छुआछूत से नहीं, जीवाणु से होता है कुष्ठ
-जिले में मनाया जा रहा स्पर्श कुष्ठ जागरूकता पखवाड़ा
-आशा कार्यकर्ता गांव-गांव में लोगों को कर रहीं जागरूक
बांका, 5 फरवरी
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की पुण्य तिथि 30 जनवरी से जिले में स्पर्श कुष्ठ जागरूकता पखवाड़ा की शुरुआत हुई है, जो 13 फरवरी तक चलेगा। इसके तहत गांव-गांव में अभियान चल रहा है। आशा कार्यकर्ता कुष्ठ से जागरूकता को लेकर गांवों में लोगों को शपथ दिला रही हैं। गांवों में सभाएं की जा रही हैं। लोगों को समझाया जा रहा है कि अगर शुरुआत में कुष्ठ का इलाज हो जाए विकलांग होने का खतरा कम हो जाता है। यह बीमारी छुआछूत से नहीं, बल्कि जीवाणु से होता है। समाज में कुष्ठ के प्रति जो लोगों में भ्रांतियां हैं, उसे दूर किया जा रहा है। आमतौर पर लोग कुष्ठ को छुआछूत की बीमारी समझकर इस बीमारी से ग्रसित रोगी से भागने लगते हैं। दूरी बनाने लगते हैं। इसी को लेकर आशा कार्यकर्ता अभी गांवों में जाकर लोगों को बता रही हैं कि कुष्ठ रोगियों से भागे नहीं, उसे सरकारी अस्पताल लेकर जाएं। सभी सरकारी अस्पतालों में कुष्ठ रोगियों के लिए मुफ्त में इलाज की व्यवस्था है। इलाज नहीं करवाने पर उससे अन्य लोगों में संक्रमण हो सकता है।
सिविल सर्जन डॉ. अभय प्रकाश चौधरी कहते हैं कि कुष्ठ दिवस पर हमलोगों ने शपथ ली थी कि कुष्ठ रोगियों से किसी तरह का भेदभाव नहीं करेंगे। अगर कोई कुष्ठरोगी दिखे तो तत्काल उसे अस्पताल ले जाकर उसका इलाज करवाएंगे। ये सिलसिला अभी जारी है, जो 13 फरवरी तक चलेगा। गांवों में आशा कार्यकर्ता जागरूकता अभियान के जरिये लोगों को इसके बारे में समझा रही हैं। साथ ही कुष्ठ रोगियों की पहचान कैसे करनी है, इसके भी तरीके बताएं जा रहे हैं। लोग अगर कुष्ठ रोगियों से दूरी बनाने की बजाय उसका इलाज करवाएंगे तो यह बीमारी समाज से खत्म हो जाएगा।
कुष्ठ का पूर्ण इलाज संभवः डॉ. चौधरी कहते हैं कि कुष्ठ की बीमारी जीवाणु से होता है, जिसका पूर्ण इलाज संभव है। इसकी पहचान बहुत ही आसान है। त्वचा पर किसी प्रकार का दाग या धब्बा, जिसमें दर्द या खुजली नहीं होती है और वह जन्म से नहीं है तो वह कुष्ठ का प्रारंभिक लक्षण हो सकता है। समय से इलाज होने पर यह पूरी तरह से ठीक हो जाता है और वह पहले वाली जिंदगी जी सकता है। एमडीटी का पूरा खुराक नियमानुसार लेने के बाद कुष्ठ पीड़ित व्यक्ति पूरी तरह से स्वस्थ हो सकता है। इलाज नहीं कराने पर उस व्यक्ति से कई लोगों में संक्रमण हो सकता है। इसलिए अगर कोई कुष्ठ रोगी दिखे तो उसका तत्काल इलाज करवाएं।
सहायता राशि का भी प्रावधानः अचिकित्सा सहायक मृत्युंजय कुमार सिंह कहते हैं कि कुष्ठ से पीड़ित व्यक्ति अगर विकलांग हो जाता है तो उसे 1500 रुपये प्रति महीने भिक्षाटन निवारण योजना के तहत दिया जाता है। यह राशि तबतक दी जाती है, जब तक वह जीवित रहते हैं। साथ ही अगर कुष्ठ से विकलांग हुए व्यक्ति के आश्रित जिनकी उम्र 18 साल से कम है, उसे भी परवरिश योजना के तहत एक हजार रुपये प्रति महीने दिया जाता है। इसलिए कुष्ठ रोग को छुपाएं नहीं और इसका इलाज करवाएं।