फाइलेरिया उन्मूलन के लिए संक्रमण की चेन तोड़ना आवश्यक- डॉ. सुभाष चंद्र प्रसाद
• पेशेंट सपोर्ट ग्रुप के सौजन्य से पहली बार फाइलेरिया मरीजों का हुआ उन्मुखीकरण
• मरीजों को वितरित की गयी निशुल्क दवा
• 32 मरीजों को मिली फाइलेरिया प्रबंधन के टिप्स
पटना/ 28 दिसंबर- सरकार एवं स्वास्थ्य विभाग फाईलेरिया से मुक्ति के लिए संकल्पित है और नियमित अंतराल पर एमडीए कार्यक्रम चलाकर लक्षित लोगों को दवा खिलाने की मुहिम चलाती है. सीफार(सेंटर फॉर एडवोकेसी एंड रिसर्च) द्वारा गठित पेशेंट सपोर्ट ग्रुप के सौजन्य से सोमवार को पटना के दीघा स्थित गंगा वैली पार्क में दीघा क्षेत्र में पहली बार फाइलेरिया से होने वाली रुग्णता प्रबंधन एवं विकलांगता रोकने के लिए फाइलेरिया रोगियों का प्रशिक्षण एवं विमर्श का आयोजन किया गया. जिसमें जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यालय के पदाधिकारियों द्वारा प्रशिक्षण प्रदान किया गया. आयोजित कार्यक्रम में फाइलेरिया मरीजों को रोग के समुचित प्रबंधन की जानकारी दी गयी और उनके बीच नि:शुल्क दवा का वितरण भी किया गया.
फाइलेरिया उन्मूलन के लिए संक्रमण की चेन तोड़ना आवश्यक:
मरीजों को फाइलेरिया प्रबंधन और नियमित दवा सेवन के महत्त्व के बारे में जानकारी देते हुए जिला वेक्टर जनित रोग पदाधिकारी डॉ. सुभाष चंद्र प्रसाद ने बताया, संक्रमण की चेन तोड़ने के लिए जरुरी है कि मरीज नियमित रूप से बताये गए दवा का सेवन करें और अपने परिवारजनों को भी चाहे वो मरीज न भी हों तो एमडीए अभियान के दौरान डीइसी एवं एल्बेंडाजोल दवा का सेवन जरुर करने के लिए प्रेरित करें. पाँच साल तक एक बार इन दवाओं के सेवन से कोई भी व्यक्ति आजीवन फाइलेरिया के खतरे से मुक्त हो सकता है. उन्होंने बताया स्वच्छता का ध्यान और सोते समय मच्छरदानी का प्रयोग फाइलेरिया से सुरक्षा देता है.
डॉ. प्रसाद ने बताया फाइलेरिया उन्मूलन के लिए रोग पर दोहरा प्रहार करने की जरुरत है. एक तरफ जहाँ मरीजों का उपचार एवं प्रबंधन तो दुसरे तरफ ज्यादा से ज्यादा लोगों को साल में एक बार डीइसी एवं एल्बेंडाजोल दवा का सेवन कराना. जनमानस को दवा के लाभ के बारे में जागरूक करने की जरुरत है ताकि लोग फाइलेरिया रोग की गंभीरता और उसके खतरे से अवगत हो सकें.
32 मरीजों को मिली फाइलेरिया प्रबंधन के टिप्स:
कार्यक्रम के दौरान फाइलेरिया इंस्पेक्टर मोहम्मद मुस्तफा ने हाथीपाँव से पीड़ित मरीजों को अपने पाँव का सही तरीके से ख्याल रखने के विषय में विस्तार से जानकारी दी. साथ ही उन्होंने पैरों को कैसे साफ़ करना चाहिए, इसके विषय में प्रदर्शन कर जानकारी दी. उन्होंने कहा कि हाथीपाँव से पीड़ित रोगियों को अधिक समय तक खड़ा नहीं रहना चाहिए.साथ ही सोते समय उन्हें अपने पैरों के नीचे एक तकिये रख कर ही सोना चाहिए. बैठने के दौरान घुटने को नहीं मोड़ना चाहिए. इस दौरान 32 फाइलेरिया मरीजों को फाइलेरिया प्रबंधन की जानकारी दी गयी.
मरीजों को संबोधित करते हुए फाइलेरिया इंस्पेक्टर मोहम्मद मुस्तफा ने बताया कि फाइलेरिया को हाथीपावं रोग के नाम से भी जाना जाता है. यह एक दर्दनाक रोग है जिसके कारण शरीर के अंगों में सूजन आ जाती है. यह क्यूलेक्स नामक मच्छर के काटने से फैलता है. आमतौर पर बचपन में होने वाला यह संक्रमण लसिका (लिम्फैटिक) प्रणाली को नुकसान पहुँचाता है. फाइलेरिया से जुडी विकलांगता जैसे लिंफोइडिमा( पैरों में सूजन) एवं हाइड्रोसील(अंडकोश की थैली में सूजन) के कारण पीड़ित लोगों के आजीविका एवं काम करने की क्षमता प्रभावित होती है. उन्होंने बताया कि मरीजों के लिए नियमित रूप से दवा का सेवन नितांत आवश्यक है और जरुरी सावधानियां अपनाकर ग्रसित मरीज भी सामान्य जीवन व्यतीत कर सकता है. नियमित दवा के सेवन के साथ ठंडी चीजों के सेवन से परहेज और व्यक्तिगत स्वच्छता का ध्यान रखकर रोगी काफी हद तक सामान्य जीवन व्यतीत किया जा सकता है.
इस अवसर पर वेक्टर जनित रोग सलाहकार कल्याणी कुमारी, पंकज कुमार, सीफार टीम के राज्य कार्यक्रम प्रबंधक, रणविजय कुमार, जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यालय के अधिकारीगण एवं अन्य उपस्थित थे