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औरंगजेब और नागपुर हिंसा: ऐतिहासिक और समसामयिक परिप्रेक्ष्य

भारत का इतिहास सत्ता, संघर्ष और सांस्कृतिक परिवर्तन का साक्षी रहा है। जहाँ मुगल सम्राट औरंगजेब का नाम आज भी भारतीय समाज और राजनीति में चर्चा का विषय बना रहता है। हाल ही में नागपुर में हुई सांप्रदायिक हिंसा ने औरंगजेब चरित्र को एक बार फिर से सुर्खियों में ला दिया है। इस लेख में औरंगजेब के शासनकाल, उसकी नीतियों, हिंदू समाज पर उसके प्रभाव, और हालिया नागपुर हिंसा के कारणों और प्रभावों का विस्तृत विश्लेषण प्रस्तुत करता है।

1. औरंगजेब: एक ऐतिहासिक दृष्टिकोण

औरंगजेब (1618-1707) मुगल साम्राज्य के छठे शासक थे, जिन्होंने 1658 से 1707 तक शासन किया। उनका शासन कई महत्वपूर्ण घटनाओं के लिए जाना जाता है, जिनमें हिंदुओं पर लगाए गए जज़िया कर, हजारों मंदिरों का विध्वंस, और जबरन धर्म परिवर्तन शामिल हैं। इतिहासकारों के अनुसार, उसने हिंदू धर्म और उसके अनुयायियों पर कठोर नीतियां लागू कीं, जिनका उद्देश्य इस्लामी शासन को और मजबूत करना था।

मंदिर विध्वंस और धार्मिक दमन: गुजरात में सोमनाथ मंदिर सहित हजारों मंदिरों को तोड़ा गया। काशी और मथुरा के मंदिरों को भी निशाना बनाया गया।

हिंदुओं पर कर और प्रतिबंध: औरंगजेब ने हिंदुओं पर जज़िया कर लगाया, जिससे उन्हें आर्थिक रूप से कमजोर किया गया।

जबरन धर्म परिवर्तन: कई स्थानों पर हिंदू जनेऊधारी ब्राह्मणों और अन्य गैर-मुस्लिमों को इस्लाम स्वीकार करने के लिए मजबूर किया गया।

इन नीतियों का व्यापक विरोध हुआ और मराठा साम्राज्य, सिख समुदाय और राजपूतों ने इसके विरुद्ध विद्रोह किया।

2. नागपुर हिंसा: पृष्ठभूमि और घटनाक्रम

17 मार्च 2025 को नागपुर में विश्व हिंदू परिषद (VHP) और अन्य हिंदू संगठनों द्वारा औरंगजेब की विरासत को चुनौती देने के लिए एक प्रदर्शन आयोजित किया गया। इस प्रदर्शन में औरंगजेब की कब्र को हटाने की मांग उठी, जिससे तनाव बढ़ गया। जिसके बाद मुस्लिम समुदाय के कुछ गुटों ने इस प्रदर्शन के विरोध में मार्च निकाला, जो हिंसक झड़प में बदल गया। जिसके बाद पुलिस ने स्थिति को नियंत्रित करने के लिए कर्फ्यू लगा दिया और अतिरिक्त सुरक्षा बल तैनात किए।

मुख्य घटनाएँ:

मुस्लिम प्रदर्शनकारियों ने सुनियोजित रूप से पथराव किया।

हिंसा के दौरान कई दुकानों के शीशे तोड़ दिए गए और हिंदू प्रतीकों वाली गाड़ियों को भी आग के हवाले कर दिया गया।

उपद्रवियों ने सड़कों पर तोड़फोड़ की और वाहनों को नुकसान पहुँचाया।

मुस्लिम उपद्रवियों ने उन्हीं गाड़ियों और दुकानों को आग लगायी , जो हिंदुओं की थीं।

पुलिस ने उपद्रवियों को नियंत्रित करने की कोशिश की, लेकिन झड़पों में दर्जनों पुलिसकर्मी भी घायल हो गए।

स्थिति बिगड़ने पर प्रशासन ने इंटरनेट सेवाएं बंद कर दीं और कई इलाकों में कर्फ्यू लागू कर दिया।

3. समाज और राजनीति पर प्रभाव

भारत में धार्मिक और ऐतिहासिक मुद्दों को लेकर राजनीति लंबे समय से होती आई है।

सामाजिक विभाजन: इस प्रकार की घटनाएं हिंदू और मुस्लिम समुदायों के बीच तनाव को बढ़ाती हैं।

राजनीतिक ध्रुवीकरण: राजनीतिक दल इस तरह के मुद्दों का उपयोग अपने-अपने मतदाताओं को प्रभावित करने के लिए करते हैं।

जहाँ नागपुर में हुई सांप्रदायिक हिंसा के बाद महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने घटना की निंदा करते हुए कहा कि हिंसा पूर्व-नियोजित थी, क्योंकि पेट्रोल बम जैसी वस्तुएं तुरंत उपलब्ध नहीं होतीं; इन्हें पहले से तैयार किया गया था। फडणवीस ने कहा कानून को हाथ में लेने वाले को बक्शा नहीं जायेगा चाहे वह कब्र में क्यों न चुप जाये

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर ने कहा कि औरंगजेब आज प्रासंगिक नहीं हैं, और वर्तमान में उनकी चर्चा करना उचित नहीं है।

शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे गुट) के नेता आदित्य ठाकरे ने इस घटना पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि जब बीजेपी शासन करने में असफल होती है, तो वह हिंसा और दंगों का सहारा लेती है।

एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने बीजेपी और आरएसएस पर तीखा हमला किया है,

शिवसेना नेता नरेश मस्के द्वारा मुगल शासक औरंगजेब की कब्र को नष्ट करने के बयान पर कोंग्रेसी नेता नाना पटोले ने टिप्पणी की कि वर्तमान सरकार देश को बर्बाद करने और धर्म के आधार पर राजनीति करने का प्रयास कर रही है

वहीं, विपक्षी दलों ने सरकार की कानून-व्यवस्था पर सवाल उठाए हैं।

4. समाधान और आगे की राह

इस प्रकार के विवादों को रोकने के लिए ठोस उपायों की आवश्यकता है।

सांप्रदायिक संवाद: विभिन्न समुदायों को एक साथ लाकर संवाद स्थापित करना।

शिक्षा और जागरूकता: इतिहास को सही संदर्भ में प्रस्तुत करना, जिससे गलत धारणाएं न बने।

कानूनी प्रवर्तन: हिंसा भड़काने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करना।

निष्कर्ष

औरंगजेब का शासनकाल भारतीय इतिहास का एक विवादित अध्याय है। उनकी नीतियों ने हिंदू समाज को गहरे घाव दिए, जिनका प्रभाव आज भी दिखता है। नागपुर हिंसा जैसी घटनाएं इस ऐतिहासिक पीड़ा को और हवा देती हैं, जिससे समाज में अस्थिरता फैलती है। इतिहास से सीख लेते हुए हमें एकता और सौहार्द की दिशा में आगे बढ़ना होगा, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।

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