अतीक-अशरफ और जीवा की हत्या के पीछे कौन
अतीक-अशरफ और जीवा की हत्या के पीछे कौन: अभीतक पता नहीं चल सका मास्टरमाइंड का नाम ,दाऊद जैसा मर्डर करवाने का तरीका|
जगह: UP का प्रयागराज, तारीख: 15 अप्रैल, 2023
माफिया अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ को पुलिस मेडिकल टेस्ट के लिए लाई थी। पत्रकार साथ-साथ चलते हुए अतीक से सवाल कर रहे थे। तभी पत्रकारों में से तीन लड़के निकले। एक ने अतीक के सिर में गोली मारी। इसके बाद अशरफ पर फायरिंग की। दोनों की मौत हो गई। मर्डर के बाद तीनों लड़कों ने सरेंडर कर दिया।
जगह: UP की राजधानी लखनऊ, तारीख: 7 जून, 2023
लखनऊ की कैसरबाग कोर्ट में मुख्तार अंसारी गैंग के शूटर संजीव माहेश्वरी उर्फ जीवा की पेशी थी। 48 साल के जीवा को कोर्ट रूम में पुलिस की मौजूदगी में 6 गोलियां मारी गईं। उसने मौके पर ही दम तोड़ दिया। गोली मारने वाला नौजवान वकील की ड्रेस में था। उसने भागने की कोशिश की, लेकिन वकीलों ने पकड़ लिया।
करीब 200 किमी दूरी वाले दो शहर, दो हत्याएं, दोनों में 52 दिन का अंतर, फिर भी जो बात दोनों को जोड़ती है, वो है हत्या का पैटर्न। आरोपी अरेस्ट हैं, लेकिन अब तक पता नहीं चला कि उन्हें भेजने वाले कौन थे। जीवा हत्याकांड की जांच के लिए बनी SIT को 22 जून तक रिपोर्ट सौंपनी थी, लेकिन टीम रिपोर्ट नहीं दे पाई।
पुलिस कस्टडी में अतीक-अशरफ के बाद संजीव जीवा के मर्डर से चर्चा शुरू हो गई कि इन हत्याओं के पीछे कौन है। अतीक-अशरफ की हत्या का केस हाईप्रोफाइल होने के बावजूद इसके मास्टरमाइंड का पता नहीं है। संजीव जीवा के मर्डर के आरोपी विजय यादव से STF ने पूछताछ की, लेकिन पुख्ता सबूत नहीं मिल पाए।
इन हत्याओं में एक पैटर्न दिख रहा है। ये पैटर्न UP में नया है, लेकिन मुंबई में डॉन दाऊद इब्राहिम अपने दुश्मनों को खत्म करने के लिए यही तरीका अपनाता था। हमने इसी पैटर्न पर UP STF के रिटायर्ड अफसर और एक्सपर्ट्स से बात की। बातों से जो निकला, वो इन हत्याओं के पीछे गैंगवार के साथ राजनीतिक रंजिश की ओर इशारा करता है
इसकी तीन वजह हैं…
पहली वजह: दाऊद की डी कंपनी का पैटर्न फॉलो करना
इस थ्योरी को समझने के लिए हम रिटायर्ड IPS राजेश पांडेय से मिले। राजेश पांडेय UP स्पेशल टास्क फोर्स और एंटी टेररिस्ट स्क्वाड के फाउंडर मेंबर थे। UP ATS के चीफ भी रह चुके हैं। वे कहते हैं, ‘दाऊद की डी कंपनी 90 के दशक में मुंबई में एक्टिव थी। दाऊद अनजान शूटरों को मुंबई बुलवाता और उनसे अपने दुश्मनों को खत्म करवाता था। ऐसा ही पैटर्न इन हत्याओं में दिखता है।’
‘अतीक-अशरफ और संजीव जीवा की हत्या में काफी समानताएं हैं। जैसे उम्र, आरोपियों की क्राइम हिस्ट्री, उनका बैकग्राउंड और हत्या का तरीका। इसे अलग-अलग समझिए..
