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Are you ready to be a youth champion, your voice matters
देश

क्या आप यूथ चैंपियन बनने को तैयार हैं, आपकी आवाज मायने रखती है

• कोविड-19 के खिलाफ़ सकारात्मकता फैलाएं, डर नहीं
• केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने जारी की निर्देशिका
• आपका 2 मिनट से 15 मिनट का समय कोरोना से जुड़े भेदभाव पर पड़ेगा भारी

भागलपुर/ 27 अक्टूबर। ‘‘मैं कोविड-19 के दौरान भेदभाव एवं तिरस्कार के खिलाफ़ हूँ। कोविड-19 के दौरान फ़ैल रही किसी भी प्रकार की भ्रामक जानकरियों को स्वीकार नहीं करूँगा’’। यह सोच यदि आप की आवाज बन रही है तो समझिए आप महामारी के इस दौर में यूथ चैम्पियन बनने को तैयार हैं। आपकी यह आवाज काफ़ी मायने रखती है। यह विचारों को प्रकट करने का एक ऐसा नजरिया है जो कोरोना काल में किसी भी तरह के भेदभाव या तिरस्कार झेल रहे व्यक्ति को राहत पहुंचा सकती है। कोविड-19 के दौर में जिस रफ़्तार से संक्रमण का प्रसार हुआ है, उसी रफ़्तार से कोरोना को लेकर भेदभाव एवं तिरस्कार के मामले में भी वृद्धि हुयी है। इसके खिलाफ़ केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने भी #togetherAgainstCOVID19 के तहत मुहिम शुरू कर चुकी है। केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने यूथ को इस मुहिम की महत्वपूर्ण कड़ी मानते हुए उत्साह और दृढ़ता के साथ तिरस्कार और भेदभाव के खिलाफ़ उठाने संबंधी निर्देशिका जारी की है।

तिरस्कार एवं भेदभाव को समझना जरुरी:
कोविड-19 के दौर में लोगों में फैले तिरस्कार व भेदभाव के खिलाफ जागरूकता फैलाने में युवाओं की भूमिका महत्वपूर्ण हो सकती है। जारी निर्देशिका में बताया गया है कि स्वास्थ्य सेवाओं के संदर्भ में तिरस्कार का मतलब होता है आपकी बीमारी के चलते कोई व्यक्ति समुदाय आपको नकारात्मक तरीके से देखता है। महामारी के दौर में इसका मतलब यह होता है कि किसी एक बीमारी से जुड़े लोगों को चिन्हित कर उनके साथ भेदभाव या अलग व्यवहार किया जाए। उनकी सामाजिक स्थिति और छवि को नुकसान पहुंचाया जाए। इस तरह का व्यवहार उन लोगों को जो खुद बीमारी से जूझ रहे हो या उनकी देखभाल करने वाले परिवार सदस्य दोस्तों और समुदाय के लोगों को प्रभावित कर सकता है।

एडवोकेसी के माध्यम से सोच में आएगा बदलाव:
एडवोकेसी का मतलब है किसी मुद्दे को पहचानना और बदलाव की ओर काम करना। जारी निर्देशिका में बताया गया है कि एडवोकेसी के जरिए हम समाज के कमजोर वर्ग की आवाज उठाने में मदद करते हैं। क्योंकि जिन विचारों और परंपराओं में हम बदलाव लाना चाहते हैं, उनका असर इन्हीं वर्गों पर सबसे ज्यादा होता है। एडवोकेसी इसी सामुहिक आवाज का प्रयोग अधिकारों के बचाव और सुरक्षा के लिए करती है, साथ ही अलग-अलग कार्यों और नई शुरुआत में समर्थन करती है। यह बदलाव व्यक्तिगत स्तर, स्थानीय स्तर (उदाहरण के लिए स्थानीय सरकार, पुलिस, धार्मिक नेताओं या योर स्कूल) एवं राष्ट्रीय स्तर पर भी हो सकती है।

