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newsनरेंदर मोदी

In-Depth: पीएम मोदी की मिस्र यात्रा के क्या हैं मायने?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए आने वाला अगला सप्ताह काफी अस्त-व्यस्त रहने वाला है।

पीएम मोदी अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन और प्रथम महिला जिल बाइडन के आधिकारिक निमंत्रण पर अमेरिका जा रहे है। इसके बाद वह 24-25 जून तक मिस्र की यात्रा करेंगे। फाइल फोटो। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए आने वाला अगला सप्ताह काफी अस्त-व्यस्त रहने वाला है। पीएम मोदी अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन और प्रथम महिला जिल बाइडन के आधिकारिक निमंत्रण पर अमेरिका जा रहे है और वह 21 से 24 जून तक अमेरिका में रहेंगे। मालूम हो कि पीएम मोदी अमेरिका की अपनी पहली राजकीय यात्रा के बाद 24-25 जून तक मिस्र की यात्रा करेंगे।

मिस्र के राष्ट्रपति ने पीएम मोदी को दिया था निमंत्रण

मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फतह अल-सिसी ने इसी वर्ष जनवरी में भारत की यात्रा की थी। इस दौरान वह  गणतंत्र दिवस पर मुख्य अतिथि के रूप में भारत आए थे। इसी दौरान उन्होंने पीएम मोदी को काहिरा आने का निमंत्रण दिया था। पीएम मोदी 24-25 जून तक मिस्र में रहेंगे। मालूम हो कि पीएम मोदी की मिस्र की यह पहली यात्रा है। मिस्र की अपनी यात्रा के दौरान पीएम मोदी राष्ट्रपति अब्देल फतह अल-सिसी के साथ वार्ता करेंगे। इसके अलावा वह सरकार के गणमान्य व्यक्तियों और कुछ प्रमुख हस्तियों के साथ भी मुलाकात करेंगे।  अल-सिसी की भारत यात्रा के दौरान भारत के साथ संबंधों को रणनीतिक साझेदारी बढ़ाने पर सहमति बनी थी।

भारत और मिस्र को बीच कैसे हैं संबंध?

भारत और मिस्र के बीच संबंधों की कड़ी कोई नई नहीं है। दोनों देशों के बीच सौहार्दपूर्ण संबंध दशकों नहीं बल्कि सदियों पुरानी है। पीएम मोदी की मिस्र की यात्रा से भारत-मिस्र संबंधों का एक नया अध्याय शुरू होने वाला है। 15 अगस्त, 1947 को भारत आजाद हुआ। आजादी के सिर्फ तीन दिन के बाद यानी 18 अगस्त 1947 को ही दोनों देशों ने औपचारिक संबंध स्थापित कर लिए थे। इस दौरान भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और मिस्र के राष्ट्रपति गमाल अब्देल नासिर ने मंत्री संबंध पर हस्ताक्षर किए थे। अब दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंधों की स्थापना का 75 वर्ष पूरा हो गया है।

PM Modi की यात्रा से दोनों देशों के संबंधों को मिलेगा बल

दोनों देशों के संबंधों में इस मिल के पत्थर को साबित करने के बाद मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फतह अल-सिसी इस बार गणतंत्र दिवस में मुख्य अतिथि रहे हैं। मालूम हो कि भारत और मिस्र के संबंधों में यह एक बेहद खास अवसर है, जब दोनों देश अपने इस संबंध को विस्तार दे रहे हैं और नए आयाम तक पहुंचने के लिए प्रतिबद्ध हैं। पीएम मोदी की यात्रा से दोनों देशों के संबंधों को और बल मिलने की उम्मीद है। मालूम हो कि भारत अपनी जी20 की अध्यक्षता तहत इसके शिखर सम्मेलन में विशेष अतिथि के रूप में मिस्र को आमंत्रित किया है।

अल-सिसी दो बार कर चुके हैं भारत की यात्रा

राष्ट्रपति अब्देल फतह अल-सिसी 26 जनवरी, 2023 को गणतंत्र दिवस के अवसर पर राजकीय मेहमान के तौर पर भारत आए थे। इसके पहले वह भारत की यात्रा पर दो बार आ चुके हैं। हालांकि, पिछले नौ सालों के कार्यकाल में पीएम मोदी ने अभी तक मिस्र की यात्रा नहीं की है। साल 2020 में ही पीएम मोदी की इस देश की यात्रा करने की तैयारी थी, लेकिन कोरोना महामारी के कारण यात्रा संभव नहीं हो पाई थी।

चार प्रधानमंत्री कर चुके हैं मिस्र की यात्रा

पीएम मोदी की मिस्र की यात्रा से पहले भारत के चार प्रधानमंत्री इस देश की यात्रा कर चुके हैं। साल 1985 में राजीव गांधी ने सबसे पहले इस देश की यात्रा की थी। साल 1995 में पीवी नरसिम्हा राव भी इस देश की यात्रा कर चुके हैं। उनके बाद साल 1997 में भारत के 12वें प्रधानमंत्री आई के गुजराल यानी इन्द्र कुमार गुजराल ने इस देश के दौरे पर गए थे। हालांकि, सबसे अंतिम बार साल 2009 में मनमोहन सिंह ने इस देश की यात्रा की थी। साल 2014 में केंद्र में मोदी सरकार के आने के बाद उस समय के विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने साल  2015 में काहिरा की यात्रा पर गई थीं।

मिस्र के कई राष्ट्रपति भी कर चुके हैं भारत की यात्रा

मिस्र की ओर से कई राष्ट्रपति भारत के दौरे पर आ चुके हैं। गुटनिरपेक्ष शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए  राष्ट्रपति होस्नी मुबारक भारत दौरे पर आ चुके हैं। हालांकि, साल 2011 में मिस्र की क्रांति के बाद उस समय के राष्ट्रपति मोहम्मद मुर्सी ने साल 2013 में भारत की यात्रा की थी। इसी वर्ष  मिस्र के विदेश मंत्री ने भी भारत की यात्रा की थी।

आर्थिक तंगी का सामना कर रहा मिस्र

मालूम हो कि बीते कुछ सालों से मिस्र आर्थिक संकट का सामना कर रहा है। हालांकि, इस संकट की घड़ी में मिस्र के साथ भारत मजबूती के साथ खड़ा नजर आ रहा है। मिस्र वैसे तो मुस्लिम बहुल देश है, लेकिन वह हमेशा आतंकवाद के मुद्दे पर पाकिस्तान के खिलाफ खड़ा रहता है। मिस्र भारत के सबसे महत्वपूर्ण अफ्रीकी व्यापारिक साझेदारों में से एक है। दोनों देशों के बीच साल 1978 में एक द्विपक्षीय व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर हुए थे।

पिछले कुछ वर्षों से दोनों देशों के संबंधों में काफी वृद्धि दर्ज की गई है। कई रिपोर्टों के मुताबिक, भारत और मिस्र के बीच द्विपक्षीय व्यापार 2021-22 में तेजी से बढ़ा है, जो 2020-21 की तुलना में 75 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज करते हुए 7.26 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गया है।

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