भारत-अमेरिका ने BECA समझौता पर किए हस्ताक्षर
भारत और अमेरिका के बीच नई दिल्ली में हुई दो दिवसीय टू प्लस टू वार्ता में दोनों देशों ने BECA समझौता (बेसिक एक्सचेंज एंड कोऑपरेशन एग्रीमेंट) पर हस्ताक्षर कर दिए हैं। इस समझौते से दोनों देशों के बीच सूचनाओं को साझा करने में और भी आसानी होगी। सिर्फ यही नहीं इसके अलावा भी कई अहम समझौतों पर हस्ताक्षर किए जा सकते हैं।
भारत और यूनाइटेड स्टेट्स के बीच हुए इस बुनियादी विनिमय और सहयोग समझौते (BECA) पर रक्षा मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव जीवेश नंदन ने भारत की ओर से समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं।
बता दें कि बैठक में शामिल होने के लिए अमेरिकी रक्षा और विदेश मंत्री सोमवार को भारत पहुंच गए थे। यब बैठक ऐसे समय पर हो रही है जब भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर तनातनी जारी है। ऐसे में चीन की नजर भी भारत और अमेरिका के बीच हो रही इस बैठक पर है। वहीं दूसरी ओर अमेरिकी रक्षा और विदेश मंत्री ने राष्ट्रीय युद्ध स्मारक जाकर शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की।
वार्ता के दौरान रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि हमें खुशी है कि हमने BECA (बेसिक एक्सचेंज एंड कोऑपरेशन एग्रीमेंट) पूरा कर लिया है, इससे सूचनाएं साझा करने के नए रास्ते खुलेंगे। हम अमेरिका के साथ आगे के मुद्दों पर चर्चा करने के लिए उत्सुक हैं।
क्या है BECA समझौता
वार्ता के दौरान रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि हमें खुशी है कि हमने BECA (बेसिक एक्सचेंज एंड कोऑपरेशन एग्रीमेंट) पूरा कर लिया है, इससे सूचनाएं साझा करने के नए रास्ते खुलेंगे। बेका से भारत मिसाइल हमले के लिए विशेष अमेरिकी डेटा का इस्तेमाल कर सकेगा। इसमें किसी भी क्षेत्र की सटीक भौगोलिक लोकेशन होती है।
BECA से जुड़ी 10 जरूरी बातें
1 BECA भारत के साथ अमेरिका का चौथा और अंतिम ‘मूलभूत’ करार है।
दोनों देशों ने सैन्य सूचनाओं के आदान-प्रदान और सुरक्षित संचार व्यवस्था को बनाने के लिए पहले ही जनरल सिक्योरिटी ऑफ मिलिट्री इंफॉर्मेशन एग्रीमेंट (2002), लॉजिस्टिक्स एक्सचेंज मेमोरेंडम ऑफ एग्रीमेंट (2016), कम्युनिकेशंस कम्पेटिबिलिटी एंड सिक्योरिटी एग्रीमेंट (2018) पर हस्ताक्षर किए हैं।
2 BECA गोपनीय भू-स्थानिक डेटा के साथ-साथ महत्वपूर्ण सैन्य अनुप्रयोगों वाली अहम जानकारी तक भारत को पहुंच प्रदान करेगा।
BECA के तहत दोनों देश मानचित्र, समुद्री और वैमानिकी चार्ट, वाणिज्यिक और अन्य अवर्गीकृत इमेजरी, भूभौतिकीय, भू-चुंबकीय और गुरुत्वाकर्षण डेटा का आदान-प्रदान कर सकते हैं।
3 समझौता अमेरिका को उपग्रह और सेंसर से लिया गया संवेदनशील डेटा साझा करने की अनुमति देगा, जो भारत को बेहद सटीकता के साथ सैन्य लक्ष्यों को देख पाने में मदद करेगा।
4 इसके अलावा भारत हिंद महासागर में चीनी युद्धपोतों के आवागमन या अन्य हरकतों पर कड़ी नजर रख सकेगा।
5 पाकिस्तान के मामले में देखा जाए तो अगर कभी बालाकोट की तरह एक और हवाई हमला होता है, तो भारत ऐसे लक्ष्यों को सफलतापूर्वक नष्ट किए जाने की अमेरिका के उपग्रह और अन्य माध्यम से मिलने वाले डाटा से पुष्टि कर सकेगा।
6 भारत सरकार ने कहा है कि इस समझौते पर हस्ताक्षर से दोनों देशों के सशस्त्र बलों के बीच संबंध और भी घनिष्ठ हो जाएंगे