newsनरेंदर मोदीविदेश

पीएम मोदी ने शहबाज शरीफ की मौजूदगी में आतंकवाद पर सुनाया,

SCO में बोले मोदी-कुछ देश आतंकवादियों को पनाह देते हैं पाकिस्तान पीएम शहबाज शरीफ भी SCO में थे मौजूद

पीएम मोदी ने मंगलवार को भारत शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन की मेजबानी की। इस दौरान उन्होंने आतंकवाद से लेकर शांति और विकास के मुद्दे पर बातचीत की। मोदी ने कहा कि भारत ने एससीओ में सहयोग के लिए पांच नए स्तंभ बनाए हैं- स्टार्टअप और इनोवेशन, पारंपरिक दवा, युवा सशक्तिकरण, डिजिटल समावेशन और साझा बौद्ध विरासत।
मोदी ने कहा कि पिछले दो दशकों में एससीओ एक महत्वपूर्ण मंच बनकर उभरा है। एशियाई क्षेत्र की शांति, समृद्धि और विकास के लिए हम इस क्षेत्र को न केवल एक विस्तारित पड़ोस के रूप में बल्कि एक विस्तारित परिवार के रूप में भी देखते हैं। मोदी ने आतंकवाद के मुद्दे पर पाकिस्तानी पीएम शहबाज शरीफ की मौजूदगी में खरी खोटी भी सुनाई। उन्होंने कहा ‘आतंकवाद क्षेत्रीय एवं वैश्विक शांति के लिए प्रमुख खतरा बना हुआ है। इस चुनौती से निपटने के लिए निर्णायक कार्रवाई आवश्यक है। आतंकवाद चाहे किसी भी रूप में हो, किसी भी अभिव्यक्ति में हो, हमें इसके विरुद्ध मिलकर लड़ाई करनी होगी। कुछ देश सीमा पार आतंकवाद को अपनी नीतियों के साधन के रूप में इस्तेमाल करते हैं। आतंकवादियों को पनाह देते हैं। एससीओ को ऐसे देशों की आलोचना में कोई संकोच नहीं करना चाहिए’

SCO अध्यक्ष के रूप में की मेहनत

मोदी ने आगे कहा कि पिछले दो दशकों में एससीओ पूरे यूरेशिया क्षेत्र में, शान्ति, समृद्धि और विकास के लिए एक महत्वपूर्ण प्लेटफार्म के रूप में उभरा है। इस क्षेत्र के साथ, भारत के हजारों वर्ष पुराने सांस्कृतिक और संबंध, हमारी साझा विरासत का जीवंत प्रमाण हैं।

एससीओ के अध्यक्ष के रूप में, भारत ने हमारे बहुआयामी सहयोग को नयी ऊंचाइयों तक ले जाने के लिए निरंतर प्रयास किये हैं। इन सभी प्रयासों को हमने दो मूलभूत सिद्धांतों पर आधारित किया है। पहला प्रयास है- ‘वसुधैव कुटुंबकम’ यानी पूरा विश्व एक परिवार है। ये सिद्धांत प्राचीन समय से हमारे सामाजिक आचरण का अभिन्न अंग रहा है और आधुनिक समय में ये हमारी प्रेरणा और ऊर्जा का स्रोत है। दूसरा- SECURE यानी, सिक्योरिटी, आर्थिक विकास, कनेक्टिविटी, एकता, संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान और पर्यावरण संरक्षण।

अफगानिस्तान के साथ अच्छे संबंध

पीएम ने कहा कि भारत और अफगानिस्तान के लोगों के बीच सदियों पुराने मैत्रीपूर्ण संबंध रहे हैं। पिछले दो दशकों में हमने अफगानिस्तान के आर्थिक और सामाजिक विकास के लिए योगदान दिया है। 2021 के घटनाक्रम के बाद भी हम मानवीय सहायता भेजते रहे हैं। यह आवश्यक है कि अफगानिस्तान की भूमि पड़ोसी देशों में अस्थिरता फैलाने या आतंकी विचारधाराओं को प्रोत्साहित करने के लिए प्रयोग न की जाए।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *