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Karnataka Budget 2023: CM सिद्धारमैया ने कांग्रेस सरकार का पहला बजट किया पेश, गारंटियों को लागू करने की तैयारी

Karnataka News कर्नाटक के सीएम सिद्धारमैया आज राज्य का 14वां बजट पेश करने वाले हैं।

उम्मीद जताई जा रही है कि इस बार के बजट में कांग्रेस द्वारा चुनाव के घोषणापत्र में दी गई पांच गारंटियों को लागू किया जा सकता है। सिद्धारमैया ने संकेत दिया है कि नया बजट अनुमानित 335000 करोड़ रुपये है। हालांकि अब भी सिद्धारमैया के सामने कई चुनौतियां आने वाली है।

राज्य के नए बजट का कुल व्यय 3,27,747 करोड़ रुपये

सीएम सिद्धारमैया ने राज्य का बजट पेश किया है, जिसका कुल व्यय 3,27,747 करोड़ रुपये होने का अनुमान है। इसमें राजस्व व्यय 2,50,933 करोड़ रुपये, पूंजीगत व्यय 54,374 करोड़ रुपये और ऋण चुकौती 22,441 करोड़ रुपये शामिल है। उनके द्वारा पेश किए गए पहला बजट 12,616 करोड़ रुपये था, जबकि उनके 13वां बजट 2,09,181 करोड़ रुपये था।

शिक्षा के लिए 37,587 करोड़ रुपये आवंटित

2023-23 के बजट में शिक्षा के लिए 37,587 करोड़ रुपये और महिला एवं बाल विकास के लिए 24,166 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं, जो यह कुल बजट आवंटन का क्रमशः 11% और 7% है। वहीं, कुल बजट का 4% यानी 14,950 करोड़ रुपये स्वास्थ्य और परिवार कल्याण के लिए आवंटित किए गए हैं

इसी वित्त वर्ष में लागू होंगी पांचों गारंटियां

सीएमओ ने कहा कि इस बजट में संसाधन जुटाने और कांग्रेस पार्टी के चुनाव घोषणापत्र में वादा की गई सभी पांच गारंटियों को लागू करने पर जोर दिया गया है। सिद्धारमैया ने कहा है कि मुफ्त योजनाओं के लिए इस साल 50,000 करोड़ रुपये से ज्यादा की जरूरत है।

इस बार एक तरफ राज्य के विकास को संतुलित करने और वित्तीय अनुशासन बनाए रखना एक चुनौती होगी और वहीं, दूसरी तरफ अगले साल लोकसभा चुनाव में अधिकतम सीटें जीतने के लिए ठोस आधार बनाने के लिए मुफ्त योजनाएं लागू करना दूसरी चुनौती होगी।

केंद्र पर हमला करने की तैयारी में सिद्धारमैया सरकार

सूत्रों ने यह भी बताया कि कांग्रेस सरकार देश को बीजेपी के खिलाफ संदेश देना चाहती है। उन्होंने जीएसटी हिस्सेदारी और राज्य को चावल बेचने में केंद्र के कथित असहयोग के मामले में सिद्धारमैया द्वारा भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार पर हमला करने का संकेत दिया।

राज्य सरकार के पास एट्टिनाहोल, मेकेदातु, अपर कृष्णा, अपर भद्रा, कलासा बंदुरी और अलमट्टी जैसी प्रमुख सिंचाई और विकास परियोजनाओं के लिए गारंटी और आरक्षित निधि के लिए संसाधन जुटाने की अनिवार्यता है। इसके साथ ही, सिद्धारमैया के सामने बेंगलुरु के विकास के लिए उचित फंड सुनिश्चित करने की भी चुनौती है।

राज्य सरकार की परियोजनाओं को शुरू करने में चुनौती

बृहत बेंगलुरु महानगर पालिका (बीबीएमपी) ने यातायात समस्याओं को कम करने के लिए 17 फ्लाईओवर बनाने का प्रस्ताव प्रस्तुत किया है, लेकिन नागरिक एजेंसियों ने अभी तक ठेकेदारों को 7,000 करोड़ रुपये के लंबित बिल जारी नहीं किया है। राज्य सरकार को बेंगलुरु में भीड़भाड़ कम करने के उद्देश्य से उपनगरीय रेल परियोजना और नए मेट्रो मार्गों के लिए पर्याप्त धन भी उपलब्ध कराना होगा।

मुख्यमंत्री अपने 14वें बजट को पेश करने के लिए पिछले 25 दिनों से वित्त विभाग के साथ लगातार बैठकें कर रहे हैं। 1995-96 से 2018-19 तक के बजटों में कृषि, उद्योग, सेवा क्षेत्र और कौशल विकास के लिए बड़ी मात्रा में धन आवंटित किया गया है।

14वें बजट को माना जा रहा सबसे चुनौतीपूर्ण

सबसे चुनौतीपूर्ण माने जा रहे 14वें बजट में पिछले एक सप्ताह में दिये गये मुख्यमंत्री के बयानों से यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि पांच गारंटी से सभी जाति और वर्ग के लोगों की कठिनाइयों में पर्याप्त राहत मिलेगी। अब तक के 13वें बजट में राजस्व प्राप्तियां और किए गए व्यय सभी में हर साल वृद्धि हुई है। उपमुख्यमंत्री और वित्त मंत्री के रूप में, सिद्धारमैया ने सार्वजनिक खरीद अधिनियम, 1991 में कर्नाटक पारदर्शिता का मसौदा तैयार किया और लागू किया था।

सिद्धारमैया के सामने हैं कई चुनौतियां

सीएमओ के बयान में कहा गया है कि इसी तरह, कर्नाटक राजकोषीय उत्तरदायित्व अधिनियम 2002 ने सरकार की राजकोषीय प्रक्रियाओं को सरल बनाया है। अब तक 13 बजटों की प्रस्तुति के दौरान राज्यों को कर लगाने का अधिकार था। अब केंद्रीय जीएसटी द्वारा राज्यों के इस अधिकार पर अंकुश लगा दिया गया है। इसके अलावा, केंद्र सरकार ने अन्ना भाग्य योजना के लिए चावल उपलब्ध कराने से इनकार करके सिद्धारमैया के लिए एक बड़ी चुनौती पैदा कर दी है।

सरकार एक पार्टी या एक धर्म तक सीमित नहीं

सीएमओ की ओर से जारी बयान में कहा गया, “जीएसटी और केंद्र से असहयोग के बीच, मुख्यमंत्री ने घोषणा की है कि पांच गारंटी योजनाएं निश्चित रूप से इसी वित्तीय वर्ष में लागू की जाएंगी। पांच गारंटी योजनाओं के लाभार्थी साबित कर रहे हैं कि सरकार एक पार्टी या एक धर्म तक सीमित नहीं है।”

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