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फाइलेरिया उन्मूलन: एमडीए कार्यक्रम को सफल बनाने को आपस में समन्वय स्थापित करें सभी संबंधित विभाग

  • आगामी 20 सितंबर से शुरू हो रहे एमडीए कार्यक्रम के तहत फिंगर मार्किंग की जगह की जाएगी वाल मार्किंग
  • जनवितरण प्रणाली के डीलर भी अपने सामने लोगों को दवा खाने के लिए करेंगे प्रेरित

जमुई, 10 सितंबर| फाइलेरिया उन्मूलन के लिए जिला मुख्यालय सहित अन्य प्रखंडों में आगामी 20 सितंबर से शुरू होने वाले मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एमडीए) की सफलता के लिए सभी विभाग आपस में समन्वय स्थापित करें। उक्त बातें शुक्रवार को एमडीए कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए जमुई जिला मुख्यालय स्थित जिलाधिकारी कार्यालय के सभागार में आयोजित बैठक की अध्यक्षता करते हुए जिला के सिविल सर्जन डॉ. अजय कुमार भारती ने कही। उन्होंने बताया कि एमडीए कार्यक्रम के दौरान इस बार कोरोना संक्रमण की संभावनाओं को देखते हुए फिंगर मार्किंग की जगह वाल मार्किंग की जायेगी। इस अवसर पर जिला स्वास्थ्य समिति जमुई के जिला कार्यक्रम प्रबंधक सुधांशु लाल, डीटीएल केयर संजय कुमार सिंह, डब्ल्यूएचओ के डॉ. शांतनु सेन, पीसीआई के प्रिंस कुमार और रॉबिन्स कुमार के साथ जमुई के सभी प्रखंड़ों के बीडीओ, आईसीडीएस के अधिकारी, सभी पीएचसी और सीएचसी के मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी, प्रखण्ड स्वास्थ्य प्रबंधक, प्रखंड सामुदायिक उत्प्रेरक सहित कई अन्य लोग उपस्थित थे।
आशा घर- घर जाकर 2 साल से अधिक उम्र के लोगों को अपने सामने फाइलेरिया की दवा खिलाएंगी
बैठक को संबोधित करते हुए जिला वेक्टर बोर्न डिजीज कंट्रोल ऑफिसर डॉ. डीके धुसिया ने बताया की फाइलेरिया पर प्रभावी नियंत्रण के लिए जिले में 20 सितंबर से सर्वजन दवा सेवन (एमडीए) कार्यक्रम चलाया जाएगा। इस अभियान को सफल बनाने के लिए आशा घर- घर जाकर 2 साल से अधिक उम्र के लोगों को अपने सामने फाइलेरिया की दवा खिलाएंगी। इसके साथ ही ग्रामीण क्षेत्र में जन वितरण प्रणाली के तहत लोगों के बीच राशन वितरित करने वाले डीलर भी अपने सामने लोगों को फाइलेरिया की दवा खाने के लिए प्रेरित करेंगे। उन्होंने बताया कि फाइलेरिया एक गंभीर रोग है जिससे फाइलेरिया की दवा सेवन करने के बाद ही बचा जा सकता है। कभी-कभी फाइलेरिया के परजीवी शरीर में होने के बाद भी इसके लक्ष्ण सामने आने में वर्षों लग जाता है। इसलिए फाइलेरिया की दवा का सेवन सभी लोगों के लिए लाभप्रद है।
खाली पेट दवा का सेवन नहीं करें-
उन्होंने बताया लोग खाली पेट दवा का सेवन नहीं करें। उन्होंने बताया कि 2 साल से कम उम्र के बच्चे, गंभीर रोग से ग्रसित एवं गर्भवती महिला को फाइलेरिया की दवा नहीं खिलाई जाएगी। उन्होंने बताया कि अभियान के कुशल क्रियान्वयन के लिए आशाओं की टीम बनाई जाएगी। है। आशाओं के कार्यों के पर्यवेक्षण के लिए डबल्यूएचओ से हर पीएचसी स्तर पर पर्यवेक्षकों की तैनाती की जाएगी । इसके साथ ही जिला स्तर पर जिला अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी इस कार्यक्रम की निगरानी करेंगे ।

ऐसे खानी है दवा :
इस अभियान में डीईसी एवं एलबेंडाजोल की गोलियाँ लोगों की दी जाएगी। 2 से 5 वर्ष तक के बच्चों को डीईसी की एक गोली एवं अलबेंडाजोल की एक गोली, 6 से 14 वर्ष तक के बच्चों को डीईसी की दो गोली एवं अलबेंडाजोल की एक गोली एवं 15 वर्ष से अधिक लोगों को डीईसी की तीन गोली एवं अलबेंडाजोल की एक गोली दी जाएगी। अलबेंडाजोल का सेवन चबाकर किया जाना है।
जन-जागरूकता पर बल :
अभियान के विषय में जन-जागरूकता बढ़ाने में जीविका, पंचायती राज विभाग एवं शिक्षा विभाग के साथ पीसीआई की अहम भूमिका होगी। जिले के सभी स्कूलों में अभियान को लेकर प्रभात फेरी के साथ प्रार्थना सभा में इसके विषय में बच्चों को जागरूक किया जायेगा। जिले में गठित स्वयं सहायता समूहों में जीविका कार्यकर्ता अभियान के दौरान फाइलेरिया दवा के बारे में लोगों को अवगत कराएंगी साथ ही यह सुनश्चित कराएंगी कि अभियान में दवा का सेवन शत-प्रतिशत हो।

क्या है फाइलेरिया: इसे हाथीपांव रोग के नाम से भी जाना जाता है। बुखार का आना, शरीर पर लाल धब्बे या दाग का होना एवं शरीर के अंगों में सूजन का आना फाइलेरिया की शुरुआती लक्ष्ण होते हैं। यह क्यूलेक्स नामक मच्छर के काटने से फैलता है। आमतौर पर बचपन में होने वाला यह संक्रमण लसिका (लिम्फैटिक) प्रणाली को नुकसान पहुँचाता है। फाइलेरिया से जुडी विकलांगता जैसे लिंफोइडिमा (पैरों में सूजन) एवं हाइड्रोसील (अंडकोश की थैली में सूजन) के कारण पीड़ित लोगों को इसके कारण आजीविका एवं काम करने की क्षमता प्रभावित होती है।

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