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Filaria eradication program to begin in the district from September 28
राज्य

जिले में 28 सितम्बर से चलेगा फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम, एमडीए राउंड की होगी शुरुआत

• आशा कार्यकर्ता घर-घर जाकर लोगों को देंगी दवा की खुराक
• लोगों को जागरूक करने के साथ, बचाव के बताए जाएंगे उपाय

लखीसराय

जिले में 28 सितंबर से फाइलेरिया उन्मूलन को लेकर सर्वजन दवा सेवन (एमडीए) कार्यक्रम का आयोजन होगा। इस दौरान दो वर्ष से अधिक उम्र के सभी लोगों को डाई इथाइल कार्बामाजिन (डीईसी) एवं एल्बेंडाजोल दवा की खुराक दी जाएगी। स्वास्थ्य विभाग ने कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए प्रचार-प्रसार पर जोर देना शुरू कर दिया है।
जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. धीरेन्द्र कुमार ने बताया अभियान की सफलता की रूपरेखा बन चुकी है। जिले में 28 सितंबर से इसकी शुरुआत की जाएगी। इसको लेकर सभी संबंधित स्वास्थ्य अधिकारियों को दिशानिर्देश दिए गए हैं। एमडीए राउंड के दौरान कार्यक्रम के दौरान आशा कार्यकर्ता घर-घर जाकर लोगों को दवा की खुराक देंगी। यद्यपि, अभी कोरोना संक्रमण काल भी है, इसलिए अभियान के दौरान कोरोना से बचाव के सभी उपायों पर विशेष ध्यान भी दिया जाएगा.

फाइलेरिया एक गंभीर रोग है:

डॉ. धीरेन्द्र कुमार ने बताया फाइलेरिया एक गंभीर रोग है. इसके कारण हाथी पांव एवं हाइड्रोसील की समस्या होती है. यह रोग क्यूलेक्स मच्छर के काटने की वजह से होता है। हाइड्रोसील के अधिकतम मामले फाइलेरिया के ही कारण होते हैं. लोगों में जागरूकता के आभाव के कारण लोग इसे नजरंदाज कर देते हैं, जबकि ऑपरेशन के जरिए इसका निदान संभव है. फाइलेरिया के कारण हाथी पांव( पैरों में अत्यधिक सूजन) होता है, जो एक दर्दनाक समस्या होती है. इससे ग्रसित लोगों को जीवन में कई तरह की समस्याएँ झेलनी पढ़ती है. हाथी पाँव का ईलाज संभव नहीं हो पाता है. इसलिए यह जरुरी है कि लोग फाइलेरिया जैसे गंभीर रोग से बचने की दिशा में अधिक ध्यान दें. इससे बचने के लिए लोग एमडीए राउंड में दवा का सेवन जरुर करें. उन्होंने बताया डाई इथाइल कार्बामाजिन(डीईसी) एवं एल्बेंडाजोल दवा फाइलेरिया के लिए रामबाण माने जाते हैं। हालांकि दो वर्ष से कम उम्र के बच्चों, गर्भवती महिलाओं और गंभीर रूप से ग्रसित रोग के व्यक्तियों को यह दवा नहीं लेनी चाहिए। फाइलेरिया के लक्षण पाए जाने पर संबंधित व्यक्ति को तुरंत नजदीकी अस्पताल जाकर चिकित्सक से सलाह लेनी चाहिए। सभी सरकारी अस्पतालों में फाइलेरिया की मुफ्त दवा उपलब्ध है। उन्होंने बताया जो लोग इसकी दवा ले रहे हैं, वह ध्यान रखें कि दवा को खाली पेट नहीं खाना है। कुछ खाकर ही दवा लें।

ये शुरुआती लक्षण आते हैं नजर:
फाइलेरिया यानी हाथी को जन्म देने वाले क्यूलेक्स जैसे मच्छर घरों के आसपास नाली, गड्ढों व घर के अंदर रुके हुए पानी में ही पनपते हैं। ठंड लगने के साथ तेज बुखार का रहना, हाथ-पैर की नसों का फूलना, दर्द होना, जांघ में गिल्टी उभर आना, एवं हाथ, पैर में सूजन आदि इस रोग के प्राथमिक लक्षण हैं।

ऐसे करें अपना व परिवार का बचाव:

• रात को सोते समय मच्छरदानी का प्रयोग करें।
• सोते समय ऐसे कपड़े पहनें जिससे शरीर का अधिकांश भाग ढका हो।
• बारिश के वक्त विशेष सावधानी बरतें,आसपास गंदा पानी जमा ना होने दें।
• नालियों में पानी रुकने ना दें, सफाई का विशेष ख्याल रखें।
• अपने घर व आसपास में गंदगी या कूड़ा जमा ना होने दें।
• पूरी बाजू के कपड़े पहने।

25 को होगी जागरूकता कार्यशाला:

सेंटर फॉर एडवोकेसी एंड रिसर्च(सीफ़ार) के सहयोग से जिला वेक्टर बोर्न डिजीज द्वारा आगामी 25 सितम्बर को फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम की सफलता एवं जागरूकता को लेकर एक मीडिया कार्यशाला का आयोजन किया जाएगा। कार्यक्रम में जिले में संचालित योजनाओं, सुविधाओं और इस रोग से बचाव व सुरक्षा के उपायों पर चर्चा की जाएगी।

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