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देश

जनांदोलन से ही फाइलेरिया उन्मूलन संभव- डॉ. नवीन चन्द्र प्रसाद, निदेशक प्रमुख, रोग नियंत्रण एवं लोक स्वास्थ्य, स्वास्थ्य सेवायें, बिहार

बिहार के 22 जिलो में 20 सितम्बर से शुरू होगा मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एमडीए) कार्यक्रम, स्वास्थ्य मंत्री करेंगे शुभारम्भ

भागलपुर- 18 सितम्बर, 2021-

“बिहार सरकार फाइलेरिया उन्मूलन हेतु प्रतिबद्धता के साथ हर स्तर पर सार्थक प्रयास कर रही है लेकिन इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम को जनांदोलन का रूप देना होगा “यह उदगार शनिवार को आयोजित मीडिया कार्यशाला में डॉ. नवीन चन्द्र प्रसाद, निदेशक प्रमुख, रोग नियंत्रण एवं लोक स्वास्थ्य, स्वास्थ्य सेवायें, बिहार ने व्यक्त किये। फाइलेरिया रोग के उन्मूलन हेतु बिहार में कोविड-19 के दिशा-निर्देशों के अनुसार शारीरिक दूरी (दो गज की दूरी), मास्क और हाथों की साफ़-सफाई का अनुपालन करते हुए समुदाय को फाइलेरिया या हाथीपांव रोग से बचाने के लिए राज्य के 22 जिलों यथा- अररिया, बांका, बेगूसराय, पूर्वी चंपारण, पश्चिमी चंपारण, भागलपुर, बक्सर, गोपालगंज, जहानाबाद, जमुई, कैमूर, कटिहार, खगरिया, मधेपुरा, मुंगेर, मुज्ज़फरपुर, पटना, सहरसा, सारण, सीतामढ़ी, सीवान और सुपौल में शुरू किये जा रहे फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम के सम्बन्ध में मीडिया की सक्रिय एवं महत्वपूर्ण भूमिका पर चर्चा करने हेतु स्वास्थ्य सेवायें, बिहार एवं ग्लोबल हेल्थ स्ट्रेटजीज द्वारा अन्य सहयोगी संस्थाओं यथा विश्व स्वास्थ्य संगठन, केयर, प्रोजेक्ट कंसर्न इंटरनेशनल और सीफार के साथ समन्वय स्थापित करते हुए, मीडिया सहयोगियों के साथ आज एक मीडिया कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस अवसर पर, जिन जिलों में आगामी 20 सितम्बर से मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन कार्यक्रम प्रारंभ हो रहा है, वहां के मीडिया सहयोगियों के साथ ही चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने भी वर्चुअल रूप से प्रतिभाग किया।

डॉ. प्रसाद ने बताया कि फाइलेरिया उन्मूलन के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए एमडीए के महत्व को ध्यान में रखते हुए स्वास्थ्य विभाग ने कोविड -19 वैश्विक महामारी के दौरान भी राज्य के 22 जिलो में एमडीए कार्यक्रम संपन्न कराने का निर्णय लिया है। इस कार्यक्रम के तहत लगभग 7 करोड़ 56 लाख लोगों को फाइलेरिया रोधी दवाएँ खिलाई जायेगीं। उन्होंने कोविड -19 की सभी सुरक्षा सावधानियों (स्वच्छता, मास्क और शारीरिक दूरी) को अपनाने के महत्व पर बल दिया, साथ ही यह भी सुनिश्चित करने के लिए कहा कि फाइलेरिया प्रभावित जिलों में सभी पात्र लाभार्थी, फाइलेरिया रोधी दवाओं का सेवन स्वास्थ्य कर्मियों के सामने करें।

कार्यशाला में उपस्थित डॉ. कैलाश कुमार, वरिष्ठ क्षेत्रीय निदेशक, पटना मुख्यालय, भारत सरकार ने कार्यशाला को संबोधित करते हुए कहा कि राज्य में समुदाय को फाइलेरिया जैसी गंभीर बीमारी से सुरक्षित रखने के लिए भारत सरकार के दिशा-निर्देश के अनुसार समय-समय पर मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन कार्यक्रम सफलतापूर्वक संपन्न किये जा रहें हैं। इस अभियान में फाइलेरिया से मुक्ति के लिए 2 वर्ष से कम उम्र के बच्चों, गर्भवती महिलाओं और अति गंभीर रूप से बीमार व्यक्तियों को छोड़कर सभी लोगों को उम्र के अनुसार फाइलेरिया रोधी दवायें डीईसी और अल्बेन्डाज़ोल प्रशिक्षित स्वास्थ्यकर्मियों के सामने ही खिलाई जायेंगी । दवाईयों का वितरण बिलकुल नहीं किया जायेगा ।

