लोहरी और मकर संक्रांति को अलग-अलग राज्यों में कैसे मनाते है ..
लोहड़ी और मकर संक्रांति एक-दूसरे से जुड़े रहने के कारण सांस्कृतिक उत्सव और धार्मिक पर्व का एक अद्भुत त्योहार है। लोहरी और मकर संक्रांति का त्यौहार हर साल उत्तर भारत में 13 और 14 जनवरी को मनाया जाता है। आपको बता दे की इस त्यौहार को ज्यातर पंजाब , हरयाणा , और हिमाचल के लोग मनाते है | मकर संक्रांति से पहले की शाम को लोहड़ी का त्योहार नई फसल के उत्सव के रूप में मनाया जाता है। पंजाब में नववधू और बच्चे की पहली लोहड़ी बहुत खास मानी जाती है। लोहड़ी की रात खुली जगह पर लड़कियों में पवित्र अग्नि लगाते हैं और परिवार व आस-पड़ोस के लोग लोकगीत गाते हुए नए धान के लावे के साथ खील, मक्का, गुड़, रेवड़ी, मूंगफली आदि उस पवित्र अग्नि को अर्पित कर परिक्रमा करते हैं।
अब हम आपको बताएंगे की लोहरी और मकर संक्रांति का त्यौहार को मनाया जाता है
माना जाता है की लोहड़ी का त्योहार लोग प्रकृति को धन्यवाद देने के लिए मनाते हैं। लोहड़ी के अगले दिन मकर संक्रांति का त्योहार भी मनाया जाता है। बताया जाता है की जहां पंजाबी और सिख लोग लोहड़ी के दिन फसल पकने की खुशी मनाते हैं तो वहीं, हिंदू धर्म के लोग मकर संक्रांति को फसल पकने पर भगवान धन्यवाद करते हैं|
अब हम आपको बताएंगे की लोहरी और मकर संक्रांति को अगल अलग राज्यों में किसा नाम से और कैसे मनाते है
पंजाब ही नहीं, बिहार व तमिलनाडु में यह समय फसल काटने का होता है। इसलिए किसानों के लिए यह पर्व एक खास महत्व रखता है। पंजाब में मकर संक्रांति के पर्व को लोहड़ी कहकर पुकारा जाता है।
उत्तर प्रदेश और बिहार में मकर संक्रान्ति को खिचड़ी के नाम से पुकारा जाता है। उत्तरप्रदेश में मकर संक्रांति के दिन को दान के पर्व के रूप में देखा जाता है।
उत्तराखंड में इस दिन जगह−जगह पर मेले लगाए जाते हैं। साथ ही लोग गंगा स्नान करके, तिल के मिष्ठान आदि को ब्राह्मणों व पूज्य व्यक्तियों को दान करते हैं।
तमिलनाडु में मकर संकंरात को पोंगल के नाम से जाना जाता है और इस दिन सूर्य की पूजा करने के बाद खीर का पर्षद बनाकर ग्रहण किया जाता है |
बंगाल में मकर संक्रांति को पौश पबर्न के नाम जाना जाता है। मकर कंक्रान्ति को वहां पौष महीने के आखिरी दिन के रूप में मनाते हैं। इस दिन पश्चिम बंगाल के घरों में चावल के आटे में नारियल व खजूर का गुड़ भरकर पीठा बनाया जाता है|