दूसरी वजह: पूर्वांचल और पश्चिम UP की गैंग में दुश्मनी
संजीव जीवा भले जेल में था, लेकिन वो पश्चिमी UP का बड़ा माफिया था। जेल से ही वसूली और स्क्रैप के कारोबार पर पकड़ बना चुका था। इसी बीच वह मुख्तार के खास साथी मुन्ना बजरंगी से भी जुड़ा। दोनों के जरिए मुख्तार ने पश्चिमी UP में जड़ें जमानी शुरू कीं। वर्चस्व की जंग में सुंदर भाटी गैंग की संजीव जीवा गैंग से दुश्मनी चल रही थी। 2018 में बागपत जेल में सुनील राठी ने मुन्ना बजरंगी की हत्या कर दी थी।
‘अतीक-अशरफ की हत्या में भी सुंदर भाटी गैंग का नाम आया था। कहा जा रहा था कि भाटी गैंग ने ही आरोपियों को जिगाना पिस्टल दी थी। संजीव जीवा की दुश्मनी सुनील राठी से भी थी और सुंदर भाटी से भी। हालांकि इस तरह के कयास लगाना जल्दबाजी होगी, क्योंकि सुरक्षा एजेंसियां जांच कर रही हैं।
तीसरी वजह: राजनीतिक रंजिश में हत्याओं का इतिहास
कयास लगाया जा रहा है कि संजीव जीवा की हत्या राजनीतिक रंजिश का नतीजा तो नहीं हैं। इसे समझने के लिए थोड़ा पीछे जाना होगा। संजीव जीवा पूर्वांचल के बाहुबली मुख्तार का खास गुर्गा था। आरोप था कि मुख्तार के कहने पर ही उसने 2005 में BJP विधायक कृष्णानंद राय की हत्या की थी। वो 10 फरवरी 1997 को हुई BJP नेता ब्रह्मदत्त द्विवेदी की हत्या में भी शामिल था। कृष्णानंद राय की हत्या में संजीव जीवा बरी हो गया था। द्विवेदी हत्याकांड में उसे उम्रकैद मिली थी।
राजनीति के अपराधीकरण की बात होती है तो इन घटनाओं का जिक्र होगा ही। UP में सत्ता बदलने के बाद से मुख्तार कमजोर हो रहा है। एक के बाद एक उसके गुर्गों की हत्या हो रही है या फिर एनकांउटर|
संजीव जीवा से पहले तीन हत्याएं, जो राजनीतिक रंजिश में की गईं…
पुष्पजीत सिंह उर्फ पीजे हत्याकांड: पुष्पजीत सिंह पूर्वांचल के माफिया मुन्ना बजरंगी का साला था। मुन्ना मुख्तार अंसारी के लिए काम करता था। मुन्ना के जेल जाने के बाद पुष्पजीत ही उसके काम देखता था। कृष्णानंद राय हत्याकांड में मुन्ना के केस की पैरवी वही कर रहा था।
5 मार्च 2016 को लखनऊ में गोली मारकर पुष्पजीत की हत्या कर दी गई थी। मामले में कृष्णानंद राय के साले बृजेश कुमार राय, मनोज कुमार राय और आनंद राय उर्फ मुन्ना को आरोपी बनाया गया। बाद में तीनों को क्लीन चिट मिल गई।
मोहम्मद तारिक: पुष्पजीत के मरने के बाद मुन्ना बजरंगी का जमीन से जुड़ा काम तारिक देख रहा था। जौनपुर का रहने वाला तारिक पहले बनारस में रहता था। फिर लखनऊ आ गया। दिसंबर, 2017 में तारिक की लखनऊ में हत्या कर दी गई। इस मामले में रिटायर्ड डिप्टी SP जीएन सिंह, उनके बेटे प्रदीप सिंह, राजा और सोनू के खिलाफ केस दर्ज हुआ था। बताया जाता है कि प्रदीप और मुन्ना बजरंगी कभी साथ काम करते थे।
मुन्ना बजरंगी: 9 जुलाई 2018 को सुनील राठी ने बागपत जेल में बंद मुन्ना बजरंगी की गोली मारकर हत्या कर दी थी। मुन्ना बजरंगी को 7 गोलियां मारी गई थीं। सुनील राठी ने ये हत्या किसके कहने पर की, ये अब तक सामने नहीं आया।