स्वास्थ्य

नवजात को स्वास्थ्य की परेशानियाँ से दूर रखने को रोग-प्रतिरोधक क्षमता को ले रहें सजग 

– मजबूत रोग-प्रतिरोधक क्षमता संक्रामक बीमारी से भी रखता दूर और स्वस्थ शरीर का होता है निर्माण 

– जन्म के बाद छः माह तक सिर्फ कराएं नवजात को माँ का स्तनपान, विकसित होगी रोग-प्रतिरोधक क्षमता 

मुंगेर, 11 फरवरी
नवजात के स्वस्थ शरीर निर्माण के लिए नवजात का उचित देखभाल सबसे महत्वपूर्ण है। इसे सुनिश्चित करने में सबसे बड़ा योगदान नवजात की माँ का ही होता है। किन्तु, इसमें थोड़ी सी लापरवाही से नवजात बार-बार बीमार होने लगता है। जिससे वह शारीरिक रूप से भी बेहद कमजोर होने लगता है। बार-बार बीमार होना कमजोर रोग-प्रतिरोधक क्षमता का बड़ा संकेत है। इसलिए, जन्म के बाद नवजात की  रोग-प्रतिरोधक क्षमता समेत अन्य देखभाल को लेकर पूरी तरह सजग रहें। इसके लिए नवजात की उचित देखभाल के साथ-साथ जन्म के बाद छह माह तक नवजात को सिर्फ माँ का ही स्तनपान कराएं। इससे ना सिर्फ बच्चे स्वस्थ्य रहते बल्कि, उसकी  रोग-प्रतिरोधक क्षमता भी मजबूत होती है। 

– माँ के दूध से बच्चों की विकसित होती है रोग- प्रतिरोधक क्षमता : 
सिविल सर्जन डॉ. हरेन्द्र आलोक ने बताया, उचित पोषण से ही बच्चों का शारीरिक और मानसिक विकास होगा और बच्चे स्वस्थ्य रहेंगे। इसलिए, शिशु को जन्म के पश्चात छह माह तक सिर्फ और सिर्फ माँ के ही दूध का सेवन कराएं। माँ का दूध बच्चों के लिए अमृत के समान होता और स्वस्थ्य शरीर निर्माण के लिए महत्वपूर्ण है। माँ के दूध में मौजूद पोषक तत्व जैसे पानी, प्रोटीन, विटामिन, कार्बोहाइड्रेट मिनरल्स, वसा, कैलोरी, शिशु को न सिर्फ बीमारियों से बचाते , बल्कि उनमें रोग-प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाते हैं। इसके साथ ही बच्चे की पाचन क्रिया भी मजबूत होती है। इसलिए, मां के दूध को शिशु का प्रथम टीका कहा गया है, जो छह माह तक के बच्चे के लिए बेहद जरूरी है। वहीं, छह माह के बाद बच्चे के सतत विकास के लिए ऊपरी आहार की जरूरत पड़ती है। लेकिन, इस दौरान यह ध्यान रखना सबसे ज्यादा जरूरी हो जाता है कि उसे कैसा आहार दें। 

– मजबूत रोग-प्रतिरोधक क्षमता संक्रामक बीमारी से भी रखता है दूर : 
जिला स्वास्थ्य समिति के जिला कार्यक्रम समन्वयक (डीपीसी) विकास कुमार ने बताया कि मजबूत रोग- प्रतिरोधक क्षमता संक्रामक बीमारी से भी दूर रखता है। इसलिए, बच्चों की रोग- प्रतिरोधक क्षमता को लेकर शुरुआती दौर से ही सजग रहें। दरअसल, अगर शुरुआती दौर में ही बच्चे की रोग-प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होगी तो नवजात के स्वस्थ शरीर का निर्माण होगा और वह आगे भी शारीरिक रूप से मजबूत होगा। 

– जन्म के बाद एक घंटे के अंदर नवजात को पिलाएं माँ का दूध : 
एनआरसी मुंगेर की फीडिंग डिमांस्ट्रेटर रचना भारती ने बताया कि नवजात के स्वस्थ शरीर निर्माण के लिए जन्म के बाद एक घंटे के अंदर नवजात को माँ का दूध पिलाएं। इसके सेवन से नवजात की रोग- प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है। किन्तु, जानकारी के अभाव में कुछ लोग इसे गंदा या बेकार दूध समझ नवजात को नहीं पिलाते हैं। जबकि, सच यह है कि माँ का पहला गाढ़ा-पीला दूध नवजात के लिए काफी फायदेमंद होता है। 

– छह माह के बाद ही नवजात को दें ऊपरी आहार : 
उन्होंने बताया कि नवजात को छह माह के बाद ही किसी प्रकार का बाहरी या ऊपरी आहार दें। छह माह तक सिर्फ और सिर्फ माँ का ही स्तनपान कराएं। इसके अगले कम से कम से कम दो वर्षों तक ऊपरी आहार के साथ माँ का स्तनपान भी जारी रखें। साथ ही लालन-पालन के दौरान साफ-सफाई का भी विशेष ख्याल रखें। बच्चों को गोद लेने के पहले खुद अपने हाथों को अच्छी तरह से धो लें, बच्चों को हमेशा साफ कपड़ा पहनाएं, गीला व गंदा कपड़ा से बच्चे को हमेशा दूर रखें। इससे वह संक्रामक बीमारी से दूर रहेगा। 

– संम्पूर्ण टीकाकरण पर दें बल : 
जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी (डीआईओ) राजेश कुमार रौशन ने बताया कि संम्पूर्ण टीकाकरण बच्चे को कई तरह के बीमारियों से दूर रखता और बच्चे की रोग-प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है। इसलिए, बच्चे का संम्पूर्ण टीकाकरण कराएं। इसमें किसी प्रकार की लापरवाही बिलकुल नहीं करें।

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