नरेगा मजदूरों के 100 दिवसीय धरने का 47वां दिन: मजदूरों के पक्ष में उमड़ा रहा है समर्थन l Mobile news 24
नरेगा मजदूरों के 100 दिवसीय धरने का 47वां दिन: मजदूरों के पक्ष में उमड़ा रहा है समर्थन
जंतर मंतर पर चल रहे नरेगा मजदूरों के धरने का आज 47 वां दिन है। छत्तीसगढ़ के मजदूर पिछले छः दिनों से
धरना स्थल पर डटे हुए हैं। छत्तीसगढ़ के मजदूरों की आवाज को और मजबूत करने के लिए गुजरात से करीब
45 मजदूर धरना स्थल पर पहुंचे हैं। ये मजदूर अन्न सुरक्षा अभियान से जुड़े हुए हैं। इसी तरह किसानों सघों
और नागरिक समाज के प्रतिनिधियों की ओर से जाहिर किए समर्थन के कारण मजदूरों का संघर्ष व्यापक
होते जा रहा है।
पहला, हन्नान मोल्लाह, कम्युनिस्ट नेता, आठ बार के लोक सभा सांसद और ऑल इंडिया किसान सभा के
सदस्य ने अपना समर्थन दिया। सरकार की नीतियों को कटघरे में खड़ा करते हुए उन्होंने कहा कि बढ़ती
मजदूरी को देखते हुए मजदूरों का मौजूदा मजदूरी दरों पर गुजारा करना नामुमकिन है। कॉमरेड मोल्लाह ने
कहा कि मौजूदा नीतियों के अनुरूप भी नरेगा का बजट काफी नहीं है। सभी पंजीकृत श्रमिकों के लिए 100
दिन के काम हेतु 2.1 लाख करोड़ की जरूरत रहती है।साथ ही, उन्होंने मांग की कि नरेगा के काम के दिनों को
100 से बढ़ाकर 300 किया जाए। और मजदूरी को 600 रुपए प्रतिदिन किया जाए।
इसके बाद, सेंटर फॉर फाइनेंशियल अकाउंटेबिलिटी के अनिर्बान भी मजदूरों के साथ समर्थन जताने के
लिए आए। प्रदर्शन कर रहे श्रमिकों को संबोधित करते हुए, उन्होंने देश में बढ़ रही आर्थिक असमानता के बारे
में बात की, जिसमें शीर्ष 10 फीसद आबादी हर घंटे 130 करोड़ रुपए कमाती है। जबकि बाकी आबादी
बुनियादी जरूरतों को पूरा करने के लिए संघर्ष करती है। इस बीच, केंद्र द्वारा हर दूसरे दिन लोकतांत्रिक
अधिकारों और स्वतंत्रता के ऊपर हमला किया जा रहा है।
छत्तीसगढ़ के श्रमिकों ने नरेगा में राष्ट्रीय निगरानी प्रबंधन प्रणाली (एनएमएमएस) और आधार–आधारित
भुगतान प्रणाली (एबीपीएस) जैसी अपारदर्शी और दुर्गम तकनीकों को लागू करने से उपजे मुद्दों को साझा
किया। छत्तीसगढ़ के सरगुजा जिले के एक श्रमिक धर्मसाई ने शिकायत की कि नवंबर और दिसंबर 2022 में
किए गए 38 दिनों के काम का भुगतान अभी तक नहीं किया गया है। ऑनलाइन उपस्थिति सही तरीके से
दर्ज नहीं हुई, इसी कारण से उनका वेतन नहीं मिला। तब से वो अपने बकाया वेतन के लिए ग्राम रोजगार
सेवक और वन विभाग के बीच चक्कर काट रहे हैं। अफसोस की बात है कि दोनों संस्थाएं जिम्मेदारी लेने से
इनकार कर रही हैं।
साथ ही, सरगुजा जिले के शनिराम ने शिकायत की कि जनवरी से मार्च 2023 के बीच 7 सप्ताह के काम का
एबीपीएस के मुद्दों के कारण भुगतान नहीं किया गया। अधिकारी उसे अपना केवाईसी करवाने के लिए
कहते हैं, जिसके लिए उसने 7 किलोमीटर दूर बैंक के कई चक्कर लगाए लेकिन कोई
फायदा नहीं मिला। अपने आधार को लिंक करने और अन्य केवाईसी से जुड़ी औपचारिकताओं को पूरा
किया पर अभी तक खाता एबीपीएस सक्षम नहीं हुआ है। और इस प्रकार मेहनत की कमाई हासिल नहीं कर
पाए।
नरेगा संघर्ष मोर्चा के बैनर तले, मजदूर अपनी मांगों के पूरा होने तक संघर्ष जारी रखेंगे: (1) एनएमएमएस
ऐप को तत्काल हटाना; (2) 30 जनवरी 2023 के उस आदेश को वापस लेना जिसमें सभी नरेगा भुगतानों को
एबीपीएस के जरिए किए जाने की घोषणा की थी, (3) मजदूरी का समय पर भुगतान, जिसमें उन पर देय
ब्याज के साथ लंबित मजदूरी भी शामिल है, (4) मनरेगा बजट में वृद्धि करना; (5) सालाना 200 कार्य दिवसों
का गारंटीकृत प्रावधान; और (6) मजदूरी दर बढ़ाकर 800 रुपए प्रति दिन।