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Special arrangements for children, pregnant and indigenous women in camps
स्वास्थ्य

शिविरों में बच्चों, गर्भवती और धातृ महिलाओं के लिए विशेष व्यवस्था

बाढ़ ग्रस्त क्षेत्रों में आंगनबाड़ी केन्द्रों के माध्यम  से कराया गया सर्वे गर्भवती महिलाओं को अस्पताल पहुंचाने की होगी व्यवस्था

 भागलपुर-

कोरोना संक्रमण को देखते हुए इस बार जिले में बाढ़ राहत शिविरों में रहने की विशेष व्यवस्था की गयी है। सामाजिक दूरी का पालन करने के लिए शिविरों की संख्या बढ़ायी गयी है। बच्चे, गर्भवती और धातृ महिलाओं को रखने के लिए अलग से व्यवस्था की गई है। आपदा प्रबंधन शाखा के प्रभारी सह वरीय उपसमाहर्ता विकास कुमार कर्ण ने बताया कि बाढ़ से पहले आंगनबाड़ी केन्द्रों के माध्यम से प्रभावित क्षेत्र के छह माह से छह साल तक के बच्चे, गर्भवती और धातृ महिलाओं के अलावा वैसी महिलाओं का सर्वे कराया गया है, जो तीन माह के अंदर मां बनने वाली है। जिला प्रोग्राम शाखा द्वारा आपदा प्रबंधन को सूची उपलब्ध करा दी गयी है। इन्हें बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का संकटग्रस्त समूह माना गया है। साथ ही पंचायतवार सूची तैयार की गयी है। 99 पंचायतों के अलावा शहरी क्षेत्र के निचले हिस्से के आठ आंगनबाड़ी केन्द्रों के क्षेत्र का सर्वे कराया गया है। ताकि बाढ़ से जो पंचायत प्रभावित होगा, वहां के राहत शिविरों में चिह्नित लोगों की तत्काल मदद की जा सके। इसके साथ ही राहत शिविरों में संकटग्रस्त समूहों के रहने की अलग से व्यवस्था की जाएगी। बच्चों को दूध सहित अन्य सुविधायें उपलब्ध होंगी। गर्भवती महिलाओं की जानकारी संबंधित स्वास्थ्य केन्द्रों को भी भेजी गयी है, ताकि समय से गर्भवती महिलाओं को प्रसव के लिए अस्पताल पहुंचाया जा सके। उन्होंने बताया कि सूची सभी सीओ को भेज दी गयी है। सीओ को जरूरत के अनुसार राहत सुविधायें उपलब्ध कराने का निर्देश दिया गया है। संकटग्रस्त समूहों पर विशेष ध्यान दिया जाएगा तथा गर्भवती महिलाओं को प्रसव से लिए तत्काल अस्पताल पहुंचाने की व्यवस्था होगी।  24 से अधिक होंगे राहत शिविरइस बार राहत शिविरों की संख्या 24 से अधिक होगी। पिछली बार इसकी संख्या 12 थी। छोटे कमरे में चार और बड़े कमरे में छह लोगों को रहने की व्यवस्था की जाएगी। इसे देखते हुए सभी सीओ को ऊंचे स्थानों पर अधिक से अधिक सरकारी भवनों को चिह्नित करने का निर्देश दिया गया है। सामुदायिक भोजन भी खुले में नहीं बनेगा। सरकारी स्कूल या पंचायत सरकार भवन में इसकी व्यवस्था की जाएगी। रहने की जगह पर सुरक्षा, निजिता खासकर महिलाओं, विधवा, विकलांगों के लिए व्यवस्था होगी। दरी चटाई की व्यवस्था की जाएगी। साथ ही रोशनी की भी विशेष व्यवस्था होगी। जिले के कई प्रखंड हैं बाढ़ प्रभावित क्षेत्रजिले के नवगछिया और कहलगांव प्रखंड बाढ़ से प्रभावित प्रखंड हैं। खासकर नवगछिया के इस्माइलपुर प्रखंड के लोगों को बारिश के मौसम में तीन महीने तक बाढ़ के कारण काफी परेशानी झेलनी पड़ती है। दियारा प्रभावित क्षेत्र के लोगों को मवेशियों के साथ ऊंचे स्थानों पर जाना पड़ता है। इसी तरह कहलगांव अनुमंडल के सदर और पीरपैंती प्रखंड के लोगों को मुसीबत झेलनी पड़ती है। खासकर रानीदियारा और टपुआ दियारा के लोग तीन महीने तक सुरक्षित क्षेत्र में रहने के लिए चले जाते हैं। इसी तरह सुल्तानगंज, नारायणपुर, और नाथनगर प्रखंड के लोग भी प्रभावित होते हैं। कोसी और गंगा से घिरा हुआ है भागलपुरजिले का नवगछिया अनुमंडल बुरी तरह से कोसी और गंगा की चपेट में है। हर साल इस इलाके के लोगों को बाढ़ की विभिषिका झेलनी पड़ती है। वहीं कहलगांव, पीरपैंती, नाथनगर और सुल्तानगंज प्रखंड के लोग गंगा की बाढ़ से प्रभावित होते हैं। जहां सभी प्रकार की आपदाओं के दौरान स्थापित किए जाने वाले राहत शिविरों में आपदा पीड़ितों के लिए शरण स्थल, भोजन, पेयजल, चिकित्सा सुविधा एवं स्वच्छता के संबंध में निर्धारित न्यूनतम मानदंड भी तय किया गया है।

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