रंगरा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में इलाज कराने उमड़ी भीड़
-स्वास्थ्य मेला में 586 से भी अधिक लोगों की जांच व इलाज हुआ
-स्वास्थ्य मेला में टीबी से लेकर ब्लड जांच तक के लगे थे स्टॉल
भागलपुर, 20 अप्रैल-
रंगरा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में बुधवार को स्वास्थ्य मेला लगाया गया। मेला में बढ़ी संख्या में लोग जांच और इलाज कराने के लिए आए। मेला में टीबी, मलेरिया, ब्लड, बीपी और शुगत समेत लगभग सभी बीमारियों की जांच औऱ इलाज को लेकर स्टॉल लगाए गए थे। क्षेत्र के लोग आने के साथ काउंटर पर रजिस्ट्रेशन करवा कर जांच और इलाज के लिए जा रहे थे। व्यवस्था काफी आसान होने की वजह से भी क्षेत्र से काफी संख्या में लोग इलाज कराने के लिए पहुंचे। विभिन्न काउंटरों पर 586 से अधिक लोगों की जांच और इलाज किया गया।
अस्पताल के प्रभारी डॉ. रंजन कुमार ने बताया कि मेला के दौरान अधिक से अधिक लोग इलाज के लिए आ सकें, इसे लेकर हमलोगों ने पहले से काफी तैयारी कर रखी थी। प्रसार-प्रसार के जरिये भी 20 अप्रैल को रंगरा में मेला लगने की लोगों की जानकारी दी जा रही थी। साथ में लोगों को यह भी बताया जा रहा था कि मेला के दौरान लगभग सभी तरह की बीमारियों का इलाज किया जाएगा। इस कारण काफी संख्या में लोग इलाज कराने के लिए पहुंचे। मेला में आने वाले लोगों को रजिस्ट्रेशन के बाद संबंधित काउंटर पर जांच के लिए भेज दिया जाता था। जहां पर जांच के बाद रिपोर्ट आने पर इलाज भी किया जा रहा था। साथ में दवा का भी वितरण किया गया। कुछ बीमारियों के सभावित मरीजों के सैंपल ले लिए गए। इसकी जांच रिपोर्ट बाद में आएगी, जिसके बाद उसका इलाज किया जाएगा। खासकर टीबी के संभावित मरीजों का सैंपल स्क्रीनिंग के लिए लिया गया है। रिपोर्ट आते ही ऐसे लोगों को परामर्श दी जाएगी। इलाज की जरूरत हुई तो इलाज भी किया जाएगा।
परिवार नियोजन का स्टॉल रहा आकर्षण का केंद्रः स्वास्थ्य मेला के दौरान परिवार नियोजन का काउंटर आकर्षण का केंद्र रहा। इस स्टॉल पर लोगों को अस्थाई सामग्री के वितरण के साथ-साथ परिवार नियोजन को लेकर काउंसिलिंग भी की जा रही थी। लोगों को परिवार नियोजन के प्रति जागरूक किया जा रहा था। इसके लिए अस्थायी संसाधनों के इस्तेमाल पर लोगों को प्रोत्साहित भी किया गया। इसके अलावा मेला में पोषण स्टॉल पर भी अच्छी खासी भीड़ देखी गई। लोग महिलाओं और बच्चों से संबंधित पोषण के बारे में जानकारी ले रहे थे। पोषण स्टॉल पर लोगों को बच्चों के सही पोषण के बारे में बताया जा रहा था। खासकर नवजात को छह माह तक मां के दूध का ही सेवन करने की सलाह दी जा रही थी। इसके अलावा गर्भवती और धातृ महिलाओं को अधिक से अधिक प्रोटीन लेने की सलाह दी जा रही थी।