विश्व स्वास्थ्य संगठन के राज्य एनटीडी समन्वयक डॉ. राजेश पाण्डेय ने बताया कि फाइलेरिया या हाथीपांव, रोग देश के 16 राज्यों और 5 केंद्र शासित प्रदेशों में एक सार्वजनिक स्वास्थ्य संबंधी समस्या है।यह रोग मच्छर के काटने से फैलता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) के अनुसार फाइलेरिया दुनिया भर में दीर्घकालिक विकलांगता के प्रमुख कारणों में से एक आमतौर पर बचपन में होने वाला यह संक्रमण लिम्फैटिक सिस्टम को नुकसान पहुंचाता है और अगर इससे बचाव न किया जाए तो इससे शारीरिक अंगों में असामान्य सूजन होती है। फाइलेरिया के कारण चिरकालिक रोग जैसे: हाइड्रोसील (अंडकोष की थैली में सूजन), लिम्फेडेमा (अंगों में सूजन) और दूधिया सफेद पेशाब (काईलूरिया) से ग्रसित लोगों को अक्सर सामाजिक भेदभाव सहना पड़ता है,जिससे उनकी आजीविका व काम करने की क्षमता भी प्रभावित होती है। डॉ. पाण्डेय ने कहा कि अगर हर लाभार्थी लगातार 5 साल तक फाइलेरिया रोधी दवा खा लेता है तो फाइलेरिया उन्मूलन संभव है । यह एक घातक रोग है, हालांकि प्रशिक्षित स्वास्थ्यकर्मियों द्वारा दी गयी दवाएं खाने से इस रोग से आसानी से बचा जा सकता है । डॉ. राजेश पाण्डेय ने बताया कि राज्य में फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम में एल्बेंडाज़ोल भी खिलाई जाती है जो बच्चों में होने वाली कृमि रोग का उपचार करता है जो सीधे तौर पर बच्चों के शारीरिक और बौद्धिक विकास में सहायक होता है उन्होंने बताया कि वर्ष 2020-2021 की लाइन लिस्टिंग के अनुसार राज्य में लिम्फेडेमा के 125002 और हाइड्रोसील के 46360 केस हैं। राज्य में एमडीए अभियान के साथ ही लिम्फेडेमा और हाइड्रोसील के मरीजों का प्रबंधन (एमएमडीपी) भी स्वास्थ्य विभाग द्वारा किया जाता है।

केयर इण्डिया के प्रतिनिधि बसब रोज ने बताया कि फ़ाइलेरिया के सम्बंध में समुदाय स्तर पर जागरुकता फैलाई जा रही है | अगर लाभार्थी स्वयं फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम की निगरानी करना शुरू कर दे तो फाइलेरिया के सम्पूर्ण उन्मूलन में सफलता अवश्य मिलेगी ।

प्रोजेक्ट कंसर्न इंटरनेशनल के प्रतिनिधि अशोक सोनी ने बताया कि एमडीए अभियान के सफल किर्यान्वयन के लिए ग्राम स्तर पर ग्राम प्रधानों के सहयोग से सोशल मोबिलाइजेशन से सम्बंधित गतिविधियां अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। इसके लिए पंचायत स्तर की कार्यप्रणाली को और अधिक मज़बूत होना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम बारे में समुदाय में जागरूकता फ़ैलाने के लिए आशा और आंगनवाडी के स्तर से अत्यंत सहयोग मिलता है ।

सीफार के प्रतिनिधि रणविजय कुमार ने कहा कि इस बीमारी के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए मीडिया की भूमिका बहुत सशक्त है क्योंकि समुदाय में प्रचार-प्रसार के माध्यम से जागरूकता अत्यंत शीघ्रता से फैलती है। उन्होंने मीडिया सहयोगियों से अनुरोध किया कि जिलों से फाइलेरिया बीमारी से संक्रमित मरीजों की मानवीय द्रष्टिकोण से दर्शाती हुई कहानियां प्रकाशित करें।

बढ़ते क्रम में, मीडिया सहयोगियों के साथ प्रश्न-उत्तर सत्र संपन्न किया गया । इस सत्र में इस बात पर भी चर्चा की गयी कि फाइलेरिया के प्रति लोगों में जागरूकता फैलाने के लिए मीडिया की भूमिका बहुत सशक्त है क्योंकि समुदाय में प्रचार-प्रसार के माध्यम से जागरूकता अत्यंत शीघ्रता से फैलती है। मीडिया सहयोगियों से यह भी अनुरोध किया गया कि जिलों से फाइलेरिया बीमारी से संक्रमित मरीजों की मानवीय दृष्टिकोण से दर्शाती हुई कहानियां प्रकाशित करने से समुदाय को इस रोग की गंभीरता देखकर, स्वयं को और अपने परिवार को इससे सुरक्षित रखने की प्रेरणा मिलेगी ।

कार्यशाला में, राज्य एवं जिला स्तरीय चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के साथ ही, राज्य एवं जिला स्तर के मीडिया सहयोगी, विश्व स्वास्थ्य संगठन, केयर, प्रोजेक्ट कंसर्न इंटरनेशनल, सीफार एवं ग्लोबल हेल्थ स्ट्रेटजीज के प्रतिनिधि भी उपस्थित थे ।
इस अवसर पर, जिन जिलों में आगामी 20 सितम्बर से मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन कार्यक्रम प्रारंभ हो रहा है, वहां के मीडिया सहयोगियों के साथ ही चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने भी वर्चुअल रूप से प्रतिभाग किया।

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