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टीबी मरीजों को स्वस्थ होने में सहयोग कर रहे पर्यवेक्षक संजय - Mobile News 24 ✓ Hindi men Aaj ka mukhya samachar, taza khabren, news Headline in hindi.
राज्य

टीबी मरीजों को स्वस्थ होने में सहयोग कर रहे पर्यवेक्षक संजय

-मरीजों की जांच से लेकर निगरानी तक का करते हैं काम
-बीच में दवा नहीं छोड़ें , मरीजों को लगातार दे रहे सलाह
बांका, 16 जून-
वर्ष  2025 तक जिले को टीबी से मुक्त बनाना है। इसे लेकर स्वास्थ्य विभाग लगातार अभियान चला रहा है। इस अभियान को सफल बनाने में जिला यक्ष्मा केंद्र के कर्मी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। सदर अस्पताल स्थित जिला यक्ष्मा प्रयोगशाला में तैनात वरीय पर्यवेक्षक संजय कुमार सिंह भी इसमें बढ़-चढ़कर अपनी भूमिका निभा रहे हैं। टीबी मरीजों की जांच से लेकर निगरानी तक में संजय महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।
अभी जिले में 707 टीबी के सक्रिय मरीज हैं। सभी मरीजों पर लगातार निगरानी रख रहे हैं। मरीज दवा का सेवन कर रहा है या नहीं। अगर दवा नहीं ले रहा है तो कहीं एमडीआर टीबी की चपेट में तो नहीं आ गया है, इन चीजों पर लगातार नजर रख रहे हैं। इसका असर भी हो रहा है। जिले में टीबी मरीज लगातार चिह्नित हो रहे  और ठीक भी हो रहे हैं। इसके साथ-साथ टीबी मरीजों को सरकारी सुविधाओं का लाभ दिलाने के काम में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।
टीबी मरीजों पर लगातार रखी जा रही नजरः जिला यक्ष्मा पदाधिकारी डॉ. उमेश नंदन प्रसाद सिन्हा कहते हैं कि टीबी को लेकर तो जिले में लगातार अभियान चल रहा है। अभियान को सफल बनाने में जिला यक्ष्मा केंद्र के एक-एक कर्मी अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। संजय कुमार सिंह वरीय पर्यवेक्षक हैं। वरीय होने के कारण उनकी जिम्मेदारी भी अधिक है। इस जिम्मेदारी को वह बखूबी निभा भी रहे हैं। टीबी मरीज बीच में दवा नहीं छोड़े, इसकी लगातार निगरानी की जाती है। अगर टीबी मरीज बीच में दवा छोड़ देते हैं तो एमडीआर टीबी होने का खतरा हो जाता है। इसलिए विभाग लगातार टीबी मरीजों पर निक्षय एप से नजर रख रहा है।
मरीजों और परिजनों को समझाना पड़ता हैः संजय कुमार सिंह कहते हैं कि अधिकतर मरीज ग्रामीण क्षेत्र से आते हैं। उन पर नजर रखना जरूरी हो जाता है। कब जांच करनी  है, बिना ठीक हुए ही कोई दवा नहीं छोड़ दे, बीच में दवा छोड़ देने से क्या नुकसान होता है, इन बातों को मरीजों और उनके परिजनों को समझाना पड़ता है। टीबी मरीजों को ठीक करना एक अभियान की तरह है,।  इस पर तो काम करना ही पड़ता है। अगर इसमें आप ढिलाई बरत देते हैं तो फिर सब किया कराया खत्म हो जाता है। इसलिए हमलोग लगातार टीबी मरीजों पर नजर रखते हैं।
कोरोना काल में निभाई महत्वपूर्ण भूमिकाः संजय कुमार सिंह ने कोरोना काल में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। ट्रूनेट मशीन से कोरोना की जांच से लेकर कॉर्डिनेशन तक में अपनी महत्वपूर्ण निभाई है। अभी तो कोरोना का मामला शांत हो गया है, लेकिन जब पहली, दूसरी और तीसरी लहर पिक पर  थी  तो उस समय चुनौती बढ़ गई थी। संजय कहते हैं कि टीबी के साथ-साथ कोरोना भी संक्रमण वाली बीमारी है, इसलिए उस पर काम करने में थोड़ी चुनौती तो रहती है, लेकिन एक स्वास्थ्यकर्मी होने के नाते हमारी जिम्मेदारी ज्यादा है। इसलिए हमलोगों ने हमेशा बढ़-चढ़कर अपनी भूमिका निभाई।

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