सही समय पर सही जांच और इलाज के बाद टीबी लाइलाज नहीं : पवन कुमार
- जिला यक्ष्मा केंद्र मुंगेर और सभी प्रखण्ड स्तरीय अस्पतालों में उपलब्ध है टीबी की जांच और इलाज की बेहतर व्यवस्था
- लंबे समय तक खांसी रहने के बाद न करें अनदेखा, तत्काल जांच कराने के बाद शुरू करें बेहतर इलाज
मुंगेर-
सही समय पर सही जगह टीबी कि जांच, बेहतर इलाज और दवाओं के नियमित इस्तेमाल करने के बाद टीबी की बीमारी लाइलाज नहीं है। उक्त बातें टीबी बीमारी पर जीत हासिल कर चुके मुंगेर जिला मुख्यालय के घोषी टोला निवासी पवन कुमार ने कही। पवन कुमार आईसीआईसीआई बैंक के अधिकृत ग्राहक सेवा केंद्र बनाने के काम करने के साथ ही फोन पे के क्यू आर कोड बनाने का काम करता है। उन्होंने बताया कि वो अभी एक राजनीतिक पार्टी से भी जुड़े हैं | उन्होंने बताया कि सन 2017 में खांसी की परेशानी शुरू हुईं तो मैंने समझा कि साधारण खांसी है| थोड़ी बहुत दवा लेने के बाद ठीक हो जाएगी। बावजूद इसके खांसी ठीक नहीं हुई| यह दौर लगभग पांच- छह महीने तक चलता रहा। अक्टूबर- नवंबर के मौसम में अपने किसी रिश्तेदार की शादी में बारात गया हुआ था। वहां से लौटने के बाद मुझे तेज खांसी होने लगी और उसके साथ उल्टी भी शुरू हो गई। साथ ही उल्टी के साथ खून भी आने लगा। तब मेरे परिवार वालों ने तत्काल इलाज करने के लिए पास में रहने वाले कंपाउंडर को बुलाया तो उन्होंने अपनी जानकारी के अनुसार इलाज शुरू की। इसके बाद मैने मुंगेर के नामी- गिरामी प्राइवेट डॉ सुनील कुमार, डॉ. राम प्रवेश और डॉ. केके वाजपेयी के यहां बारी- बारी से अपना इलाज करवाया। बावजूद इसके किसी भी डॉक्टर को मेरी परेशानी के सही कारणों का पता नहीं चल पाया। इसके बाद मैंने मुंगेर के ही डॉ प्रभाकर सिंह से मिल कर अपनी परेशानी बताई तो उन्हें भी सन्देह हुआ कि क्या वजह है कि टीबी का इलाज चलने के बाद भी बीमारी समझ में नहीं आ रही है। बीमारी ठीक नहीं हो पा रही है| कहीं इसे टीबी का विकृत स्वरूप तो नहीं हो गया है।
ड्रग रेसिस्टेंट का केस मिलने के बाद आगे की जांच और इलाज के लिए ड्रग रेसिस्टेंट टीबी सेंटर भागलपुर रेफर किया गया-
पवन कुमार ने बताया कि मेरी स्थिति देखने के बाद मेरे पडोस परोस में रहने वाले जिला यक्ष्मा केंद्र मुंगेर में काम करने वाले के स्वास्थ्य य कर्मी ने जिला यक्ष्मा केंद्र जाकर टीबी कि जांच और बेहरत इलाज कराने की सलाह दी थी| लेकिन उस समय भी मैने उनकी सलाह पर अमल नहीं करते हुए बेहतर इलाज के लिए पीएमसीएच पटना के डॉक्टर के निजी क्लीनिक गया और उनसे अपनी बीमारी की कि इलाज करवाई। इसके बाद पीएमसीएच में भी कुछ दिनों तक इलाज चला। इसके बावजूद भी बीमारी के सही कारणों का पता नहीं चल पाया। फिर थक- हारकर में वापस अपने घर मुंगेर लौट आया तो पड़ोस परोस में रहने वाले जिला यक्ष्मा केंद्र के स्वास्थ्य य कर्मी ने फिर से जिला यक्ष्मा केंद आकर जांच और इलाज करने की सलाह दी। इसके बाद मैंने उनके सलाह को मानते हुए जिला यक्ष्मा केंद्र गया आया और टीबी की का सिविनेट जांच करायी या तो पता चला कि मुझे टीबी का विकृत स्वरूप ड्रग रेसिस्टेंट का केस है। 