:
जिले के सिविल सर्जन डॉ. हरेन्द्र आलोक ने बताया कि एनीमिया की पहचान हीमोग्लोबिन लेवल जांच करने के बाद ही की जाती है। इसे तीन भागों में बांटा गया है। पहला है हीमोग्लोबिन लेवल यदि 10 ग्राम से ज्यादा है तो इस स्थिति में एनीमिया नहीं माना जाता है। इसी तरह हीमोग्लोबिन यदि 7 से 10 ग्राम तक है उसे मॉडरेट माना जाता है। यदि किसी गर्भवती महिला का हीमोग्लोबिन लेवल 7 ग्राम से नीचे चला जाता है तो उसे सीवियर एनीमिया माना जाता है। हीमोग्लोबिन लेवल 7 से 10 ग्राम के बीच रहने पर उस महिला को आयरन सुक्रोज का इंजेक्शन दिया जाता है। गर्भवती महिला द्वारा गर्भधारण करने के तीन महीने के बाद ही उसे आयरन सुक्रोज का इंजेक्शन दिया जाता है।
गर्भवती महिलाओं में एनीमिया को दूर करने के लिए दी जाती है आयरन सुक्रोज :
जिला स्वास्थ्य समिति के डीपीएम नसीम रजि ने बताया कि किसी के भी शरीर में खून की कमी का होना गंभीर माना जाता है । गर्भावस्था के दौरान महिलाओं में खून की कमी होना और भी विकट हो सकती है। इसलिए स्वास्थ्य विभाग ने जच्चा-बच्चा को सही और समुचित स्वास्थ्य लाभ देने के लिए गर्भावस्था के तीन महीने के बाद महिलाओं में खून की कमी होने पर आयरन सुक्रोज का इंजेक्शन लगाने का निर्णय लिया है। इसके लिए राज्य स्वास्थ्य समिति द्वारा जारी किए गए निर्देश के अनुसार सदर अस्पताल मुंगेर, अनुमंडलीय अस्पताल तारापुर, जिला के सभी सीएचसी, पीएचसी के मैटरनिटी इकाई एएनसी ओपीडी, लेबर रूम, ओटी में पदस्थापित नर्सों को आयरन सुक्रोज का इंजेक्शन लगाने के लिए प्रशिक्षित किया जाएगा। इस कार्य में केयर इंडिया मुंगेर की ट्रेनिंग टीम जिला भर में सहयोग करेगी।
आयरन ही हमारे शरीर में लाल रक्त कोशिकाओं का निर्माण करता है-
उन्होंने बताया कि शरीर को हेल्दी और फिट रखने के लिए अन्य पोषक तत्वों के साथ-साथ आयरन की भी पर्याप्त मात्रा में जरूरत होती है। आयरन ही हमारे शरीर में लाल रक्त कोशिकाओं का निर्माण करता है। ये कोशिकाएं ही शरीर में हीमोग्लोबिन बनाने का काम करती हैं। हीमोग्लोबिन फेफड़ों से ऑक्सीजन लेकर उसे रक्त में पहुंचाता है। यही वजह है कि रक्त में आयरन की कमी से शरीर में हीमोग्लोबिन की कमी हो जाती है और हीमोग्लोबिन का लेवल कम हो जाने से शरीर में आक्सीजन की कमी होने लगती है। इसकी वजह से लोगों में कमजोरी और थकान भी महसूस होती है। तकनीकी भाषा में इस स्थिति को एनीमिया कहा जाता हैं।