नए भारत के कोर्स किए जा रहे शुरू, साढ़े सात हजार कॉलेज में बनाई इनोवेशन काउंसिल
2047 में भारत के शिक्षा सेक्टर की प्रगति को आप किस तरह देखते हैं
भारत स्वतंत्रता के गौरवशाली 76 वर्ष मना रहा है। इन सालों में भारत की शिक्षा के क्षेत्र में हुए क्रांतिकारी बदलावों के बारे में आपका क्या कहना है? वहीं 2047 में भारत के शिक्षा सेक्टर की प्रगति को आप किस तरह देखते हैं?
अगर बदलाव की बात करें तो नई शिक्षा नीति एक क्रांतिकारी नीति है। इसमें कई तरह के बदलाव किए गए है। नेशनल क्रेडिट आधारित फ्रेमवर्क एक नया बदलाव है। ये पहले कभी नहीं हुआ। वोकेशनल स्टडीज पर फोकस किया गया है जिससे रोजगार के मौके बढेंगे। सब्जेक्ट्स के कॉम्बिनेशन में लचीलापन लाया गया है और इसे मल्टी-डिसिप्लिनरी बनाया गया है। नए सिस्टम में पूरा फोकस व्यवहार पर आधारित शिक्षा पर किया गया है। पहले हमारी शिक्षण पद्धति मैकाले आधारित थी उसमें बड़ा बदलाव नहीं हुआ था। हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जिन पंचप्राण की बात की है उनमें एक है भारतीयता के बारे में, भारतीय ज्ञान परंपरा के बारे में। नई शिक्षा पद्धति भारतीय ज्ञान परंपरा को ध्यान में रखकर बनाई गई है। सस्टेनेबिलटी पर फोकस किया गया है। क्लाइमेट चेंज पर फोकस दिया जा रहा है, अक्षय ऊर्जा पर ध्यान केंद्रित किया गया है। सबसे ज्यादा क्रिएटिविटी, इनोवेशन, इंटरप्रिन्योरशिप, आईडेशन पर जोर दिया गया है। अगले पच्चीस साल में अगर दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनना है तो नॉलेज आधारित इकोनॉमी बनना पड़ेगा। आईडियाज और इनोवेशन पर काम करना होगा। ऐसे विचारों पर काम करना होगा जिन्हें दुनिया अपनाए। नेशनल इनोवेशन इंडेक्स को अगर देखें तो 2014 में हम 81 रैंक पर थे अब 40 रैंक पर आ गया है। भारत दुनिया में एकमात्र देश है जिसने इतनी लंबी छलांग लगाई। हमको अगर दुनिया के शीर्ष दस- बीस देशों में आना होगा तो हमें इनोवेशन और आइडेशन पर बल लगातार देना होगा। अभी एजुकेशन में जो परिवर्तन हो रहा है वह सराहनीय है।
आपने कई मंचों से कहा है कि फ्यूचर जॉब्स चुनौतीपूर्ण होने वाली है? इससे आपका आशय क्या है? रोजगार मार्केट में किस तरह के बदलाव हो रहे हैं। एआई को लेकर भी लोगों के मन में शंकाएं हैं। इससे नौकरी पर क्या असर पड़ सकता है ?
एआई से कुछ पुराने जॉब्स कम होंगे लेकिन नई नौकरियां उससे अधिक खुलने वाली है। पहले 4.O की चर्चा होती है अब 5.0 आ गया है। यह रोबोटिक्स, एआई होगा। टेक्नोलॉजी लगातर बदल रही है। इसमें ह्यूमन इंटरेक्शन, ह्यूमन मशीन इंटरेक्शन,रोबोटिक्स में कई जॉब्स बनने वाले हैं। लोग मेटावर्स की तरफ जा रहे हैं। एआई, में वर्चुअल रिएलिटी, आगुमेंटेड रिएलिटी का कांबिनेशन होने वाला है। कंप्यूटर के आने पर भी ऐसा कहा गया था, मशीन के आने पर भी ऐसा कहा गया था कि अब मशीन नौकरियों को बदल देगी लेकिन ऐसा न हुआ। नौकरियां बढ़ी है, कम नहीं हुई है। हमें समझना होगा कि पुरानी नौकरियां के करने का तरीका बदला है। युवा पीढ़ी को इसके लिए तैयार करना होगा। उन्हें इसके लिए रिस्किल करना होगा।
जिस तरह से तेजी से टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में बदलाव हो रहे हैं तो किस तरह के नए कोर्सेज की मांग बढ़ेगी? पुराने कोर्सेज में किस तरह के बदलाव करने होंगे ? एआईसीटीई ने इस दिशा में इस तरह के कदम उठाए हैं ?