2 मिनट से 15 मिनट का समय निकालकर आप भी कर सकते हैं मदद:
2 मिनट से 15 मिनट का समय निकालकर आप भी कोविड-19 के खिलाफ़ मुहिम में महत्वपूर्ण योगदान दे सकते हैं। कोविड-19 से संबंधित सही जानकारी के लिए स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, विश्व स्वास्थ संगठन, यूनिसेफ दस्त्रावेजों को ही फॉलो करें, इसमें आपका 2 मिनट से कम का समय जाएगा। 10 मिनट से 15 मिनट का समय निकालकर कोविड-19 से जुड़े तथ्यों पर विडियो, थैंक्यू कार्ड एवं मिथकों को उजागर करने वाले पोस्ट लिखकर स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की वेबसाइट या टि्वटर हैंडल से सोशल मीडिया संदेशों और ग्राफिक्स को अपने फेसबुक, व्हाट्सएप, स्नैपचैट इंस्टाग्राम या किसी दूसरे सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर साझा करें। उचित दूरी बनाकर रखते हुए कोरोना वारियर्स के साथ खींची गई अपनी सेल्फी को सोशल मीडिया पर साझा करें। अपने कोरोना योद्धा को वीडियो कॉल करें और स्क्रीनशॉट ले या उचित दूरी रखते हुए तस्वीर लेकर सोशल मीडिया पर साझा करें।

मिथकों को उजागर करने वाली पोस्ट शेयर करें:
जारी निर्देशिका में बताया गया है कि कोविड-19 से संबंधित सही जानकारी देने वाली और मिथकों को उजागर करने वाली पोस्ट साझा करें। भ्रामक जानकारी न फैलाएं। इससे समाज में तिरस्कार और भेदभाव को रोकने में सहायता होगी। इस तरह के पोस्ट का प्रिंट लेकर आप उन्हें अपने आसपास चिपका सकते हैं। इसकी तस्वीरें हमारे साथ सोशल मीडिया पर शेयर करें। तिरस्कार का क्या मतलब है, और यह समाज और लोगों के लिए कितना हानिकारक है । इससे जुड़ी जानकारी सोशल मीडिया पर साझा करें। लोगों को भेदभाव के खिलाफ खड़े होने के लिए प्रेरित करें।

गलत जानकारी फैलाने वालों को रोकें :
महामारी के दौर में ज्यादातर लोग परेशान और बड़े हुए हैं और इस मुश्किल समय में लोग कई बार गलत और गैर-तथ्यात्मक जानकारी साझा कर जाते हैं। अक्सर लोगों को यह पता ही नहीं होता है कि सही जानकारी कहां से मिल सकती है। जारी निर्देशिका में यह बताया गया है कि यदि कोई व्यक्ति या आपका दोस्त गलत जानकारी फैला रहा है तो उनसे मिलकर या फिर इनबॉक्स में मैसेज कर उनसे संपर्क कर सही तथ्यों को बताएं। याद रखें आपका उद्देश्य उन्हें नीचा दिखाना नहीं बल्कि उनकी सोच बदलना है। उन्हें बताएं कि जो बातें या सुझाव उन्होंने शेयर किया है उसका स्रोत विश्वसनीय नहीं है। उन्हें किसी विश्वसनीय स्रोत के बारे में जानकारी दें। जहां से वह सही जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

अगर कोई भेदभाव को बढ़ावा दे रहा है तो क्या करें:
जारी निर्देशिका में यह बताया गया है कि अगर कोई भेदभाव को बढ़ावा दे रहा है तो उन्हें यह बताएं कि वायरस किसी को भी प्रभावित कर सकता है और इसका किसी खास समूह के लोगों से कोई लेना देना नहीं है। उन्हें तथ्य उपलब्ध कराएं और शांत तरीके से बताया कि अलग-अलग लोग किस तरह प्रभावित है। उन्हें बताएं कि किसी एक समूह या वर्ग को अलग कर या उन्हें वायरस के लिए जिम्मेदार ठहराने के गंभीर नतीजे हो सकते हैं। इससे हिंसा बढ़ सकती है और इससे लोग जरूरत होने पर भी इलाज के लिए सामने नहीं आएंगे। जिससे बीमारी और बढ़ सकती है। इस समय एक दूसरे का साथ देना और सभी का सहयोग करना एक दूसरे के प्रति दया और करुणा का भाव जरूरी है। भले ही हम डरे हुए हो। खुद को संयमित रखें भले ही आप निराश हो या गुस्से में हो।

कई युवा आ भी रहे सामने: तिलकामांझी के राकेश ने बताया कि कोरोना के प्रति हमलोग पहले से समाज में जागरूकता फैला रहे हैं. आगे भी इस काम में अपनी भूमिका निभाएंगे. वहीं आदमपुर के सुमित ने कहा कि कोरोना के प्रति युवाओं को आगे आना होगा जागरूक करने के लिए. बूढ़ानाथ के रमेश ने बताया कि जिम्मेदारी बनती है लोगों को जागरूक करें.

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