आशा कार्यकर्ताओं को सुरक्षित गर्भपात के बताए गए तरीके
-फुल्लीडुमर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में असुरक्षित गर्भपात को लेकर दिया गया परामर्श
-कोरोना काल में सुरक्षित गर्भसमापन को लेकर आशा कार्यकर्ताओं के साथ हुई बैठक
बांका, 19 अगस्त-
कोरोना काल में गर्भवती महिलाओं को कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ा है। इसमें सुरक्षित गर्भपात भी प्रमुख समस्या रही है। इसे लेकर गुरुवार को फुल्लीडुमर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में आशा कार्यकर्ताओं और आशा फेसिलिटेटर के साथ आईपास डेलवपमेंट फाउंडेशन ने बैठक की। बैठक में आईपास डेवलपमेंट फाउंडेशन के नरेश कुमार आर्य ने आशा कार्यकर्ताओं को सुरक्षित गर्भसमापन और गर्भपात कानून के बारे में जानकारी दी। बैठक में पीएचसी प्रभारी डॉ. संजीव कुमार सिंह, बीसीएम संजय कुमार और बीएचएम परशुराम सिंह भी मौजूद थे।
समाज में जागरूकता लानी होगी-
इस दौरान आईपास डेवलपमेंट फाउंडेशन के नरेश कुमार आर्य ने कहा कि कोरोना काल में कई महिलाएं अनचाहे रूप से गर्भवती हो गईं। कोरोना के कारण वह अपना सुरक्षित गर्भपात भी नहीं करा पायीं। सरकारी अस्पतालों में मिल रही सुविधाओं से वह वंचित रह गईं। लिहाजा उन महिलाओं का गर्भ अब पहली तिमाही से दूसरी तिमाही में प्रवेश कर चुका है। इसलिए उनका सुरक्षित तरीके से चिकित्सकीय परामर्श आवश्यक है। इससे वह सुरक्षित तरीके से अपना गर्भपात करा सकेंगी। इसे लेकर समाज में जागरूकता लानी होगी। इस पर सभी लोगों को प्रयास करने की जरूरत है।
20 सप्ताह तक गर्भ को कानूनी तौर पर समाप्त करने की है इजाजतः
नरेश कुमार आर्य ने कहा कि मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी (एमटीपी) एक्ट के तहत 20 सप्ताह तक के गर्भ को समाप्त करने की कानूनी तौर पर इजाजत है। 1971 में बने इस कानून को लेकर हालांकि कुछ शर्तें भी रखी गई हैं। सबसे पहली शर्त है सुरक्षित गर्भपात। इसे लेकर परिजनों को खास ध्यान देने की आवश्यकता है। बिचौलिये के संपर्क में नहीं पड़ना चाहिए। समस्या होने पर पास के सरकारी अस्पताल से संपर्क करना चाहिए। सरकारी अस्पतालों में कानूनी तौर पर निःशुल्क गर्भपात की सुविधा है। विशेष परिस्थिति पैदा होने पर एंबुलेंस के जरिये महिला मरीज को अच्छी जगह भेजने की व्यवस्था मौजूद है। 12 सप्ताह तक एक प्रशिक्षित डॉक्टर और 13 से 20 सप्ताह के अंदर तक दो प्रशिक्षित डॉक्टर की मौजूदगी में सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त सरकारी अस्पताल में गर्भपात होनी चाहिए।
असुरक्षित गर्भपात से आठ प्रतिशत महिलाओं की हो जाती है मौतः
आईपास डेवलपमेंट फाउंडेशन के नरेश कुमार आर्य ने कहा कि भारत में होने वाली मातृ मृत्यु में आठ प्रतिशत मृत्यु असुरक्षित गर्भपात के कारण होती है। यदि किसी महिला को माहवारी के दिन चढ़ गए हो या उससे अनचाहे गर्भ ठहरने की आशंका हो तो तत्काल आशा या एएनएम से संपर्क करना चाहिए। या फिर डॉक्टर को दिखाना चाहिए। यदि गर्भधारण की पुष्टि होती है और महिला गर्भ नहीं रखना चाहती है तो तत्काल गर्भपात का निर्णय लेना चाहिए। अगर गर्भ नौ सप्ताह तक का है तो गोलियों से भी गर्भपात हो सकता है। गर्भपात जितना जल्द कराया जाता है, उतना ही सरल और सुरक्षित रहता है। फुल्लीडुमर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में सिर्फ पहली तिमाही में गर्भपात सेवा दी जाती है। दूसरी तिमाही में गर्भपात कराने के लिए भागलपुर स्थित मायागंज अस्पताल का रुख करना चाहिए। गर्भपात के साथ तत्काल गर्भनिरोधक साधनों का उपयोग करना चाहिए। गर्भपात और गर्भधारण के बीच छह महीने का अंतराल होना जरूरी है।