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कोरोना संक्रमण को देखते हुए नवजात शिशु सहित छोटे बच्चों की रोग-प्रतिरोधक क्षमता को ले रहें सजग

  • नवजात शिशु सहित अन्य बच्चों में मजबूत रोग प्रतिरोधक क्षमता कई संक्रामक बीमारियों से भी रखता है दूर
  • शिशु के जन्म के एक घंटा बाद से कम से कम छह महीने तक माताएं नवजात शिशु को कराएं सिर्फ अपना स्तनपान
  • लगातार स्तनपान कराने से ही नवजात बच्चों में विकसित होती है रोग प्रतिरोधक क्षमता

मुंगेर-

नवजात शिशु सहित अन्य बच्चों के स्वस्थ शरीर के निर्माण और विकास के लिए उचित देखभाल सबसे महत्वपूर्ण है। इसे सुनिश्चित करने में सबसे बड़ा योगदान शिशु के माँ की ही होती है। किन्तु, थोड़ी सी लापरवाही से नवजात बार-बार बीमार होने लगता है। जिससे वो शारीरिक रूप से भी कमजोर होने लगता है। उसका बार-बार बीमार होना उसकी कमजोर रोग-प्रतिरोधक क्षमता का भी संकेत है। इसीलिए, जन्म के बाद शुरुआती दौर में नवजात की रोग-प्रतिरोधक क्षमता सहित अन्य देखभाल को लेकर पूरी सजगता आवश्यक है| इसके लिए नवजात की उचित देखभाल के साथ-साथ जन्म के बाद छह माह तक सिर्फ माँ का ही स्तनपान कराएं। इससे ना सिर्फ बच्चे स्वस्थ रहते हैं, बल्कि, उसकी रोग-प्रतिरोधक क्षमता भी मजबूत होती है।

माँ के दूध से बच्चों को विकसित होती रोग-प्रतिरोधक क्षमता :-
सदर अस्पताल मुंगेर के शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. रौशन कुमार ने बताया, जिले में कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामले और संक्रमण की तीसरी लहर की आशंका के बीच उचित पोषण से ही बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास के साथ- साथ सर्वांगीण विकास संभव है। इसलिए, शिशु को पूरी तरह से स्वस्थ्य रखने के लिए जन्म के पश्चात छह महीने तक सिर्फ और सिर्फ माँ का ही दूध सेवन कराएं। माँ का दूध बच्चों के लिए अमृत के समान होता है और स्वस्थ शरीर के निर्माण के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। माँ के दूध में मौजूद पोषक तत्व जैसे पानी, प्रोटीन, विटामिन, कार्बोहाइड्रेट मिनरल्स, वसा, कैलोरी शिशु को न सिर्फ बीमारियों से बचाते हैं, बल्कि उनमें रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाते हैं। इसके साथ ही बच्चे की पाचन क्रिया भी मजबूत होती है। इसलिए, मां के दूध को शिशु का प्रथम टीका भी कहा गया है। जो छह माह तक के बच्चे के लिए बेहद जरूरी है। वहीं, छह माह के बाद बच्चे के सतत विकास के लिए ऊपरी आहार की जरूरत पड़ती है। लेकिन इस दौरान यह ध्यान रखना सबसे ज्यादा जरूरी हो जाता है कि उसे कैसा आहार दें।

मजबूत रोग-प्रतिरोधक क्षमता शिशु को कई संक्रामक बीमारियों से भी रखता है दूर :-
उन्होंने बताया कि मजबूत रोग-प्रतिरोधक क्षमता कोरोना सहित अन्य संक्रामक बीमारी से भी दूर रखता है। इसलिए, बच्चों की रोग-प्रतिरोधक क्षमता को लेकर सजग रहें। दरअसल, अगर शुरुआती दौर से ही बच्चे की रोग-प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होगी तो नवजात के स्वस्थ शरीर का निर्माण होगा और वह आगे भी शारीरिक रूप से मजबूत होगा। इसके लिए बच्चे का उचित पोषण बेहद जरूरी है।

जन्म के बाद एक घंटे के अंदर नवजात को पिलाएं माँ का दूध :-
केयर इंडिया मुंगेर की डीटीओएफ डॉ. नीलू ने बताया, नवजात शिशु के स्वस्थ शरीर निर्माण के लिए जन्म के बाद एक घंटे के अंदर माँ का दूध पिलाएं। इसके सेवन से नवजात की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है। किन्तु, जानकारी के अभाव में कुछ लोग इसे गंदा या बेकार दूध समझकर नवजात को नहीं पिलाते जो महज एक अवधारणा है। जबकि, सच यह है कि माँ का पहला गाढ़ा-पीला दूध ही नवजात शिशु के लिए काफी फायदेमंद होता है।

छह माह के बाद ही नवजात को दें ऊपरी आहार :-
उन्होंने बताया, नवजात को छह माह के बाद ही किसी प्रकार के बाहरी या ऊपरी आहार दें। छह माह तक सिर्फ और सिर्फ माँ का ही स्तनपान कराएं। इसके बाद अगले कम से कम दो वर्षों तक ऊपरी आहार के साथ माँ का स्तनपान भी जारी रखें। ताकि बच्चे का पूरी तरह से सर्वांगीण विकास होने में मदद मिल सके ।

साफ-सफाई का भी रखें विशेष ख्याल :-
इसके साथ ही नवजात के लालन-पालन के दौरान साफ-सफाई का भी विशेष ख्याल रखें। जैसे कि बच्चों को गोद लेने के पहले खुद अपने हाथों को अच्छी तरह से धो लें| बच्चों को हमेशा साफ कपड़ा पहनाएं| गीला व गंदा कपड़ा से बच्चे को हमेशा दूर रखें। इससे बच्चा संक्रामक बीमारी से दूर रहेगा।

संम्पूर्ण टीकाकरण पर दें बल :-
उन्होंने बताया कि संम्पूर्ण टीकाकरण बच्चे को कई तरह की बीमारियों से दूर रखता और बच्चे की रोग-प्रतिरोधक क्षमता भी मजबूत होती है। इसलिए, बच्चे का संम्पूर्ण टीकाकरण कराएं। इसमें किसी प्रकार की लापरवाही बिलकुल नहीं करें।

कोरोना काल में इन मानकों का करें पालन, कोविड 19 के संक्रमण से रहें दूर :-

  • मास्क और सैनिटाइजर का नियमित रूप से करें उपयोग ।
  • लगातार साबुन या अल्कोहल युक्त पदार्थों से धोएं हाथ।
  • यात्रा के दौरान हमेशा सैनिटाइजर को रखें अपने पास ।
  • घर से बाहर लोगों से बातचीत के दौरान हमेशा शारीरिक दूरी के नियम का करें पालन।
  • भीड़-भाड़ वाली जगहों पर जाने से करें परहेज ।
  • मुँह, नाक, ऑख को अनावश्यक छूने से बचें।
  • साफ-सफाई का विशेष ख्याल रखें।

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