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आशा कार्यकर्ता अंबिका कुमारी ने अपनी मेहनत से क्षेत्र में बनाई है पहचान

-बाराहाट प्रखंड के हैवतपुर-लखपुरा क्षेत्र में लोगों को पहुंचा रहीं सुविधाएं
-एएनसी जांच कराने से लेकर संस्थागत प्रसव कराने में महारथ  हासिल
बांका,  6 जून।
जिले की कई आशा कार्यकर्ता बेहतर काम कर रही है। रूटीन काम से लेकर कोरोना काल में शानदार योगदान दिया है। बाराहाट प्रखंड के हैवतपुरj-लखपुरा गांव की आशा कार्यकर्ता अंबिका कुमारी भी बेहतर काम करने वाली आशा में गिनी जाती हैं। प्रसव से जुड़े कार्य कराने में तो इन्हें महारथ  हासिल है। एएनसी जांच से लेकर संस्थागत प्रसव कराने में भी इनकी कोई सानी नहीं  है। इसी का परिणाम है कि गांव के लोग से लेकर अस्पताल प्रभारी के गुडबुक में इनका नाम दर्ज है।
12 साल से अधिक का है बेमिसाल करियरः 25 नवंबर 2009 से काम कर रही हैं। तब से उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा है। 12 साल से अधिक समय से काम कर रही हैं, इसके बावजूद इनपर निश्चिंतता का भाव नहीं है। ग्रामीण बनारसी मंडल कहते हैं कि अंबिका दीदी लगातार क्षेत्र में आती हैं। सभी से हालचाल पूछती हैं। अगर किसी के घर में प्रसूता है तो उसे सरकार की तरफ से मिलने वाली सहायता के बारे में बताती हैं, जिसका फायदा आमलोग ले पाते हैं। ग्रामीण रीता देवी कहती हैं कि सरकार की तरफ से जो भी सुविधाएं मिलती हैं, उसकी जानकारी सभी लोगों को नहीं रहती है, लेकिन अंबिका की वजह से हमलोग उससे अवगत होकर लाभ उठा पाते हैं। वरना गरीबी के कारण तो लोग अस्पताल और डॉक्टर के पास जाने से भी कतराते हैं।
अमीर लोग जैसे इलाज कराते हैं, उसी तरह से हमलोग भी करा रहेः पूरन मंडल कहते हैं कि सरकार आमलोगों को इतनी सुविधाएं देती है। अंबिका के प्रयास से हमलोग उसका भरपूर लाभ उठा रहे हैं। प्रसव पूर्व जांच से लेकर प्रसव कराने तक में एक भी पैसा खर्च नहीं होता है। अमीर लोग जैसे अपना इलाज कराते हैं, उसी तरह हमलोग भी हर तरह का लाभ उठा रहे हैं। वह भी मुफ्त में। मुरारी राउत कहते हैं, अंबिका के प्रयास से लोगों में जागरूकता बढ़ी है। आज हमलोग इस बात की जानकारी रखने लगे हैं कि किस बीमारी का इलाज कहां कराना है और सरकार की तरफ से उसके लिए क्या सहायता मिलती है। यह सब अंबिका के प्रयास से ही सफल हो पाया है।
क्षेत्र के लोगों पर अंबिका की बेहतर पकड़ः बाराहाट प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की प्रभारी डॉ. रश्मि कुमारी कहती हैं कि अंबिका का काम सराहनीय है। क्षेत्र के लोगों पर उसकी पकड़ है। संस्थागत प्रसव से लेकर एएनसी जांच में उसका योगदान  काबिलेतारीफ है। यहां तक कि कोरोना काल में भी उसने बेहतर काम किया है। आशा अंबिका कहती हैं कि मैं सिर्फ अपना काम करती हूं। क्षेत्र में लगातार रहती हूं। लोगों से बात करती रहती हूं। इस वजह से मुझे हर चीज की जानकारी रहती है। इसी का परिणाम है कि मैं अपना काम बेहतर तरीके से कर पाती हूं। साथ ही घरवाले का भी सहयोग रहता है, जिस वजह से मैं अपना काम बेहतर तरीके से कर पाती हूं।

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