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केंद्र और सभी राज्यों की सरकारों के अधीन कक्षा 6 से लेकर कक्षा 12 तक की कक्षाओं में पढ़ाई कर रही सभी छात्राओं को फ्री सैनिटरी पैड दिए जाने की मांग

सैनिटरी पैड और छात्राओं के लिए अलग टॉयलेट की मांग वाली याचिका पर पर Supreme Court में सुनवाई आज

केंद्र और सभी राज्यों की सरकारों के अधीन शासकीय, सहायता प्राप्त विद्यालयों, आवासीय विद्यालयों, आदि में कक्षा 6 से लेकर कक्षा 12 तक की कक्षाओं में पढ़ाई कर रही सभी छात्राओं को फ्री सैनिटरी पैड दिए जाने की मांग वाली याचिका पर उच्चतम न्यायालय में आज यानी सोमवार, 24 जुलाई 2023 को सुनवाई होनी है। सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यामूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायाधीशों न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा की खण्डपीठ द्वारा इस मामले पर सुनवाई की जानी है।

एक सामाजिक कार्यकर्ता जया ठाकुर द्वारा दायर की गई इस याचिका में मांग की गई है कि शीर्ष अदालत द्वारा केंद्र और सभी राज्यों की सरकारों को आदेश दिया जाए कि सभी स्कूलों में फ्री सैनिटरी पैड और छात्राओं के लिए अलग टॉयलेट की सुविधा उपलब्ध कराएं।

इससे पहले 10 अप्रैल को हुई इस मामले की सुनवाई के दौरान खण्डपीठ

ने इस सम्बन्ध स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर्स (SOPs) बनाने और सभी राज्यों व केंद्र शासित क्षेत्रों में लागू करने के लिए एक नेशनल मॉडल तैयार करने के निर्देश दिए थे। इस सुनवाई के दौरान खण्डपीठ ने इस मामले को ‘अत्यंत महत्वपूर्ण’ (Immense Important) बताते हुए केंद्र सरकार से कहा था कि कि मासिक धर्म के दौरान स्वच्छता के प्रबंधन को लेकर सभी स्टेकहोल्डर्स के साथ मिलकर एकसमान राष्ट्रीय नीति बनाए जो कि पूरे देश के सभी सरकारी और सहायता प्राप्त विद्यालयों में लागू किया जाएगा।

शीर्ष अदालत के निर्देशों के पालन में, मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के सचिव को नोडल ऑफिसर के तौर पर तैनात किया गया जो कि सभी राज्यों और केंद्र शासित क्षेत्रों से सम्बन्धित आकड़े और सूचनाएं एकत्र करेंगे ताकि एक राष्ट्रीय नीति बनाई जा सके।

पिछले सुनवाई के दौरान सरकार द्वारा खण्डपीठ को सूचित किया गया था कि वर्तमान में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय, केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय और जलशक्ति मंत्रालय द्वारा मासिक धर्म स्वच्छता से सम्बन्धित योजनाएं चलाई जा रही हैं। इस पर खण्डपीठ ने कहा था कि केंद्र सरकार सभी राज्यों और यूटी के साथ मिलकर एकसमान राष्ट्रीय बनाए।

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