news

कर्तव्य पथ के अस्तित्व में आने के बाद अमृत काल में परतंत्रता के प्रतीकों को हटाने की उम्मीदे

आजादी के अमृत काल पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने लाल किले से देशवासियों को 5 प्रण लेने का आवाहन किया था जिस में से एक गुलामी के हर अंश की समाप्ति। इंडिया गेट से राष्ट्रपति भवन की तरफ जाने वाले रास्ते को पहले राजपथ कहा जाता था लेकिन, अब इसका नाम बदलकर ‘कर्तव्य पथ कर दिया गया है। और इसके लाइन में नेताजी सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा उसी जगह लगाई जहां जार्ज पंचम की प्रतिमा थी तो इसको प्रधानमंत्री के गुलामी के अंश की समाप्ति के आह्वान से जोडा गया। लेकिन इस के अलावा कर्तव्य पथ के चार से पांच किलोमीटर के दायरे में गुलामी के अभी भी कई निशान बाकि हैं इंडिया गेट से निकलने वाली सड़कें आक्रांताओं के नाम पर हैं। अकबर रोड से लेकर हुमांयू और शाहजहां रोड तक। औरंगजेब के नाम को तो बदल दिया। लेकिन, औरंगजेब का नाम अब भी यहां कहीं बाकी है। वहीँ बंगाली मार्केट के पास बाबर रोड और बाबर लेन मुगल आक्रांताओं की याद दिलाता रहता है। अगर बात हुमांयू की की जाये तो हुमांयू को कई इतिहासकार उदार बादशाह के रूप में देखते हैं। लेकिन उसने भारतीय संस्कृति को सबसे अधिक नुकसान पहुंचाया। भारतीय कलाओं को नेपथ्य में धकेलकर फारसी कलाओं को प्राथमिकता दी। बताया जाता है कि भारत में सांस्कृतिक स्लतनत की स्थापना हुमांयू ने की। मुगल सल्तनत को मजबूती प्रदान करने के लिए जासूसी का पूरा तंत्र विकसित करनेवाले मिर्जा नजफ खां के नाम पर भी एक सड़क है जो लोदी कालोनी के बाहर से निकलती है। जिस तुगलक राजवंश ने देश की जनता पर भायनक अत्याचार किया, अकाल के समय जनता को लूटा उसके नाम पर तुगलक रोड, तुगलक लेन और तुगलक क्रेसेंट अपनी मौजूदगी से उनके अत्याचारों की याद दिलाता है।

ऐसा नहीं है कि सिर्फ मुगलों और उनके कर्मचारियों के नाम पर नई दिल्ली इलाके में सड़कें हैं। उन अंग्रेजों के नाम पर भी सड़कें हैं जिन्होंने हमारे देश को गुलाम बनाने और गुलाम बनाए रखने में भूमिका निभाई। पहला चेम्सफोर्ड के नाम पर भी सड़क , विलियम मैल्कम हेली था। 1912 में दिल्ली का कमिश्नर नियुक्त हुआ था उसने चतुराई से ये कार्य किया। उसके नाम पर हेली रोड है। गुलामी के ऐसे कई चिन्ह देश की राजधानी में अब भी बने हुए हैं। कर्तव्य पथ के अस्तित्व में आने के बाद अमृत काल में परतंत्रता के क्या इन चिन्ह को हटाने की उम्मीदे की जानी चाहिए।

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *