पंडित मनीष आंनद शास्त्री महाराज ने श्रीकृष्ण-रुक्मणी विवाह प्रसंग सुनाया | mobile news 24
भगवान श्रीकृष्ण रुक्मणि के विवाह की झांकी ने सभी को खूब आनंदित किया
भरवारा प्रतिनिधि पनवाड़ी विकासखण्ड क्षेत्र के भरवारा गांव स्थित विंध्यवासिनी माता मंदिर प्रांगण में चल रही श्रीमद् भागवत कथा में शुक्रवार को कथा व्यास पंडित मनीष आंनद शास्त्री महाराज ने श्रीकृष्ण-रुक्मणी विवाह प्रसंग सुनाया। भगवान श्रीकृष्ण रुक्मणि के विवाह की झांकी ने सभी को खूब आनंदित किया। रुक्मणि विवाह के आयोजन ने श्रद्धालुओं को झूमने पर मजबूर कर दिया। मुख्य यजमान दीनदयाल कुशवाहा है कथा व्यास पंडित मनीष आंनद शास्त्री महाराज ने भागवत कथा के महत्व को बताते हुए कहा कि जो भक्त प्रेमी कृष्ण-रुक्मणि के विवाह उत्सव में शामिल होते हैं।
उनकी वैवाहिक समस्या हमेशा के लिए समाप्त हो जाती है। उन्होंने बताया कि रुक्मणि विदर्भ देश के राजा भीष्म की पुत्री और साक्षात लक्ष्मी जी का अवतार थी। रुक्मणि ने जब देवर्षि नारद के मुख से श्रीकृष्ण के रूप, सौंदर्य एवं गुणों की प्रशंसा सुनी तो उसने मन ही मन श्रीकृष्ण से विवाह करने का निश्चय किया। रुक्मणि का बड़ा भाई रुक्मी श्रीकृष्ण से शत्रुता रखता था और अपनी बहन का विवाह चेदिनरेश राजा दमघोष के पुत्र शिशुपाल से कराना चाहता था। रुक्मणि को जब इस बात का पता चला तो उन्होंने एक ब्राह्माण संदेशवाहक से श्रीकृष्ण के पास अपना परिणय संदेश भिजवाया।
तब श्रीकृष्ण विदर्भ देश की नगरी कुंडीनपुर पहुंचे और वहां बारात लेकर आए शिशुपाल व उसके मित्र राजाओं शाल्व, जरासंध, दंतवक्त्र, विदु रथ और पौंडरक को युद्ध में परास्त करके रुक्मणि का उनकी इच्छा से हरण कर लाए। वे द्वारिकापुरी आ ही रहे थे कि उनका मार्ग रुक्मी ने रोक लिया और कृष्ण को युद्ध के लिए ललकारा। तब युद्ध में श्रीकृष्ण ने रुक्मी को पराजित कर द्वारिकापुरी में प्रवेश किया। तत्पश्चात श्रीकृष्ण ने द्वारिका में अपने संबंधियों के समक्ष रुक्मणि से विवाह किया। इस मौके पर कथा प्रांगण को भव्यता दी गई थी कथा सुनने आए भक्त भगवान की बारात में शामिल हुए और जमकर श्रीकृष्ण रूक्मणी का लुप्त उठाया इस अवसर पर आचार्य देवेंद्र कुमार पटेरिया शास्त्री द्वारा वेद मंत्रउच्चारण से रूक्मणी विवाह कराया इसके बाद सभी को प्रसाद का वितरण किया गया