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भोले बाबा के प्रति भक्‍तों की अटूट श्रद्धा :मंदिर पहुंचने वाले भक्‍त खुद को मान रहे हैं भाग्‍यवान

भोलेनाथ के भक्‍त हुए भावुक ‘ बाबाधाम में कदम रखते ही सांसारिक दुनिया के छूट रहे तार : अद्भुत नजारा है देवघर का :

देवघर के कंकड़-कंकड़ में शंकर है। पावन धरा पर कदम पड़ते ही रोम-रोम पुलकित हो जाता है। शिव भक्ति, बोल बम और जय बाबा बैद्यनाथ की जयकार, बाबा धाम की ओर बढ़ते कदम, पांव में छाले फिर भी चेहरे पर दर्द की तनिक भी रेखा नहीं, बस आंखों में प्यास कि भोलेनाथ के दर्शन हो जाएं। कुछ ऐसा ही दृश्य गुरूवार को कांवरिया पथ में दिख रहा था।

भोले बाबा के प्रति भक्‍तों की अटूट श्रद्धा

शहर में विश्वविख्यात श्रावणी मेला प्रारंभ हो गया है। मेला का आज चौथा दिन है। कांवड़ियों का प्रवाह दो दिन की अपेक्षा अब ज्यादा दिख रही है। शिव के प्रति अटूट श्रद्धा का सबसे पावन आंगन है बाबा बैद्यनाथ का प्रांगण। चाहे बारिश हो या धूप श्रद्धालु हर बाधा को चीरते हुए मंदिर प्रांगण की ओर आगे बढ़ते जा रहे हैं।

मंदिर पहुंचने वाले भक्‍त खुद को मान रहे हैं भाग्‍यवान

मंदिर में बोल बम बोल बम की गूंज हो रही है। मंदिर में प्रवेश करते ही सांसारिक दुनिया के तार अचानक टूट जाते हैं। घंटे की आवाज मन को सुकून देती है। हर चेहरे पर मंगल भाव है। देवघर में शिव से पहले शक्ति की पूजा होती है।

बंगाल से आए किशन कुमार कहते हैं, कितना पावन दिन है। सोचा नहीं था कि इतना निराला दरबार होगा और इतनी जल्दी पूजा कर लेंगे। सावन के पहला दिन जल उठाए थे सुल्तानगंज से गंगा नहाकर जलपात्र में जल लिए और बाबा से विनती किया था कि आसानी से जल चढ़ जाए सो बाबा ने सुन ली। अब और क्या चाहिए।

अमृत समान होता नीर

बाबा पर अर्पित होने वाला जल मंदिर प्रांगण में बने कुंड में गिरता है, भक्त उस नीर को ग्रहण करते हैं। उसे अमृत मानते हैं। भक्त उसे एक पात्र में सहेज भी रहे हैं। मंदिर में दिल्ली के राम सेवक सिंह अरघा से पूजा कर मंदिर की परिक्रमा कर रहे हैं। पूछने पर भक्ति भाव से रो पड़े।

बस इतना कह पाए कि कई तीर्थस्थल गए पर ऐसा दरबार कहीं नहीं। भक्तों की एक टोली मंदिर को निहार रही है। सबकी निगाहें मंदिर के शिखर पर है। सब पूछ रहे हैं कि यहां के मंदिर में त्रिशूल नहीं है, यह तो पंचशूल है। टोली के एक सदस्य किशोर बम ने कहा कि पहली बार आए हो ना, इसलिए सुनो यह एकमात्र ज्योतिर्लिंग हैं जिसके शिखर पर पंचशूल है।

एक भक्‍त दूसरे को दे रहा सहारा

सुल्तानगंज से उत्तर प्रदेश के चित्रकुट से एक नहीं कई लोग आए हैं। राजेंद्र सिंह डाक बम बनकर आए हैं। पांव में सूजन थी और तलवे में तकलीफ। पीड़ा थी पर उनको एक भक्त कांधे का सहारा देकर पार लगा रहा था। राजेंद्र बम ने कहा कि बुधवार की शाम पांच बजे जल उठाए थे। बोल बम बोल बम बोले जा रहे थे। उनको हिम्मत मिल रही थी कि वह बाबा के दरबार में पहुंच गए हैं, अब तो दर्शन हो जाएंगे

 

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