फाइलेरिया से बचाव के लिए जरूर खाएं दवा : सीएस
-24 मार्च से घर-घर जाकर खिलाई जाएगी फाईलेरिया से बचाव की दवा
सीफार के सहयोग से मीडिया कार्यशाला का हुआ आयोजन
हाजीपुर- 23 मार्च
सेंटर फॉर एडवोकेसी एंड रिसर्च, स्वास्थ्य विभाग तथा जिला प्रशासन के सहयोग से बुधवार को एनएम स्कूल सभागार में फाइलेरिया उन्मूलन के लिए मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन पर मीडिया कार्यशाला का आयोजन हुआ। कार्यक्रम का शुभारंभ सिविल सर्जन डॉ. अखिलेश कुमार मोहन ने किया।
इस अवसर पर डॉ. मोहन ने कहा कि हाथीपांव के नाम से जाना जाने वाला फाइलेरिया रोग के उन्मूलन के लिये एमडीए-आईडीए कायक्रम जिले में 24 मार्च से शुरू होगा। इस मीडिया वर्कशॉप के माध्यम से जन-जन तक इस बात को पहुंचाना है कि लोग इस दौरान फाइलेरिया दवा का सेवन जरूर करें। सिविल सर्जन ने समुदाय को इस कार्यक्रम में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लेने की बात कही।
ग्रामीण क्षेत्र में 1729 और शहरी में 121 टीम करेगी गृह भ्रमण
जिला वेक्टर बोर्न डिजीज कंट्रोल अधिकारी डॉ सत्येन्द्र प्रसाद सिंह ने बताया कि फाइलेरिया उन्मूलन अभियान के दौरान जिले में 4070668 लोगों को ग्रामीण, जबकि 302101 लोगों को शहरी क्षेत्र में दवा खिलाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इसके लिए ग्रामीण क्षेत्र में 1729 और शहरी में 121 टीम को लगाया गया है।
अभियान के दौरान ग्रामीण क्षेत्र में 594801 घरों और शहरी क्षेत्र के 44143 घरों तक कर्मी भ्रमण करेंगे। इस दौरान वे अपनी निगरानी में दवा खिलाएंगे। दो साल से कम उम्र के बच्चों, गर्भवती महिलाओं और गंभीर रोग से ग्रस्त लोगों को दवा नहीं खिलाई जायेगी। उन्होंने बताया कि जिले के चयनित गांवों में माइक्रो फाइलेरिया परजीवी की जांच के लिए नाइट ब्लड सर्वे किया गया है। नाइट ब्लड सर्वे कर लोगों के रक्त के सैंपल लिए गए हैं, ताकि जिले में फाइलेरिया की स्थिति और नए मरीजों की खोज हो सके।
तीन प्रकार की दवा खिलायी जाएगी
जिला वेक्टर बोर्न डिजीज कंट्रोल अधिकारी डॉ सत्येन्द्र प्रसाद सिंह ने कहा कि एमडीए-आईडीए अभियान को सफल बनाने के लिए स्वास्थ्य विभाग संकल्पित है। अभियान की सफलता के लिए माइक्रो-प्लान बनाया गया है। 24 मार्च से चलने वाले फाइलेरिया उन्मूलन अभियान के तहत घर-घर जाकर लोगों को फाइलेरिया से बचाव के लिए तीन प्रकार की दवा खिलायी जाएगी। जिसमें डीईसी टैबलेट, अल्बेंडाजोल एवं आइवरमेक्टिन दवा शामिल है।
फाइलेरिया दीर्घकालिक विकलांगता का प्रमुख कारण
विश्व स्वास्थ्य संगठन के राज्य समन्वयक डॉ राजेश पांडेय ने कार्यशाला के उद्देश्यों पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि फाइलेरिया या हाथीपांव रोग सार्वजनिक स्वास्थ्य की गंभीर समस्या है। यह रोग मच्छर के काटने से फैलता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार फाइलेरिया दुनिया भर में दीर्घकालिक विकलांगता के प्रमुख कारणों में से एक है। लोगों की जिम्मेदारी है कि जब स्वास्थ्य कर्मी घर पहुंचे तो फाइलेरिया से मुक्ति के लिए दवा का सेवन करें। इन दवाओं के खाने से किसी भी प्रकार के कोई दुष्प्रभाव नहीं होते हैं। कुछ लोगों में दवा का मामूली रिएक्शन जैसे उल्टी, खुजली व बुखार आदि हो सकता है।
आधे से एक घंटे में सब कुछ नार्मल हो जाता है। उन्होंने कहा कि दवा खाने के बाद उन्हीं लोगों को किसी तरह का साइड इफ़ेक्ट होता है जिनके शरीर में पहले से ही फाईलेरिया के परजीवी मौजूद होते हैं।
सीफार के राज्य कार्यक्रम प्रबंधक रणविजय कुमार ने भी इस बीमारी के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए मीडिया की भूमिका पर चर्चा की। वहीं, पीसीआई के अशोक सोनी ने फाईलेरिया पर जागरूकता के लिए पंचायत प्रतिनिधियों एवं जीविका सदस्यों को शामिल करने की बात कही।
मौके पर केयर के प्रतिनिधि सुमित कुमार, सोमनाथ ओझा, प्रीति कुमारी, पीसीआई के अशोक सोनी, डब्ल्यूएचओ से डॉ माधुरी, जीएचएस से दीपक मिश्रा, यूनिसेफ से मधुमिता, चाय से डॉ मानिक, भीबीडीसी धीरेंद्र कुमार उपस्थित रहे।