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दिल्ली प्रदेश काँग्रेस कमेटी के कम्युनिकेशन विभाग के चेयरमैन अनिल भारद्वाज द्वारा दिया गया वक्तव्य

नई दिल्ली, 18 नवंबर, 2022 : दिल्ली के चुनावों में मुख्य मुद्दा पार्किंग का ही होता है। हर बार सरकार बनने से पहले पार्किंग की चर्चा करके चुनाव लड़े जाते है। सरकार चाहे आम आदमी पार्टी की हो या फिर भाजपा की, क्या दिल्लीवासियों को पार्किंग से निजात मिली है।

आम आदमी पार्टी अपने खोखले वादों में हर बार पार्किंग की समस्या से निजात दिलाने की बात करती है तो वहीं भाजपा दिल्ली को साफ-सुथरा बनाने का दावा करती है। दिल्ली की भोली भाली जनता बहकावे में आ जाती है।

2007 से आज तक, बीजेपी ने एमसीडी चुनावों के दौरान जो वादे पार्किंग की समस्या को खत्म करने के लिए दिल्ली में बहुस्तरीय पार्किंग स्थल खोले जाएंगे।  अब यह केवल कागजों में ही सिमट कर रह गए है।  समय बीतने के साथ भाजपा के वादे और प्रतिबद्धता कम होती रही।  2013 में, 41 पार्किंग परियोजनाओं की योजना बनाई गई थी और हौज खास में केवल एक पार्किंग स्थल खोला गया था।  41 नियोजित पार्किंग स्थल से, 2016 में संख्या घटकर 17 नियोजित पार्किंग स्थल हो गई, जिसमें केवल एक पार्किंग स्थल खोला गया था।  इससे पता चलता है कि कैसे बीजेपी अपने कार्यों मे हमेश ही पीछे रही है।

 भाजपा ने एमसीडी के पार्किंग ठेकों को अपने निजी लाभ का एक आय स्रोत बनाया।  लगभग  6 करोड़ के घोटाले भी हुए क्योंकि पार्किंग के लिए टेंडर एक निजी फर्म को दिया गया था, जिसके कथित रूप से भाजपा नेताओं से करीबी संबंध थे।  सुप्रीम कोर्ट के सीधे हस्तक्षेप के बावजूद, सितंबर 2019 में दिल्ली की पार्किंग नीति को अधिसूचित करने के लिए, योजना की प्रमुख विशेषताओं को अभी तक शहर में लागू नहीं किया।  दक्षिण निगम ने पिछले साल जून-अगस्त 2021 के दौरान सफदरजंग से लेकर निजामुद्दीन बस्ती तक के विभिन्न क्षेत्रों वाले 16 क्षेत्रों पार्किंग बनाने का वादा किया, लेकिन अभी तक कार्यान्वयन शुरू नहीं हुआ है।

कार्य प्रणाली की सुस्ती ने यह सुनिश्चित किया है कि तीन मॉडल पार्किंग परियोजनाएं दिल्ली के निम्न इलाकों में लागू करने के लिए वादे किए लेकिन यह परियोजनाएं प्रभावी ढंग से लागू ही नहीं की गई ! अप्रैल 2010 में लेफ्टिनेंट गवर्नर के नेतृत्व वाले UTTIPEC द्वारा स्वीकृत करोल बाग पूर्वनियति परियोजना और पार्किंग/सर्कुलेशन योजना भी प्रगति पर है।

 यह स्पष्ट रूप से शासन में भाजपा की लापरवाही और लोगों के मुद्दों पर ध्यान न देने को दर्शाता है।

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