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राज्य

टीबी गंभीर बीमारी पर इसका इलाज संभव

टीबी का लक्षण दिखे तो तत्काल शुरू कर दें इलाज
सरकारी अस्पतालों में इलाज की है मुफ्त व्यवस्था
जनआंदोलन थीम के तहत स्वास्थ्य विभाग अभियान चला रहा है
धर्मगुरु, समाजसेवी औऱ जनप्रतिनिधियों के जरिये लोगों में टीबी के प्रति जागरूकता फैलाई जा रही

भागलपुर, 23 जुलाई-

टीबी एक बीमारी जरूर है, लेकिन इसका इलाज संभव है। पिछले कुछ सालों में टीबी के काफी मरीज ठीक हुए हैं। सरकारी अस्पतालों में इसका मुफ्त इलाज होता है। इसलिए अगर हल्का सा भी लक्षण दिखे तो तत्काल जांच कराएं। जांच में अगर टीबी होने की पुष्टि होती है तो दवा शुरू कर दें। दवा का कोर्स पूरा करें। जल्द ठीक हो जाइएगा। भीखनपुर स्थित जामा मस्जिद के इमाम हाफिज कारी नसीब साहेब शुक्रवार को भीखनपुर के लोगों से इस तरह की अपील कर रहे थे। दरअसल, टीबी के प्रति लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से जनआंदोलन थीम के तहत स्वास्थ्य विभाग अभियान चला रहा है। इसके तहत समाज के प्रतिष्ठित लोगों के जरिये टीबी को लेकर जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। इसमें धर्मगुरु, समाजसेवी औऱ जनप्रतिनिधियों के जरिये लोगों में टीबी के प्रति जागरूकता फैलाई जा रही है।
लोगों को टीबी जांच और इलाज के प्रति जागरूक किया गया-
इसी के तहत स्वास्थ्य विभाग की टीम शुक्रवार को भीखनपुर में थी। इस दौरान कर्नाटका हेल्थ प्रमोशन ट्रस्ट (केएचपीटी) और केयर इंडिया के प्रतिनिधि भी मौजूद थे। यहां पर नसीब साहेब के जरिये लोगों को टीबी जांच और इलाज के प्रति जागरूक किया गया। इस दौरान नसीब साहेब ने लोगों से अपील की कि अगर दो हफ्ते से अधिक समय तक खांसी हो और खांसी में खून आने लगे तो तत्काल अपनी जांच कराएं। टीबी अब लाइलाज बीमारी नहीं रही। इसका इलाज संभव हे। अगर आप इलाज करा लेते हैं तो जल्द स्वस्थ हो जाएंगे, लेकिन इलाज नहीं कराया तो इससे दूसरे लोगों में भी बीमारी होने का खतरा रहता है। इसलिए इलाज कराने में देरी नहीं करें।
बीच में दवा नहीं छोड़ेः
नसीब साहेब ने लोगों से अपील करते हुए कहा कि टीबी के इलाज के दौरान एक और बात महत्वपूर्ण है। जब कोई व्यक्ति टीबी का इलाज करा रहा हो तो बीच में उसे दवा नहीं छोड़ना चाहिए। इससे एमडीआर टीबी होने का खतरा रहता है। अगर दवा का कोर्स पूरा कर लिया तो समय पर ठीक हो जाएंगे, लेकिन अगर दवा बीच में छोड़ दी तो एमडीआर टीबी की चपेट में भी आ सकते हैं। अगर एमडीआर टीबी की चपेट में आ गए तो फिर इसका लंबा इलाज चलता है। एमडीआर टीबी ठीक होने में लगभग डेढ़ से दो साल लग जाते हैं। इसलिए टीबी के मरीज भूल से भी बीच में दवा नहीं छोड़ें।
टीबी अब छुआछूत की बीमारी नहीं रहीः
सीडीओ डॉ दीनानाथ कहते हैं कि टीबी की बीमारी को हल्के में नहीं लेना चाहिए। एक टीबी का मरीज साल में 10 से अधिक लोगों को संक्रमित कर सकता है और फिर आगे वह कई और लोगों को भी संक्रमित कर सकता है, इसलिए लक्षण दिखे तो तत्काल इलाज कराएं। टीबी का अगर आप इलाज नहीं कराते हैं तो इसका एक के जरिए कई लोगों में प्रसार हो सकता है। अगर एक मरीज 10 लोगों को संक्रमित कर सकता है तो फिर वह भी कई और लोगों को संक्रमित कर देगा। इसलिए हल्का सा लक्षण दिखे तो तत्काल जांच कराएं और जांच में पुष्टि हो जाती है तो इलाज कराएं। डॉ दीनानाथ ने कहा कि टीबी अब छुआछूत की बीमारी नहीं रही। इसे लेकर लोगों को अपना भ्रम तोड़ना होगा। टीबी का मरीज दिखे तो उससे दूरी बनाने के बजाय उसे इलाज के लिए प्रोत्साहित करना होगा। इससे समाज में जागरूकता बढ़ेगी और जागरूकता बढ़ने से इस बीमारी पर जल्द काबू पा लिया जाएगा। ऐसा करने से कई और लोग भी इस अभियान में जुड़ेंगे और धीरे-धीरे टीबी समाप्त हो जाएगा।

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