एआईसीटीई ने कोर्स में बदलाव पर काम करना शुरू कर दिया है। इंडस्ट्री और मांग के अनुसार कोर्स शुरू किए जा रहे हैं और पुराने कोर्सेज को प्रासंगिक बनाने की दिशा में काम चल रह है। कई ऐसे इमर्जिंग एरिया है जहां स्किल लोगों की काफी डिमांड है। साइबर सिक्योरिटी, एआई, ब्लॉकचेन, एआई, डाटा साइंस, रोबोटिक्स ऐसे ही सेक्टर है जहां लोगों की मांग के साथ भरपूर नौकरियां भी है। मेरा मानना है कि हमें लेटेस्ट सिलेबस लाना पड़ेगा। भारत को सेमीकंडक्टर हब बनाने के लिए हमने बीएलएफआई को 15000 से ज्यादा सीट के लिए अप्रूवल दिया है। इसके लिए डिग्री कोर्स, डिप्लोमा कोर्स, मैन्युफैक्चरिंग कोर्स के लिए हमने पीजी और यूजी के लिए 15000 कोर्सों को मंजूरी दी है। लॉजिस्टिक में हमने पीजी कोर्स अप्रूव किया है। एडवांस टेलीकम्युनिकेशन के लिए डिग्री कोर्स शुरू करने के लिए अप्रूवल दिया हैं। पुराने कोर्स को रि-लुक कर रहे हैं। हम न्यू इंडिया के लिहाज से कोर्स को सुधार रहे हैं।
उच्च शिक्षा में रूझान बढ़ा है लेकिन आशातीत नहीं है। बीटेक के छात्रों की संख्या बढ़ी है लेकिन उनके रोजगार बढ़ाने और सुनिश्चित करने के लिए क्या प्रयास किए जा रहे हैं ?
बीटेक के लिए हमने कंपलसरी इंटर्नशिप की है। हमने 26 लाख ऑनलाइन और ऑफलाइन इंटर्नशिप दी है। हम उस मामले पर बहुत काम कर रहे हैं। हम आउटकम बेस्ड लर्निंग पर फोकस कर रहे हैं। क्या आप सिर्फ रट्टा मार पढ़ाई नहीं कर रहे ?आपकी तार्किक क्षमता, समस्याओं को हल करने की काबीलियत कितनी बेहतर है इसकी परख होनी आवश्यक है? बच्चों के कांसेप्ट को मजबूत करने पर फोकस है। हमने परख स्कीम लांच की है। हमने हर कॉलेज को यह सुनिश्चित करने को कहा है कि पांच इंडस्ट्री के साथ आपका एमओयू हस्ताक्षरित होना जरूरी है। इससे इंडस्ट्री और एकेडमिक्स के संबंध मजबूत होंगे। 70000 के करीब एमओयू कॉलेज ने साइन किए हैं। इससे रोजगार बढ़ाने की दिशा में मार्ग प्रशस्त हुआ है। इन प्रयासों से हम छात्रों की नींव मजबूत करने के साथ उनके लिए रोजगार के मौके लगातार खोल सकेंगे।
जहां तक उच्च शिक्षा और शोध की बात है तो हम उस पर भी गंभीरता और सघनता से काम कर रहे हैं। पीएचडी, रिसर्च, एमटेक में रूझान बढ़ा है। हमने एआईसीटीई डॉक्टरल फेलोशिप शुरू की है। युवाओं के साथ फैकल्टी का भी रिसर्च की तरफ आगमन बढ़ा है। क्वालिटी इंप्रूवमेंट प्रोग्राम को रि-डिजाइन कर रीलांच किया है। हमने लोगों को प्रेरित किया है कि वह आईआईटी, एनआईटी और टॉप संस्थानों में जाकर इमर्जिंग एरिया में पीएचडी करें।
स्टॉर्टअप को बढ़ाने के लिए किस तरह के प्रयास किए जा रहे हैं? इनक्यूबेशन सेंटर को एआईसीटीई ने किस तरह से बल दिया है? वोकेशनल कोर्सेज को बढ़ाने को लेकर भी किस तरह की कोशिश की जा रही है ?
