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टीबी ग्रसित व्यक्ति को बोन टीबी होने की संभावना सर्वाधिक

• हड्डियों में लगातार रहे दर्द तो हो जाएँ सावधान
• ससमय उपचार नहीं होने से लकवा से ग्रसित होने की रहती संभावना
पटना, 16 फ़रवरी-

हमारी हड्डियां कैल्सियम, फॉस्फोरस, विटामिंस और मिनरल्स से बनी होती हैं। इनमें से किसी भी पदार्थ की कमी हड्डियों के लिए नुकसानदायक साबित हो सकती है। आजकल की तनावग्रस्त जीवनशैली भी हड्डियों की सेहत के लिए नुकसानदायक साबित हो रही है क्यूंकि व्यस्तता की वजह से लोग हड्डी की किसी भी परेशानी को नजरंदाज करते हैं| टीबी भी आज के समय में एक आम, लेकिन गंभीर बीमारी बन गई है। यदि टीबी ग्रस्त व्यक्ति को हड्डी में दर्द हो रहा है या सूजन है, तो यह बोन संबंधी टीबी हो सकता है।
हड्डियों में लगातार रहे दर्द तो हो जाएँ सावधान:
संक्रमण के कारण स्वस्थ व्यक्ति भी इस बीमारी की चपेट में आ सकता है। इसे सेकेंड्री इंफेक्श न भी कहा जाता है। शहरों में रहने वाले लोगों की दिनचर्या में शारीरिक श्रम न के बराबर होता है। ऐसी स्थिति में ऑस्टियोपोरोसिस होने की संभावना रहती है,जिससे हड्डियां कमजोर होने के साथ-साथ असहनीय दर्द भी होता है। ऐसे में जरा-सा चोट लगने से हड्डियां कमजोर हो जाती हैं अथवा टूट जाती हैं। आजकल का ऑफिस कल्चर भी हड्डियों के गंभीर रोगों को दावत देता है। लगातार काम करना,तनाव,कुर्सी पर बैठे रहने से सरवाइकल,पीठ में दर्द और जोड़ों में दर्द जैसी समस्याएं बेहद कम उम्र में ही सामने आने लगी हैं|
पीएमसीएच के हड्डी रोग विशेषज्ञ विशेषग्य और सर्जन डॉ. निर्मल नारायण बताते हैं शुरुआत में साधारण महसूस होने वाले ये दर्द यदि बढ़ जाएं या इन पर ध्यान न दिया जाए,तो व्यक्ति लकवाग्रस्त भी हो सकता है। पैरों में होने वाला दर्द थकान से भी हो सकता है या फिर इसके पीछे कोई दूसरा कारण भी हो सकता है। यदि व्यक्ति धूम्रपान करता है,तो इस दर्द को गंभीरता से लेना चाहिए। धूम्रपान से भी हड्डियों की नसों में खून की सप्लाई रुक जाती है और दर्द होने लगता है,इसे बर्जर डिसीज कहते हैं। उपचार न होने पर हड्डियां कमजोर हो सकती हैं।
बोन टीबी के कारण:
डॉ. निर्मल नारायण के अनुसार टीबी ग्रसित व्यक्ति को बोन टीबी होने की का संभावना खतरा सर्वाधिक होती ता है.| इसके अलावा संक्रमण, खानपान सही न होना, शारीरिक श्रम का अभाव, व्यायाम नहीं करना और विटामिन डी की कमी भी व्यक्ति को इस रोग की चपेट में ला सकता है.| डॉ. नारायण ने बताया शुरुआती स्तर पर यदि बोन ‘टीबी की पहचान हो जाए, तो इसे दवाओं से नियंत्रित किया जा सकता है, लेकिन ज्यादातर मामलों में सर्जरी ही विकल्प होता है। बोन संबंधी टीबी में ज्यादातर मरीज दवाओं से सही हो जाते हैं किन्तु अगर बीमारी की पहचान देर से हुई है, तो सर्जरी करनी होती है।
डॉ. नारायण ने बताया रोजाना व्यायाम को अपनी दिनचर्या में शामिल करें। संतुलित भोजन जिसमें, आयोडिन और मिनरल्स की प्रचुर मात्रा भी हो, उसे अपने रोजाना के आहार में शामिल करें। दर्द की को अनदेखी खा करने से यह बड़ी बीमारी बन सकती ता है।

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