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पोषण पुनर्वास केंद्र मुंगेर में कुपोषित बच्चों को मिल रही सुविधाएं, बच्चे हो रहे हैं स्वस्थ

  • संग्रामपुर प्रखंड क्षेत्र के रामपुर गांव से डेढ़ वर्षीय कुपोषित दिलखुश कुमार को 11 नवम्बर 2019 को एनआरसी मुंगेर में कराया गया था भर्ती
  • 20 दिनों तक एनआरसी मुंगेर में दिलखुश को रखकर उसके पोषण सहित अन्य आवश्यक चीजों का रखा गया ख्याल तो दिखा सकारात्मक असर

मुंगेर, 08 फरवरी-

आज से लगभग 15 महीने पूर्व कुपोषण के शिकार दिलखुश कुमार जिसकी उम्र आज लगभग तीन साल है को डेढ़ वर्ष की उम्र में आरबीएसके संग्रामपुर की डॉक्टरों की टीम ने रामपुर गांव के आंगनबाड़ी केंद्र से चिह्नित करने के बाद 06 नवंबर 2019 को पोषण एवं पुनर्वास केंद्र (एनआरसी) मुंगेर में भर्ती कराया था। दिलखुश कुमार को उस समय कुपोषण के साथ ही जन्मजात विकृति कटे ओठ और तालू की समस्या के साथ एनआरसी में भर्ती कराया गया था। जहां 20 दिनों तक बच्चे को रखने के बाद उसके पोषण पर पूरा ध्यान दिया गया । इसका सकारात्मक असर भी देखने को मिला| एनआरसी में भर्ती कराए जाने के वक्त बच्चे की उम्र के साथ उसका वजन काफी कम था| बीस दिन तक रखने के बाद उसका वजन 7.200 किलो से बढ़कर 8.550 किलो हो गया। बीस दिनों तक बच्चे पोषण स्तर को ठीक करने के बाद आरबीएसके टीम के द्वारा दिलखुश के जन्मजात विकृति कटे ओठ और तालू के ऑपरेशन के लिए पटना स्थित इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान शेखपुरा रेफर कर दिया गया। दिलखुश और उसके परिवार को सदर हॉस्पिटल मुंगेर की ओर से सारी सुविधाओं के साथ एम्बुलेंस से आईजीएमएस पटना भेजा गया| बच्चे का ऑपरेशन होने तक आरबीएसके टीम के द्वारा रेगुलर मॉनिटरिंग की गई। ऑपरेशन हो जाने के बाद परिवार को सदर हॉस्पिटल द्वारा एम्बुलेंस से ही पटना से मुंगेर और फिर उसके घर तक भेजा गया। आज दिलखुश पूरी तरह से स्वस्थ्य है। पोषण एवं पुनर्वास केंद्र मुंगेर के नोडल अधिकारी विकास कुमार ने यह जानकारी दी|
कुपोषित बच्चों या जन्मजात विकृतियों के साथ जन्म लेने वाले बच्चों को पोषण एवं पुनर्वास केंद्र एवं डिस्ट्रिक्ट अर्ली इंटरवेंशन सेंटर (डीईआईसी) में भर्ती कराया जाता-
नोडल अधिकारी विकास कुमार ने बताया कि राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) टीम के द्वारा जिले के विभिन्न प्रखंड क्षेत्र अंतर्गत आंगनबाड़ी केंद्रों, प्राथमिक विद्यालयों और डिलीवरी सेंटर से कुपोषित बच्चों या जन्मजात विकृतियों के साथ जन्म लेने वाले बच्चों को चिह्नित कर पोषण एवं पुनर्वास केंद्र (एनआरसी) एवं डिस्ट्रिक्ट अर्ली इंटरवेंशन सेंटर (डीईआईसी) में भर्ती कराया जाता है । इन सेंटरों पर कुपोषित बच्चों के पोषण का ख्याल रखते हुए पोषक तत्वों से युक्त खाद्य पदार्थ खाने के लिए दिए जाते हैं। इसी तरह जन्मजात विकृतियों के साथ जन्म लेने वाले बच्चों को बेहतर इलाज के लिए डिस्ट्रिक्ट अर्ली इंटरवेंशन सेंटर में भर्ती कराया जाता है।

बच्चे का उम्र के अनुसार वजन काफी कम था –
एनआरसी मुंगेर में फीडिंग डेमोस्ट्रेटर के पद पर कार्यरत रचना भारती ने बताया कि 06 नवंबर 2019 को संग्रामपुर प्रखंड के रामपुर गांव के रहने वाले टीटो मांझी और राधा कुमारी के बेटे 18 महीने दिलखुश कुमार को सदर हॉस्पिटल स्थित एनआरसी में भर्ती कराया गया था। बच्चे को संग्रामपुर पीएचसी में कार्यरत आशा कार्यकर्ता आरबीएसके टीम की सदस्य नीलम कुमारी ने रेफर किया था। बच्चे को 25 नवंबर 2019 को डिस्चार्ज कर दिया गया । उन्होंने बताया कि बच्चे के एडमिशन के समय वजन 7.200 किलो, एमयूएसी 12.6 और लम्बाई 74.6 सेंटीमीटर था और डिस्चार्ज करने के समय 8.550 किलो, एमयूएसी 12.8 और लम्बाई 74.6 सेंटीमीटर था। उन्होंने बताया कि दिलखुश के एडमिशन के समय मेडिकल कॉम्प्लिकेशन की स्थिति थी। उन्होंने बताया कि बच्चे का उम्र के अनुसार वजन काफी कम था । उम्र के अनुसार वजन 8.280 होना चाहिए था जिसे भर्ती कराए जाने के 17 वें दिन 22 नवंबर 2019 को ही प्राप्त कर लिया गया।

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