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भागलपुर लगातार तीसरी बार टीकाकरण में टॉप

अभियान के दौरान 64,990 लोगों को लगाया गया टीका
समस्तीपुर दूसरे और पटना जिला रहा तीसरे स्थान पर

भागलपुर, 3 जुलाई-

जिले में शुक्रवार को टीकाकरण अभियान चलाया गया। इस दौरान 64,990 लोगों को कोरोना का टीका लगाया। जो कि एक रिकॉर्ड बन गया। सूबे में एक दिन में सबसे अधिक टीकाकरण का रिकॉर्ड भागलपुर ने लगातार तीसरी बार बनाया। सिविल सर्जन डॉ. उमेश शर्मा ने बताया कि दूसरे और तीसरे स्थान पर समस्तीपुर व पटना जिला है। इससे पहले भागलपुर में 16 जून को 39591 तो दूसरी बार 21 जून को 52750 जिलेवासियों को कोरोना का टीका लगाया गया था। उस समय भी भागलपुर ने पूरे बिहार में नंबर वन जिला बनने का गौरव हासिल किया था।

शहर में सबसे ज्यादा 8420 को लगा टीका: अभियान के दौरान शहरी क्षेत्र में सबसे ज्यादा 8420 लोगों को कोरोना का टीका लगाया। वहीं बिहपुर में 2390, इस्माइलपुर में 950, गोपालपुर में 1620, गोराडीह में 3490, जगदीशपुर में 2500, कहलगांव में 8000, खरीक में 2300, नारायणपुर में 3000, नाथनगर में 3480, नवगछिया में 5420, पीरपैंती में 8000, रंगरा में 1500, सबौर में 2500, सन्हौला में 2960, शाहकुंड में 4000 और सुल्तानगंज में 4460 लोगों को कोरोना के टीके लगाए गए।

जिले में 474 कोरोना केंद्र बनाए गए थे: टीकाकरण महाअभियान की सफलता को लेकर जिलेभर में 474 टीकाकरण केंद्र बनाए गए थे। शहरी क्षेत्र के सभी वार्डों में टीकाकरण केंद्र बनाए गए थे। इसके अलावा जिला स्कूल और टीचर्स ट्रेनिंग कॉलेज में भी टीकाकरण की व्यवस्था थी। वहीं जिले की सभी 238 पंचायतों में भी टीकाकरण केंद्र बनाए गए थे। जिले के सभी केंद्रों पर टीके के दोनों डोज की व्यवस्था थी।

जनप्रतिनिधियों का भी मिला साथ: टीकाकरण अभियान में स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने भी अपनी भूमिका निभाई। शहरी क्षेत्र में जहां वार्ड पार्षद सक्रिय दिखे तो पंचायतों में मुखिया, सरपंच से लेकर वार्ड प्रतिनिधि तक लोगों को टीकाकरण केंद्रों तक ले जाते दिखे। आशा और आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के साथ ये लोग सहयोग करते दिखे। स्थानीय जनप्रतिनिधियों की बदौलत ही टीककारण की संख्या इतना आगे जा सका।
कोरोना काल में इन उचित व्यवहारों का करें पालन

  • एल्कोहल आधारित सैनिटाइजर का प्रयोग करें।
  • सार्वजनिक जगहों पर हमेशा फेस कवर या मास्क पहनें।
  • अपने हाथ को साबुन व पानी से लगातार धोएं।
  • आंख, नाक और मुंह को छूने से बचें।
  • छींकते या खांसते वक्त मुंह को रूमाल से ढकें।

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