Punjab: HC ने अधिगृहित जमीन देने का आदेश दिया, NHAI के रुके काम पूरे होंगे; 13000 करोड़ रुपये की लागत से एक्सप्रेसवे बनेंगे
पंजाब में एनएचएआई की रुकी हुई परियोजनाएं जल्द पूरी करने के लिए पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने डीजीपी को अधिगृहित भूमि का कब्जा दिलाने के लिए पुलिस सहायता सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है। 13000 करोड़ रुपये की विभिन्न परियोजनाओं का निर्माण होना है। साथ ही हाईकोर्ट ने भूमि अधिग्रहण अधिनियम में भी संशोधन करने का सुझाव दिया है।
HIGHLIGHTS
- पंजाब में NHAI के रुके प्रोजेक्ट होंगे पूरे
- HC ने अधिगृहित भूमि दिलाने का दिया निर्देश
- 13000 करोड़ की लागत से बनेंगे कई एक्सप्रेसवे
कोर्ट में अधिग्रहण की पुक्रिया को दी थी चुनौती
एनएचएआई ने याचिका दाखिल करते हुए भारतमाला परियोजना के तहत मेमदपुर (अंबाला) – बनूर (आईटी सिटी चौक) – खरड़ (चंडीगढ़) गलियारे के लिए भूमि के संबंध में भूमि अधिग्रहण की पुक्रिया को चुनौती दी थी। एनएचएआई ने याचिका में कहा था कि वैधानिक प्रावधानों की अनदेखी करते हुए राज्य सरकार के अधिकारियों द्वारा बेहद अधिक मुआवजा तय किया जा रहा है।
इन एक्सप्रेसवे का निर्माण है लंबित
पंजाब में 13000 करोड़ रुपये की विभिन्न परियोजनाओं के बारे में जानकारी दी और बताया कि राशि जमा करने के बावजूद कब्जा नहीं दिया गया है। दिल्ली-कटरा एक्सप्रेसवे, लुधियाना रूपनगर से खरड़ हाईवे, लुधियाना-बठिंडा हाईवे इसी वजह से लंबित हैं।
हाईकोर्ट ने सुनवाई के दौरान हरियाणा व पंजाब के एजी, एसीएस रिवेन्यू, एनएचएआई के क्षेत्रीय अधिकारी और सड़क व परिवहन मंत्रालय के उप सचिव से एनएचएआई के भूमि का कब्जा लेने में आने वाली बाधाओं के मुद्दे को हल करने में सहायता मांगी।
एनएचएआई के रुके प्रोजेक्ट जल्द होंगे पूरे
एनएचएआई संबंधित अधिकारी को अधूरी/लंबित परियोजनाओं की सूची उपलब्ध कराएं और मुख्य सचिव सक्षम प्राधिकारी को एक सप्ताह के भीतर कार्रवाई करने का निर्देश जारी करें।
इसके साथ ही यह सुनिश्चित किया जाए कि दो महीने के भीतर बाधा मुक्त कब्जा एनएचएआई को दिलाया जाए। ऐसे मामलों में अधिकारियों को जरूरत पड़ने पर पुलिस की सहायता ली जाए और एनएचएआई को सहायता न मिलने पर पंजाब के मुख्य सचिव से संपर्क करें।
हाईकोर्ट ने भूमि अधिग्रहण अधिनियम में संशोधन करने का दिया सुझाव
हाईकोर्ट ने एनएचएआई को 2013 के भूमि अधिग्रहण अधिनियम के अनुरूप एनएचएआई अधिनियम में उचित संशोधन करने का भी सुझाव दिया है। हाईकोर्ट ने कहा कि एनएचएआई अधिनियम में मध्यस्थता की प्रक्रिया का प्रावधान है जो भूमि अधिग्रहण में देरी का मुख्य कारण है।