सुप्रीम कोर्ट आज महाराष्ट्र के सियासी संकट पर उद्धव ठाकरे की अगुआई वाले खेमे और एकनाथ शिंदे खेमे की याचिकाओं पर सुनवाई करेगा।
11 जुलाई को चीफ जस्टिस ने स्पीकर को उद्धव गुट के बागी विधायकों पर कार्रवाई करने से रोका था। साथ ही निर्देश दिया था कि बेंच गठित करके इसका समाधान किया जाएगा। सुप्रीम कोर्ट में 27 जून को पहली बार इस केस पर सुनवाई हुई थी।महाराष्ट्र के CM एकनाथ शिंदे ने बीते मंगलवार को शिवसेना पर दावा ठोकते हुए लोकसभा स्पीकर के सामने 12 सांसदों की परेड करा दी थी। शिंदे का दावा है कि शिवसेना के 19 में से 18 सांसदों का समर्थन उनके पास है। स्पीकर ओम बिड़ला ने भी बागी गुट के नेता एकनाथ शिंदे समर्थक सांसद राहुल शेवाले को लोकसभा में शिवसेना के नेता के तौर पर मान्यता दे दी। इसके अलावा शिवसेना की ही सांसद भावना गवली को चीफ व्हिप की नियुक्ति को भी मान लिया।सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद शिवसेना पर फैसला होगा। शिंदे गुट को अगर कोर्ट से राहत मिलती है, तो चुनाव आयोग जाएगी। हालांकि, शिवसेना पर दावा इतना आसान नहीं है। इसकी वजह शिवसेना का सांगठनिक स्ट्रक्चर है।
शिवसेना प्रमुख बालासाहेब ठाकरे ने 1976 में शिवसेना के संविधान का मसौदा तैयार किया। इस संविधान के अनुसार, यह घोषणा की गई थी कि सर्वोच्च पद यानी ‘शिवसेना प्रमुख’ के बाद 13 सदस्यों की कार्यकारी समिति, पार्टी को लेकर कोई भी निर्णय ले सकती है।राष्ट्रीय कार्यकारिणी में आदित्य ठाकरे, मनोहर जोशी, सुधीर जोशी, लीलाधर दाके, सुभाष देसाई, दिवाकर राउत, रामदास कदम, संजय राउत और गजानन कीर्तिकर शामिल हैं। इनमें से ज्यादातर अभी उद्धव के साथ ही हैं।