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सुरक्षित और सामान्य प्रसव के लिए प्रसव पूर्व जाँच बेहद जरूरी : सिविल सर्जन 

– प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान के तहत जिले के सभी स्वास्थ्य संस्थानों में शिविर आयोजित कर गर्भवती महिलाओं की हुई प्रसव पूर्व जाँच
– अभियान की सफलता और अधिकाधिक गर्भवती की जाँच सुनिश्चित कराने को लेकर राज्य स्तरीय टीम ने शिविर स्थलों का किया  निरीक्षण
लखीसराय, 09 मई-
सोमवार को जिले के सभी पीएचसी, सीएचसी, रेफरल एवं अनुमंडलीय व जिला अस्पतालों में गर्भवती महिलाओं की  प्रसव पूर्व (एएनसी) जाँच की गई। यह जाँच स्वास्थ्य संस्थानों में प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान के तहत शिविर आयोजित कर की गई। जिसमें बड़ी संख्या में गर्भवती महिलाओं ने अपने क्षेत्र की आशा कार्यकर्ता के सहयोग से अपने-अपने नजदीकी स्वास्थ्य संस्थान में सुरक्षित और सामान्य प्रसव के लिए एएनसी जाँच करवाई। इस दौरान जिले के सभी स्वास्थ्य संस्थानों में गर्भवती की जाँच की गई और जाँच के पश्चात चिकित्सकों द्वारा आवश्यकतानुसार चिकित्सा परामर्श दिया गया। जिसमें रहन-सहन, साफ-सफाई, खान-पान, गर्भावस्था के दौरान बरती जाने वाली सावधानियाँ,  समेत अन्य चिकित्सा परामर्श विस्तारपूर्वक दिया गया। इधर, पटना से आई राज्यस्तरीय टीम में शामिल यूनिसेफ के सरोज कुमार एवं स्टेट क्यूए कंसल्टेंट डाॅ सूरचना ने सदर और रामगढ़ पीएचसी का भ्रमण किया। इस दौरान मौजूद कर्मियों को हाई रिस्क प्रेग्नेंसी वाले लाभार्थियों का विशेष ख्याल रखने समेत अन्य आवश्यक निर्देश दिए। जबकि, स्थानीय सिविल सर्जन डाॅ देवेन्द्र चौधरी समेत अन्य पदाधिकारी ने विभिन्न स्वास्थ्य संस्थानों में आयोजित शिविर का निरीक्षण कर मौजूद कर्मियों को आवश्यक और जरूरी दिशा-निर्देश दिए।
– गर्भवती महिलाओं की हुई समुचित जाँच :
सिविल सर्जन डाॅ देवेन्द्र चौधरी ने बताया आयोजित शिविर में बड़ी संख्या में गर्भवती महिलाएं शामिल हुईं और सुरक्षित व सामान्य प्रसव को बढ़ावा देने के लिए जाँच करवाई। शिविर में जाँच कर रही मेडिकल टीम द्वारा गर्भवती महिलाओं की हीमोग्लोबिन, यूरिन, एचआईवी, ब्लड ग्रुप, बीपी, हार्ट-बीट आदि की भी जाँच की गई। एएनसी जांच के लिए शिविर में मौजूद महिलाओं को प्रसव अवधि के दौरान किसी भी प्रकार की शारीरिक परेशानी होने पर तुरंत चिकित्सकों से जाँच कराने की सलाह दी गई। वहीं, उन्होंने बताया, एएनसी जाँच के दौरान महिलाओं को संस्थागत प्रसव को लेकर जागरूक किया गया। जिसके दौरान सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों में सुरक्षित प्रसव को बढ़ावा देने के लिए उपलब्ध सुविधाओं की जानकारी दी गई। ताकि महिलाओं में सुरक्षा के दृष्टिकोण से संस्थागत प्रसव को लेकर किसी प्रकार की हिचकिचाहट नहीं रहे और सभी महिलाएं संस्थागत प्रसव को प्राथमिकता दें।
– सुरक्षित और सामान्य प्रसव के लिए प्रसव पूर्व जाँच जरूरी :
प्रसव अवधि के दौरान किसी भी प्रकार की परेशानी होने पर तुरंत जाँच करानी चाहिए। दरअसल, समय पर जाँच कराने से किसी भी प्रकार की परेशानी का शुरुआती दौर में ही पता चल जाता है और शुरूआती दौर में पता लगने पर ही उसे आसानी से दूर किया जा सकता है। इसके लिए सरकार द्वारा प्रत्येक माह की नौ तारीख को पीएचसी स्तर पर एएनसी जाँच की व्यवस्था की गई है। ताकि प्रसव के दौरान गर्भवती महिलाओं को किसी प्रकार की अनावश्यक शारीरिक परेशानी का सामना नहीं करना पड़े और सुरक्षित प्रसव को बढ़ावा मिल सके। इसलिए, सुरक्षित और सामान्य प्रसव को बढ़ावा देने के लिए गर्भवती महिलाओं को प्रसव पूर्व जाँच कराना जरूरी है।
– शिशु-मृत्यु दर में कमी लाने की है बेहतर व्यवस्था :
सरकार द्वारा गर्भवती महिलाओं की स्वास्थ्य जाँच के लिए की गई यह व्यवस्था शिशु-मृत्यु दर में कमी लाने की बेहतर व्यवस्था है। सरकार की यह व्यवस्था मातृ और शिशु मृत्यु दर को कम करने की दिशा में अच्छी पहल है। इससे ना सिर्फ सुरक्षित प्रसव होगा, बल्कि शिशु-मृत्यु दर पर भी विराम लगेगा। इसके साथ ही जच्चा-बच्चा दोनों को अनावश्यक परेशानियाँ का सामना नहीं करना पड़ेगा। सुरक्षित मातृत्व के लिए प्रसव पूर्व जाँच महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इसके लिए हर माह की नौ तारीख को सभी पीएचसी एवं सरकारी अस्पतालों में प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान के तहत मुफ्त जाँच की जाती है। इसके अलावा स्वास्थ्य विभाग द्वारा विभिन्न कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। ग्राम स्वास्थ्य, स्वच्छता एवं पोषण दिवस आदि कार्यक्रम के माध्यम से एनेमिक गर्भवती महिलाओं की जाँच की जा रही  एवं  सामुदायिक स्तर पर गर्भवती महिलाओं को बेहतर खान-पान के बारे में भी जानकारी दी जा रही है। साथ ही अधिक से अधिक गर्भवती माताओं के प्रसव पूर्व जाँच सुनिश्चित कराने पर बल दिया जा रहा है। गर्भवती महिलाओं की चारों प्रसव पूर्व जांच माता एवं उसके गर्भस्थ शिशु की स्थिति स्पष्ट करती और संभावित जटिलताओं का पता चलता है। लक्षणों के मुताबिक जरूरी चिकित्सीय प्रबंधन किया जाता है ताकि माता और उसके शिशु दोनों स्वस्थ्य रहें।

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