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टीबी मरीजों और उसकी देखभाल करने वालों की समस्याओं का हुआ समाधान

-नाथनगर रेफरल अस्पताल में टीबी केयर एंड सपोर्ट ग्रुप की बैठक
बैठक में टीबी मरीजों को इससे उबरने के बताए गए तौर-तरीके
भागलपुर, 30 अप्रैल –
नाथनगर रेफरल अस्पताल में शनिवार को कर्नाटका हेल्थ प्रमोशन ट्रस्ट (केएचपीटी) ने टीबी केयर एंड सपोर्ट ग्रुप की बैठक की। बैठक में स्वास्थ्य विभाग ने भी सहयोग किया। इस दौरान 10 टीबी मरीज, आठ उनके केयर गिवर और एक टीबी चैंपियन मौजूद थे। इस दौरान टीबी मरीजों की समस्याओं का समाधान डॉ. शाकिर नदीम, डॉ. चिश्तिया मनसूर और एसटीएस कृति भारती ने किया। कार्यक्रम में के एचपीटी के कम्युनिटी को-ऑर्डिनेटर सुमित कुमार और फैयाज खान ने महत्पवूर्ण भूमिका निभाई। बैठक के दौरान सही खान-पान, पोषण, साफ सफाई के बारे में बताया गया। साथ ही टीबी के प्रति लोगों में जो भ्रांतियां हैं, उसे कैसे दूर किया जाए और राष्ट्रीय यक्ष्मा उन्मूलन कार्यक्रम जैसे मुद्दों पर चर्चा हुई।
डॉ. शाकिर नदीम ने बताया कि किसी व्यक्ति को लगातार दो हफ्ते या उससे ज्यादा समय तक खांसी, बलगम के साथ खून का आना, शाम को बुखार आना या वजन कम होना की शिकायत हो तो उसे तुरंत नजदीक के सरकारी अस्पताल में ले जाकर जांच कराने की सलाह दें। ये टीबी के लक्षण हैं। साथ ही उन्हें यह भी बताएं कि सरकारी अस्पताल में टीबी की जांच और इलाज पूरी तरह मुफ्त है। लोगों को जागरूक कर ही टीबी बीमारी को समाज से मुक्त कर सकते हैं। डॉ. नदीम ने बताया कि टीबी के अधिकतर मामले घनी आबादी वाले इलाके में पाए जाते हैं। वहां पर गरीबी रहती है। लोगों को सही आहार नहीं मिल पाता और वह टीबी की चपेट में आ जाते हैं। इसलिए हमलोग घनी आबादी वाले इलाके में लगातार जागरूकता अभियान चला रहे हैं। लोगों को बचाव की जानकारी दे रहे हैं और साथ में सही पोषण लेने के लिए भी जागरूक कर रहे हैं।
बीच में दवा नहीं छोड़ेः वहीं डॉ. चिश्तिया मनसूर ने बताया कि टीबी की दवा आमतौर पर छह महीने तक चलती है। कुछ पहले भी ठीक हो जाते और कुछ लोगों को थोड़ा अधिक समय भी लगता है। इसलिए जब तक टीबी की बीमारी पूरी तरह ठीक नहीं हो जाए, तब तक दवा का सेवन छोड़ना नहीं चाहिए। बीच में दवा छोड़ने से एमडीआर टीबी होने का खतरा बढ़ जाता है। अगर कोई एमडीआर टीबी की चपेट में आ जाता है तो उसे ठीक होने में डेढ़ से दो साल लग जाते हैं। इसलिए टीबी की दवा बीच में नहीं छोड़ें। जब तक आप पूरी तरह से ठीक नहीं हो जाते हैं तब तक दवा खाते रहें।
भोजन के लिए मरीजों के मिलते हैं पैसेः दरअसल, टीबी उन्मूलन को लेकर सरकार गंभीर है। इसीलिए  टीबी की जांच से लेकर इलाज तक की सुविधा मुफ्त है। साथ ही पौष्टिक भोजन करने के लिए टीबी मरीज को पांच सौ रुपये महीने छह महीने तक मिलता भी है। इसलिए अगर कोई आर्थिक तौर पर कमजोर भी है और उसमें टीबी के लक्षण दिखे तो उसे घबराना नहीं चाहिए। नजदीकी सरकारी अस्पताल में जाकर जांच करानी चाहिए। दो सप्ताह तक लगातार खांसी होना या खांसी में खून निकलने जैसे लक्षण दिखे तो तत्काल सरकारी अस्पताल जाना चाहिए।

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