हमने स्टॉर्टअप को बढ़ाने को लेकर बड़ी स्कीम लांच की है। आईआईसी (इंस्टीट्यूशंस इनोवेशन काउंसिल) एक महती स्कीम है। हमने ये काउंसिल साढ़े सात हजार कॉलेज में खड़ी की है। इस इनोवेशन काउंसिल के द्वारा हम आईडिया को सपोर्ट कर रहे हैं। हम टीआरएल (टेक्नोलॉजी रेडीनेस लेवल) लेवल पर आईडिया को सपोर्ट कर रहे हैं। हमने इसे एक से दस लेवल पर आंका है। एक मतलब आईडिया है और दस नंबर इंडस्ट्री को ट्रांसफर करने के लिहाज से तैयार है। अभी तक हमारे विभिन्न कॉलेजों में पांच हजार से ज्यादा स्टॉर्टअप इंक्यूबेटर्स है। कभी भी पहले ऐसा नहीं हुआ था। अभी हमारे एजुकेशन संस्थान स्टॉर्टअप हब बनने जा रहे हैं।
हमारी एआईसीटीई संस्थान स्किल हब कैसे बने। हम इसके लिए स्किल मिनिस्ट्री के साथ मिलकर काम कर रहे हैं। शिक्षा मंत्री इस मामले में बड़ी ही सकारात्मक और कॉर्डिनेटेड एप्रोच के साथ काम कर रहे हैं। हम ये भी देख रहे हैं कि क्या इंफ्रास्ट्रक्चर का इस्तेमाल स्किल के लिए कैसे किया जा सकता है। मसलन किसी संस्थान में सुबह पढ़ाई होती है और शाम को उसका इस्तेमाल स्किल प्रोग्राम के लिए कर सकते हैं।
इनोवेशन का इकोसिस्टम कितना बदला है? युवाओं को इनोवेशन, आईडिएशन के लिए क्या सुझाव है ? इंजीनियरिंग में आने वाले नए छात्रों को बेहतर करने के लिए क्या परामर्श देंगे ?
जब हमने इनोवेशन पर काम करना शुरू किया तब तक बड़े संस्थानों में ही सीमित था। हम इसे टाइर-2 और टाइर-3 शहरोंमें लेकर गए। बच्चों का रूझान जॉब क्रिएशन की तरफ नहीं था, अब बढ़ा है। हैकेथॉन का कांसेप्ट पहले नहीं था लेकिन अब उसमें संवद्धि हुई है। बच्चे प्रॉब्लम सॉल्वर बने हैं। उनकी क्षमताओं को पंख लगे हैं। उसमें सतत विस्तार हो रहा है। हमारी कोशिश है कि बड़ी तादाद में ऐसे युवाओं की फौज खड़ी की जो नए आइडियाज पर काम कर सकें और भारत का नाम दुनिया में रोशन कर सकें। भारत दुनिया में ज्ञान का केंद्र रहा है इस छवि को लगातार मजबूत करते रहने की आवश्यकता है।
नए छात्रों को मेरा मशविरा है कि वह समस्याओं को हल करने वाला बनें। अपने माइंडसेट को इतना कुशाग्र बनाए कि समस्याओं का हल खुद तलाशने में सक्षम हो। लगातार सीखने की क्षमता आवश्यक है। लगातार स्किल मजबूत करने की लगन जरूरी है। जीवन पर्यंत सीखने की प्रवृत्ति और आदत बनानी होगी। इस माइंडसेट के लोगों की देश-दुनिया को आवश्यकता है। जीवन में सफल होने के लिए भी यह आवश्यक है।
2047 के भारत को आप कहां देखते हैं?
हमारे 100 साल पूरे होंगे तब भी हम सबसे युवा देश रहेंगे। तब तक दुनिया की पहली या दूसरी इकोनॉमी भारत बन चुका होगा। दुनिया के तमाम मुल्कों से लोग यहां पढ़ने आ रहे हैं और आने वाले समय में इसमें बढ़ोतरी होगी। यहां से प्रशिक्षित मानव संसाधन पूरी दुनिया में अपनी छाप छोड़ेगा। पहली और दूसरी इकोनॉमी बनने के लिए हमें इतनी आइडियाज बनाने होंगे जो पूरी दुनिया में लागू हो। अगले पच्चीस साल में हम ग्लोबल इनोवेशन हब बनेंगे। हमारे लोग दुनिया को टेक्नोलॉजी, प्रोडक्ट के साथ आइडियाज भी देंगे।