Deprecated: Function WP_Dependencies->add_data() was called with an argument that is deprecated since version 6.9.0! IE conditional comments are ignored by all supported browsers. in /home/u709339482/domains/mobilenews24.com/public_html/wp-includes/functions.php on line 6131
राज्य

जन-भागीदारी से फाइलेरिया रोग का समूल उन्मूलन संभव : सिविल सर्जन

बिहार के शेखपुरा जिले में मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (आई.डी.ए.) कार्यक्रम का शुभारम्भ

शेखपुरा, 21 दिसम्बर 2021: “फाइलेरिया जैसे गंभीर रोग के समूल उन्मूलन के लिए जन-भागीदारी अत्यंत आवश्यक है “ आज शेखपुरा के सिविल सर्जन डॉ. पृथ्वीराज ने मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (आईडीए) कार्यक्रम का उदघाटन करते हुए उक्त विचार प्रकट किए । फाइलेरिया रोग के उन्मूलन के लिए शेखपुरा जिले में कोविड-19 के दिशा-निर्देशों के अनुसार शारीरिक दूरी (दो गज की दूरी), मास्क और हाथों की साफ़-सफाई का अनुपालन करते हुए समुदाय को फाइलेरिया हाथीपांव रोग से बचाने के लिए मंगलवार से तीन फ़ाइलेरिया रोधी दवाओं डी.ई.सी.,अल्बंडाज़ोल तथा आईवरमेक्टिन के साथ मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (आईडीए) कार्यक्रम शुरू किया गया । कार्यक्रम का उदघाटन जिले के सिविल सर्जन डॉ. पृथ्वीराज ने स्वयं फ़ाइलेरिया रोधी दवाई खाकर किया। इस अवसर पर उन्होंने स्कूली बच्चों सहित अन्य लाभार्थियों को भी अपने सामने फ़ाइलेरिया रोधी दवाई खिलवायीं। उन्होंने कहा कि इस अभियान में जिले के हाथीपांव और हाइड्रोसील के मरीजों को भी सूचीबद्ध किया जा रहा है ताकि मोर्बिडिटी मैनेजमेंट एंड डिसेबिलिटी प्रिवेंशन (एम.एम.डी.पी.) के अंतर्गत लिम्फेडेमा और हाइड्रोसील के मरीजों का नि:शुल्क प्रबंधन जिला अस्पतालों में किया जा सके ।

सिविल सर्जन डॉ. पृथ्वीराज बताया कि शेखपुरा में आई.डी.ए. अभियान के दौरान यह सुनिश्चित किया जायेगा कि सभी पात्र लाभार्थी, फाइलेरिया रोधी दवाओं का सेवन स्वास्थ्य कर्मियों के सामने करें । उन्होंने बताया कि यह दवाई पूरी तरह से सुरक्षित हैं | उन्होंने लोगों से इस बात का भी अनुरोध किया कि इस अभियान में स्वास्थ्य कर्मियों का पूर्ण सहयोग करें ।

जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. अशोक कुमार सिंह ने बताया कि फाइलेरिया या हाथीपांव के क्यूलेक्स मच्छर के काटने से फैलता है । विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लू.एच.ओ.) के आंकड़ों के अनुसार फाइलेरिया दुनिया भर में दीर्घकालिक विकलांगता के प्रमुख कारणों में से एक है । आमतौर पर बचपन में होने वाला यह संक्रमण लिम्फैटिक सिस्टम को नुकसान पहुंचाता है और अगर इससे बचाव न किया जाए तो इससे शारीरिक अंगों में असामान्य सूजन होती है । फाइलेरिया के कारण चिरकालिक रोग जैसे हाइड्रोसील (अंडकोष की थैली में सूजन), लिम्फेडेमा (अंगों में सूजन) और दूधिया सफेद पेशाब (काईलूरिया) से ग्रसित लोगों को अक्सर सामाजिक भेदभाव सहना पड़ता है, जिससे उनकी आजीविका व काम करने की क्षमता भी प्रभावित होती है । उन्होंने बताया कि जिला स्तर से ब्लॉक स्तर तक कार्यक्रम को सफल बनाए के लिए सारी तैयारियाँ की जा चुकी हैं । जिले के 688185 लाभार्थियों को फ़ाइलेरिया रोधी दवाओं का सेवन करवाने के लिए कुल 315 टीमों का गठन किया जा चुका है और किसी भी विषम परिस्थितियों से निपटने हेतु रेपिड रेस्पॉन्स टीम का भी गठन किया गया हैं ।

इस अवसर पर अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. रविशंकर शर्मा ने कहा कि इस अभियान में 5 वर्ष से अधिक आयु के बच्चों को आईवरमेक्टिन दवा सहित 2 से 5 वर्ष आयु के बच्चों को डी.ई.सी. और अल्बंडाज़ोल की निर्धारित खुराक स्वास्थ्य- कर्मियों द्वारा घर-घर जाकर, अपने सामने मुफ्त खिलाई जाएगी एवं किसी भी स्थिति में दवा का वितरण नहीं किया जायेगा । दवा खिलाते वक़्त ध्यान देना है कि इस दवा का सेवन खाली पेट नहीं करना है । इसके साथ ही विशेष ध्यान रखना है कि यह दवा 2 वर्ष से कम उम्र के बच्चों, गर्भवती महिलाओं, 1 सप्ताह पूर्व माँ बनी माताओं और अति गंभीर रूप से बीमार व्यक्तियों को नहीं खिलाना है ।

जिले के वेक्टर रोग नियंत्रण पदाधिकारी श्याम सुंदर कुमार ने बताया कि फ़ाइलेरिया दवाएं पूरी तरह सुरक्षित हैं और इन दवाओं को साल में केवल 1 बार, लगातार 3 साल तक खाने से फ़ाइलेरिया जैसे गंभीर रोग से सुरक्षित रहा जा सकता है ।

इस अवसर पर स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों के साथ ही विश्व स्वास्थ्य संगठन, यूनिसेफ, केयर, प्रोजेक्ट कंसर्न इंटरनेशनल(पीसीआई) और सीफार के प्रतिनिधि भी उपस्थित थे ।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *