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महिला सरपंच ने अनाथ नाबालिग को गुजरात में पांच लाख में बेचा

पैसे के लिए नाबालिग को बना दिया किसी का गुलाम

ओडिशा के सुंदरगढ़ में लड़कियों की तस्करी थमने का नाम नहीं ले रही है। अच्छी कमाई और रोजगार का लालच देकर दलाल ग्रामीण नाबालिगों और युवतियों की तस्करी कर उन्हें बाहरी राज्यों में बेच रहे हैं।
सुंदरगढ़ से बाल तस्करी का एक और संवेदनशील मामला सामने आया है। एक अनाथ नाबालिग को एक साल पहले तस्करी कर गुजरात ले जाया गया तथा 5 लाख रुपये में बेच दिया गया था।वहां से नाबालिग किसी तरह सुंदरगढ़ लौटी तथा एसपी से इसकी शिकायत की, जिसके बाद मामले का खुलासा हुआ।

क्या खुलासा हुआ?

खुलासा हुआ है कि नाबालिग को किसी दलाल ने नहीं, बल्कि सदर ब्लॉक के बिरबीरा पंचायत की महिला सरपंच दलरसा गुड़िया ने यह कहकर गुजरात के अहमदाबाद भेजा था कि उसे सिलाई का प्रशिक्षण दिया जायेगा।

इस संबंध में धारूडीही थाना पुलिस ने सरपंच और नाबालिग लड़की को जबरन घर में रखने वाले गुजरात के एक दंपती पर भारतीय दंड विधान की धारा 370(4), 34 के तहत मामला दर्ज किया है। गिरफ्तारी के डर से सरपंच फरार हो गई है।

बड़ी बात यह है कि गांव आने के बाद लड़की सबसे पहले धारूडीही थाने गई, लेकिन इतने सनसनीखेज आरोप को पुलिस ने गंभीरता से नहीं लिया था

सिलाई प्रशिक्षण केंद्र में भर्ती कराने के नाम पर ले जाया गया गुजरात

एसपी के आदेश के बाद थाने में मामला दर्ज किया गया है। जानकारी के अनुसार, पीड़ित अनाथ नाबालिग लड़की ने बचपन में ही अपने माता-पिता को खो दिया था। वह अकेली रहती थी। राशन जैसी सरकारी सहायता के लिए सरपंच सुश्री गुड़िया के पास जाती थी।

उसी दौरान सरपंच ने कहा कि उसे रोजगार योग्य बनाने के लिए झारसुगुड़ा के एक सिलाई प्रशिक्षण केंद्र में भर्ती कराया जाएगा।

इसके बाद उसने नाबालिग लड़की को जुलाई 2022 को झारसुगुड़ा पुरानी बस्ती के विनय पटेल नामक व्यक्ति के पास छोड़ दिया, लेकिन विनय उसे यह कहकर ट्रेन के जरिए गुजरात ले गया कि बड़े सिलाई केंद्र में उसे प्रशिक्षण मिलेगा।

6 महीने तक घर में रखा गया नजरबंद

गुजरात के अहमदाबाद पहुंचने के बाद नाबालिग को पता चला कि वह फ्रॉड का शिकार हो गई है। अहमदाबाद में रहने वाला विनय उस पर घर का काम करने के लिए दबाव डालने लगा। विनय की पत्नी सुनीता सुबह 5 बजे से रात 9 बजे तक उसे पीटती थी।

उसे केवल 700 रुपये का भुगतान किया गया। विनय और सुनीता कह रहे थे कि सरपंच पहले ही 5 लाख रुपये ले चुकी है, इसलिए उसे काम तो करना ही पड़ेगा।काम में कुछ गलत होने पर सुनीता अक्सर उसे पीटती थी। पीड़िता ने एक दिन घर लौटने की बात कही तो उसे 6 महीने तक घर में नजरबंद रखा गया।काफी लड़ाई-झगड़े और एक बार गांव वापस लौटने की बात कहने पर जुलाई 2023 में उसे घर भेजा गया था।गांव आने के बाद कुछ दिन रहने के बाद सरपंच गुड़िया उसे फिर से गुजरात जाने के लिए मजबूर करने लगी थी।विनय ने सरपंच को फोन पर बताया कि वह नाबालिग को लेने झारसुगुड़ा आएगा।उस वक्त भी उसने 5 लाख रुपये वाली बात उठाई थी। इसमें डरी सहमी पीड़िता ने रोते हुए गांव की महिला नेता गोलापी नायक को घटना के बारे में बताया।बाद में वह गोलापी के साथ धरुआडीही थाने पहुंची और शिकायत की। पुलिस ने उसकी बात नहीं सुनी। फिर नाबालिग ने 5 अगस्त को एसपी से मुलाकात की। इसके बाद धारूडीही थाने में मामला दर्ज कराया गया।

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