मातृ एवं शिशु मृत्यु दर में कमी लाने के लिए जागरूकता बेहद जरूरी : सीएस
- जिले एएनएम स्कूल के सभागार में मातृ-शिशु मृत्यु से संबंधित प्रशिक्षण का आयोजन
- जिले के सभी चिकित्सा पदाधिकारी, बीसीएम, निजी स्वास्थ्य स्थानों के चिकित्सकों को दिया गया एक दिवसीय प्रशिक्षण
खगड़िया, 10 दिसंबर
शुक्रवार को जिले के एएनएम स्कूल में मातृ-शिशु मृत्यु से संबंधित एक प्रशिक्षण आयोजित किया गया। जिसकी अध्यक्षता सिविल सर्जन डाॅ अमरनाथ झा ने की। बैठक में जिले के सभी स्वास्थ्य संस्थानों के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी, बीसीएम, निजी स्वास्थ्य स्थानों के चिकित्सक समेत अन्य पदाधिकारी और केयर इंडिया की टीम भी शामिल हुई। जिसमें मातृ एवं मृत्यु दर पर किस तरह सर्विलांस रिपोर्टिंग हो, इस पर विस्तृत चर्चा की गई। वहीं, सिविल सर्जन ने कहा, मातृ-मृत्यु दर को कम करने, अर्थात रोकने के लिए जागरूकता बेहद जरूरी है। इसलिए, ऐसी घटना के कारणों की लोगों को जानकारी उपलब्ध कराएं और उन्हें बचाव के लिए आवश्यक जानकारी दें। ताकि घटना की पुनरावृत्ति नहीं हो और मातृ-मृत्यु दर पर विराम सुनिश्चित हो सके। वहीं, उन्होंने बताया, इसको लेकर सरकार द्वारा तमाम कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है। ताकि लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध हो सके और लोगों में जागरूकता आ सके। वहीं, उन्होंने कहा, मातृ-मृत्यु की रिपोर्टिंग भी सुनिश्चित रूप से करें। ताकि घटना के कारणों की जानकारी मिल सके और फिर कारणों को दूर करने के लिए आवश्यक पहल की जा सके।
- मातृ-मृत्यु दर रोकने के लिए किए जा रहे हर जरूरी प्रयास :
प्रशिक्षण के दौरान यूनिसेफ से आए मास्टर प्रशिक्षक डाॅ गौरव ओझा ने कहा, हर हाल में मातृ-मृत्यु दर को रोकने के लिए हर जरूरी प्रयास किए जा रहे हैं। वर्तमान में हमारे प्रदेश में प्रति एक लाख प्रसव के दौरान 149 महिलाओं की मौत हो जाती है। जिसे हर हाल में कम करने की जरूरत है। वहीं, उन्होंने कहा, सुमन कार्यक्रम के तहत शत-प्रतिशत मातृ मृत्यु दर की रिपोर्टिंग का लक्ष्य रखा गया है। इसके लिए सबसे पहले मातृ-मृत्यु की सूचना देने वाले व्यक्ति को एक हजार रूपये प्रोत्साहन राशि के रूप में दिया जाता है। जबकि, मृत्यु के 24 घंटे के अंदर स्थानीय पीएचसी में सूचना देने पर आशा कार्यकर्ता को दो सौ रुपये की प्रोत्साहन राशि दी जाएगी। इसके अलावा इस संबंध में किसी प्रकार की परेशानियाँ होने पर 104 टाॅल फ्री नंबर काॅल कर शिकायत दर्ज करा सकते हैं। - प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान में भाग लेने वाले प्राइवेट चिकित्सकों को मिलेगा दो हजार :
यूनिसेफ के मास्टर प्रशिक्षक डॉ नलिनीकांत त्रिपाठी ने कहा, हर माह नौ तारीख को सभी स्वास्थ्य संस्थानों में प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान के तहत गर्भवती महिलाओं की स्वास्थ्य जाँच की जाती है, जो मातृ-शिशु मृत्यु दर को रोकने के लिए सबसे बेहतर अभियान है। वहीं, उन्होंने कहा, अगर इस अभियान में कोई प्राइवेट चिकित्सक भाग लेंगे तो उन्हें दो हजार रूपये दिए जाएँगे। - 80 प्रतिशत प्रसव अस्पतालों में होती है :
डीसीक्यूए डाॅ गजेंद्र गौतम ने कहा, 80 प्रतिशत प्रसव सरकारी एवं निजी अस्पतालों में ही होती है। ऐसे में अगर सही जागरूकता हो तो 80 प्रतिशत मातृ एवं शिशु मृत्यु दर को हम रोक सकते हैं। वहीं, उन्होंने कहा, 05 प्रतिशत महिलाओं की मौत एएनसी सर्विस नहीं मिलने के कारण होती है। जबकि, 20 प्रतिशत मौतें प्रसव के दौरान और 50 प्रतिशत मौतें प्रसव के बाद 24 घंटे के दौरान होती है। जिसे सही प्रशिक्षण और सही सर्विलांस के बदौलत रोकी जा सकती है। - प्रशिक्षण में ये उपस्थित :
एसीएमओ डॉ आर एन चौधरी, डीपीएम (हेल्थ) पवन कुमार, खगड़िया सदर अस्पताल के उपाधीक्षक डाॅ योगेन्द्र नारायण प्रयसी, केयर इंडिया के डीटीओ-एफ हरि कृष्णा नायक, डीटीओ-ऑन चंदन कुमार, बीएम रेणुका कुमारी आदि मौजूद थे।