मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल सदन चलाने में पूरी तरह विफल साबित। – अनिल भारद्वाज
नई दिल्ली, 19 जनवरी, 2023 – दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी कार्यालय राजीव भवन में आयोजित संवाददाता सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए पूर्व विधायक व प्रदेश कांग्रेस कम्युनिकेशन विभाग के चेयरमैन श्री अनिल भारद्वाज ने कहा कि दिल्ली विधानसभा के शीतकालीन सत्र एक बार फिर अरविन्द केजरीवाल द्वारा सत्ता के अधिकारों को बढ़ाने, आरोप-प्रत्यारोप की राजनीति और आम आदमी पार्टी और भाजपा की नूरा कुश्ती की भेंट चढ़ गया। जहां सदन का इस्तेमाल चर्चा, प्रदेश का विकास व जनता से जुड़े मुद्दों व समाधान के लिए होना चाहिए था, वहीं अरविन्द केजरीवाल की तानाशाही व्यवस्था के चलते सत्र में जनता से जुड़े मुद्दों के लिए प्रश्न काल ही नही रखा गया है। उन्होंने कहा कि सदन का प्रयोग केजरीवाल व उनके विधायकों ने उपराज्यपाल के खिलाफ अमर्यादित भाषा का प्रयोग करके लोकतांत्रिक प्रक्रिया को धूमिल कर दिया है जिसके कारण सदन की गरिमा को ठेस पहुॅची है। अरविन्द केजरीवाल सदन और सरकार चलाने में पूरी तरह विफल साबित हुए हैं। संवाददाता सम्मेलन में श्री अनिल भारद्वाज के साथ कम्युनिकेशन विभाग के वाईस चेयरमैन श्री अनुज आत्रेय भी मौजूद थे।
संवाददाताओं को सम्बोधित करते हुए श्री भारद्वाज ने कहा कि रिठाला के विधायक मोहिन्दर गोयल द्वारा विधानसभा में अम्बेडकर अस्पताल में हो रही भर्ती घोटाले की 15 लाख रिश्वत की राशि को दिखाने के बाद दिल्ली सरकार के अस्पतालों में भ्रष्टाचार पूरी तरह उजागर हो चुका है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस मांग करती है कि दिल्ली के सभी सरकारी अस्पतालों में अनुबंधित कर्मचारियों की भर्ती प्रक्रिया में हो रहे घोटाले की सीबीआई जांच की जाए ताकि सच्चाई दिल्ली की जनता के सामने आ सके। उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार मुक्त, पारदर्शी प्रशासन और जनलोकपाल लाने की बात करने वाली आम आदमी पार्टी की दिल्ली सरकार के अधिकतर विभाग भ्रष्टाचार में लिप्त हैं। उन्होंने कहा कि आम आदमी पार्टी की केजरीवाल सरकार की कथनी और करनी में अंतर है। दिल्ली की जनता बढ़ती महंगाई, बेरोजगारी, आर्थिक संकट व असमानता, केजरीवाल सरकार की एक तरफा नीतियों और आकंठित भ्रष्टाचार से आहत है, परंतु केजरीवाल ने 4 दिन के विधानसभा सत्र में इन विषयों पर कोई चर्चा नही हुई।
श्री अनिल भारद्वाज ने कहा कि ताजा सर्वे के बाद दिल्ली एक बार फिर विश्व का दूसरा सबसे प्रदूषित शहर घोषित बन चुका है। परंतु केजरीवाल ने 4 दिन के सत्र में प्रदूषण नियंत्रण संबंधी कोई नीति नही बनाई और न ही चर्चा हुई। यह चिंताजनक है कि राजधानी में पूरे वर्ष वायु प्रदूषण खतरनाक स्तर पर रहता है जिसके लिए केजरीवाल सरकार तथा भाजपा दोनो बराबर की जिम्मेदार है। खतरनाक प्रदूषण से लोगों के स्वास्थ्य गंभीर रुप से प्रभावित हो रहा है और लोगों, खासकर बच्चों और बुजुर्गों के लिए गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं पैदा हो रही है, परंतु दिल्ली सरकार इसके प्रति चिंतित नही है।
श्री अनिल भारद्वाज ने कहा कि पिछले 9 वर्षों में दिल्ली की कानून व्यवस्था ध्वस्त हो गई जिसके कारण राजधानी में महिला सुरक्षा एक संवेदनशील विषय बन गया है। उन्होंने कहा कि केजरीवाल की बेरुखी और लापरवाही के दिल्ली हत्या, बलात्कार की राजधानी बन चुकी है। दिल्ली में औसतन प्रतिदिन 6 बलात्कार हो रहे है जबकि महिला उत्पीड़न, छेड़छाड़ व झपटमारी के मामलों भारी बढ़ोत्तरी हो रही है। उन्होंने कहा कि भाजपा और आम आदमी पार्टी की नूरा कुश्ती के कारण आज दिल्ली में कानून व्यवस्था ध्वस्त है और सत्र में महिला सुरक्षा को लेकर कोई चर्चा नही हुई।
श्री अनिल भारद्वाज ने कहा कि बढ़ती महंगाई और बेरोजगारी का संकट झेल रही दिल्ली के 17.84 लाख राशन कार्डधारी परिवारों के 72.78 लाख सदस्यों को नवम्बर, दिसम्बर और जनवरी महीनों का राशन नहीं मिला है। उन्होंने कहा कि केजरीवाल सरकार ने बढ़ती दिल्ली की जनसंख्या के लिए नए कार्ड बनाने का काम 2013-14 से बंद किया हुआ है, जिसके कारण 12 लाख से अधिक नए राशन कार्ड के आवेदन पेंडिग पड़े है। उन्होंने बताया कि कांग्रेस सरकार के दौरान लगभग 33 लाख राशन कार्ड धारियों को राशन दिया जाता था जिनकी संख्या अब आधी रह गई है, जिन्हें समय पर राशन नही दिया जाता, जबकि केजरीवाल घर-घर राशन देने की नौटंकी करते है।
श्री अनिल भारद्वाज ने कहा कि यही हाल दिल्ली में वृद्ध, विधवाओं और दिव्यांगों को मिलने वाली पेंशन का है। वर्ष 2018 से वृद्धों की एक भी नई पेंशन नही जुड़ी है और जिनको पेंशन मिलती है उन्हें भी कई-कई महीनों तक पेंशन नही दी जा रही है। उन्होंने कहा कि दिल्ली के अधिकतर पेंशनभोगी पूरी तरह से सरकार से मिलने वाली पेंशन पर निर्भर है, जो केजरीवाल सरकार की बिगड़ी प्रशासनिक व्यवस्था के इनको नही मिल पा रही है। उन्होंने कहा कि केजरीवाल सरकार को नीति व नियम बनाकर दिल्ली के लोगों के कल्याण से जुड़े मुद्दों का समाधान निकालने के लिए विधानसभा सत्र में चर्चा में लाना चाहिए था।