Manipur Violence: 29-30 जुलाई को मणिपुर जाएंगे विपक्षी सांसद, INDIA गठबंधन का एक और सियासी दांव
मणिपुर में अभी भी दो समुदायों मैतेई और कुकी के बीच हिंसा रूकने का नाम नहीं ले रही है।
वहीं, इस बीच ये खबर भी सामने आई है कि भारत गठबंधन के सांसदों का एक दल 29-30 जुलाई को मणिपुर का दौरा करेगा।मणिपुर में अभी भी दो समुदायों मैतेई और कुकी के बीच हिंसा रूकने का नाम नहीं ले रही है। वहीं इस बीच ये खबर भी सामने आई है कि भारत गठबंधन के सांसदों का एक दल 29-30 जुलाई को मणिपुर का दौरा करेगा। इस दौरान सांसद मणिपुर के लोगों से भी मुलाकात करेंगे। हाल ही में मणिपुर से एक महिला की वीडियो सामने आने के बाद हिंसा बढ़ गई थी।
विपक्षी नेता साध रहे निशाना
मणिपुर में हो रही हिंसा को लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच सियासी बवाल मचा हुआ है। वहीं, इस बीच RLD अध्यक्ष जयंत चौधरी संसद सत्र में शामिल होने के लिए गुरुवार को काले कपड़े पहनकर पहुंचे और पीएम नरेंद्र मोदी पर जमकर निशाना साधा।
आरएलडी अध्यक्ष ने कहा- “विरोध के लिए नए-नए तरीके अपनाने पड़ रहे हैं क्योंकि सदन की गंभीरतपूर्वक कार्यवाही होनी चाहिए। सरकार की जवाबदेही तय होनी चाहिए। साथ ही मणिपुर की घटना को लेकर प्रधानमंत्री को एक वक्तत्व देना चाहिए, ताकि पूरे देश को एक संदेश जाए कि मणिपुर की घटना को लेकर सभी लोग गंभीर हैं। इसलिए काला कपड़ा पहनकर विरोध कर रहे हैं।”
हाल ही वायरल हुआ था महिलाओं का वीडियो
मणिपुर में दो महिलाओं को निर्वस्त्र करके घुमाने का वीडियो बीते दिनों सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था। इस मामले में अब तक कई लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है। महिलाओं की नग्न स्थिति में वायरल हुई वीडियो की पूरे देशभर में कड़ी निंदा की गई थी।
कुल सात आरोपी हुए गिरफ्तार
इस मामले में पुलिस ने जानकारी देते हुए बताया कि सोमवार की शाम को थौबल जिले से एक अन्य आरोपी को गिरफ्तार किया गया है। अब इस मामले में गिरफ्तार आरोपियों की संख्या सात हो गई है। पुलिस ने वीडियो के जरिए 14 लोगों की पहचान की थी। दरअसल, वीडियो में कुछ आरोपी दो महिलाओं को नग्न अवस्था में घुमा रहे थे और उनके साथ छेड़छाड़ कर रहे थे।
मणिपुर में अब तक कई लोगों की मौत
3 मई को राज्य में जातीय हिंसा भड़कने के बाद से अब तक 160 से अधिक लोगों की जान गई है। इस हिंसा के दौरान कई लोग घायल भी हुए हैं। दरअसल, मैतेई समुदाय की अनुसूचित जनजाति (एसटी) की स्थिति की मांग के विरोध में पहाड़ी जिलों में ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ आयोजित किया गया था। धीरे-धीरे यह प्रदर्शन, हिंसा में बदल गया, जिसकी आग में आज भी राज्य सुलग रहा है।