11 नवंबर 2017 को मेरी रा यहां सिविनेट जांच हुई हुआ और ड्रग रेसिस्टेंट का केस मिलने के बाद मुझे आगे की के जांच और इलाज के लिए यहां से ड्रग रेसिस्टेंट टीबी सेंटर भागलपुर रेफर किया गया। जहां आवश्यक जांच के बाद मेरी दवाई शुरू की गई। वहां बेहतर सुविधाओं और डॉक्टर सहित अन्य मेडिकल स्टाफ के सहयोग से मेरी स्थिति में काफी सुधार हुआ। भागलपुर में एक सप्ताह इलाज चलने के बाद बेहतर स्थिति होने के बाद मुझे वापस मुंगेर भेज दिया गया। यहां वापस आने के बाद शलेन्दु सर के निर्देशन में मेरा इलाज शुरू हुआ। दिनांक 18 नवंबर 2017 से लेकर लगातार 24 महीने तक मेरा यहां इलाज चलता रहा। इस दौरान मैंने लगातार टीबी की कि दवाइयां ली।
24 महीने तक मिलती रही आर्थिक सहायता राशि :
पवन कुमार ने बताया कि इलाज के दौरान लगातार 24 महीने तक जिला यक्ष्मा केंद्र से खाने- पीने के तौर पर आर्थिक सहायता के रूप में 500 रुपये प्रति माह के दर से सहायता राशि मिलती ता रही हा। उन्होंने बताया कि इलाज के दौरान शलेदु सर सहित अन्य सभी स्टाफ ने अपने परिवार का सदस्य समझकर मेरी हर सम्भव सहायता की और मुझे इस बीमारी से निजात दिलायी या। उन्होंने बताया कि जब मुझे बीमारी का पता चला तो मैंने खुद सामाजिक दूरी के नियम का पालन का पालन करते हुए सबों से एक निश्चित दूरी बना ली। इसके बावजूद मेरे परिवार वाले और अन्य शुभचिन्तकों ने हमेशा हमारी हौसला अफजाई करते हुए बीमारी से लड़ने के लिए प्रेरित किया। आम लोगों से अपील करते हुए उन्होंने कहा कि लंबे समय तक खांसी रहने के बाद तत्काल बलगम की कि जांच कराएं और टीबी का संदेह होने पर बिना देर किए इधर-उधर इलाज के चक्कर में न फंसकर सीधे जिला यक्ष्मा केंद्र मुंगेर या अन्य सरकारी अस्पताल में जांच कराएं और टीबी का सही इलाज कराते हुए निर्धारित समय तक नियमित दवाओं का सेवन करें।
सही जगह, सही समय पर सही इलाज करवाने के बाद टीबी अब लाइलाज बीमारी नहीं-
जिला यक्ष्मा केंद्र मुंगेर के जिला यक्ष्मा/टीबी रोग समन्वयक शलेन्दु कुमार ने बताया कि सही जगह, सही समय पर सही इलाज करवाने के बाद टीबी अब लाइईलाज बीमारी नहीं है। उन्होंने बताया कि जिस किसी को टीबी होने का संदेह हो वो तत्काल जिला यक्ष्मा केंद्र मुंगेर या अन्य सरकारी अस्पतालों में जाकर अपनी जांच कराएं और टीबी का सही प्रोपर इलाज शुरू करें। इसके लिए प्रखंड स्तर पर प्रत्येक पीएचसी में टीबी मरीजों की कि देखरेख के लिए सीनियर ट्रीटमेंट सुपरवाइजर कार्यरत कार्ररत हैं। कोई भी व्यक्ति ब्यक्ति टीबी का संदेह होने पर उसे नजरअंदाज नहीं करते हुए जांच और इलाज के लिए सरकारी अस्पतालों में आएं और अपना इलाज करवाएं| तभी 2025 तक देश को टीबी मुक्त बनाने का प्रधानमंत्री का सपना साकार हो पाएगा।