कोरोना काल में बच्चों को टीका लगवाना नहीं भूलें
जन्म लेते ही बीसीजी का टीका लगा तो बच्चा रहेगा कोरोना से सुरक्षितपेंटा वैलेंट के तीनों डोज दिलाने से बच्चे कई बीमारियों से रहेंगे सुरक्षित
बांका, 17 अगस्त
कोरोना संक्रमण के बीच अपने बच्चों को टीका लगवाना नहीं भूलें। डॉक्टरों का मानना है कि अगर लोग अपने-अपने बच्चों को टीका लगवाना अभी से शुरू कर देंगे तो सर्दी के दिनों में बच्चों को होने वाली कई जानलेवा बीमारियों से बच्चों को बचा सकेंगे। शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी डॉ. सुनील कुमार चौधरी का कहना है कि निमोनिया से बचाव के लिए लगने वाले पीसीवी के तीनों डोज, काली खांसी, कुक्कुर खांसी व टिटनेस से बचाव के लिए पेंटा वैलेंट बच्चों को दिला दें तो उन्हें ठंड के दिनों में ये बीमारियां नहीं होंगी।टीका लगने से कोरोना से हो जाएगा सुरक्षित: डॉ. चौधरी कहते हैं कि अगर जन्म लेने वाले बच्चे को बीसीजी का टीका लग जाता है तो वह कोरोना से पूरी तरह से सुरक्षित रहेगा। जिन बच्चों को जन्म लेते ही बीसीजी का टीका लगा था उनमें कोरोना संक्रमण की दर 0.02 प्रतिशत रही। बीसीजी का टीका लगने के बाद बच्चे में रोग प्रतिरोधक क्षमता में तेजी से विकास होता है। टीके से बच्चों की होती है सुरक्षा: डॉ. सुनील कुमार चौधरी ने बताया कि टीका एक जीवनरक्षक है जो बच्चे का रक्षा कवच बनकर उसके जीवन की सुरक्षा करता है। टीका बच्चे के शरीर को संक्रामक रोगों से लड़ने की शक्ति प्रदान करता है, ताकि नवजात शिशु को कोई भी संक्रामक रोग छू न सकें। बच्चों को टीका लगवाने की यह क्रिया वैक्सीनेशन कहलाती है। संक्रामक रोगों की रोकथाम के लिये यह प्रक्रिया सबसे सस्ती और सबसे प्रभावी है। नियमित टीकाकरण कई तरह की बीमारियों से होता है बचाव: डॉ. चौधरी ने बताया शिशुओं व गर्भवती महिलाओं के रूटीन इम्यूनाइजेशन, उन्हें कई तरह की बीमारियों से बचाता है। साथ ही टीकाकरण से बच्चों के शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाया जाता है ताकि उनके रोग से लड़ने की क्षमता विकसित हो सके। बीमारियां जैसे खसरा, टिटनेस, पोलियो, क्षय रोग, गलाघोंटू, काली खांसी व हेपेटाइटिस बी आदि बीमारियों से यह बच्चों की सुरक्षा करता है। छह माह तक नियमित स्तनपान का है महत्व: डॉ. सुनील कुमार चौधरी ने बताया प्रारंभिक अवस्था में उचित पोषण नहीं मिलने से बच्चों का शारीरिक एवं मानसिक विकास अवरुद्ध हो सकता है। इसलिए 0 से 6 माह के बच्चे को सिर्फ स्तनपान और 6 माह के बाद शिशुओं को स्तनपान के साथ पौष्टिक ऊपरी आहार देना चाहिए। 6 माह तक शिशु को केवल स्तनपान कराने से दस्त और निमोनिया के खतरे से बचाया जा सकता है।