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The voices of women buzzing together, 'No more will tolerate violence'
राज्य

एक साथ गूंजी महिलाओं की आवाज, ‘अब और नहीं सहेंगे हिंसा’ की भरी हुंकार

• सहयोगी संस्था ने महिलाओं का किया क्षमतावर्धन
• घरेलू एवं लिंग आधारित हिंसा पर महिलाओं की बढ़ी समझ
• महिलाओं ने हिंसा के खिलाफ़ आवाज बुलंद करने का लिया संकल्प

पटना/ 12, अक्टूबर: नवीन तकनीकी विकास देश को प्रगति के पथ पर अग्रसर कर रहा है. कई स्तर पर बदलाव हो रहे हैं जो विकास की बुनियाद को मजबूती प्रदान करने का दावा भी कर रहे हैं. लेकिन इन दावों के बीच महिला सशक्तीकरण आज भी पानी में रुकी हुयी गाद की तरह है. एक तरफ ग्रामीण परिवेश में आज भी महिलाओं की शैक्षणिक एवं सामजिक स्तर चुनौतीपूर्ण है, वहीं इन चुनौतियों को घरेलू एवं लिंग आधारित हिंसा और भी बदतर बना देती है. ऐसी हालात में महिलाओं का इसके प्रति जागरूक करना काफी जरुरी है. इस दिशा में सोमवार को घरेलू एवं लिंग आधारित हिंसा पर कार्य कर रही सहयोगी संस्था ने बिहटा के मुसेपुर पंचायत के मुखिया कार्यालय में गाँव के चयनित महिलाओं को घरेलू एवं लिंग आधारित हिंसा पर क्षमतावर्धन करने के मकसद से प्रशिक्षण दिया. इस दौरान महिलाओं को घरेलू एवं लिंग आधारित हिंसा के विषय में जागरूक किया गया एवं उन्हें अपने अधिकारों को लेकर सजग रहने की बात बताई गयी.

हुंकार से बदलेगी तस्वीर:

सहयोगी संस्था की कार्यकारी निदेशक रजनी सहाय ने बताया कि वक़्त आ गया है जब महिलाएं एकजुट होकर घरेलू एवं लिंग आधारित हिंसा के खिलाफ हुंकार भरे. प्राचीन काल से ही कवि की कविता हो या लेखक के आलेख हो सभी जगह महिलाओं को सुंदरता की नुमाइश तक ही सीमित रखा गया. इसका ही कारण है कि महिलाओं के साथ रोज हो रहे यौन अपराध एक आम खबर की तरह हो चुकी है. उन्होंने बताया कि महिलाओं पर होने वाले किसी भी तरह के भेदभाव या हिंसा के पीछे महिलाओं की खामोश स्वीकृति ही वजह है. यदि महिलाएं ठान लें कि वह अपने ऊपर होने वाली किसी भी तरह की छोटी या बड़ी हिंसा के खिलाफ़ आवाज बुलंद कर सकती है तो ऐसी हिंसा की मजबूत बुनियाद उसी वक़्त से टूटनी शुरू हो जाएगी. महिलाओं को घरेलू एवं लिंग आधारित हिंसा की समझ नहीं है. अगर समझ भी है तो उन्होंने इसे स्वीकार कर लिया है. ऐसी परिस्थति में महिलाओं को घरेलू एवं लिंग आधारित हिंसा की बारीकियां बताना जरुरी हो जाता है एवं उन्हें एक ऐसी स्थिति में पहुँचाना जरुरी है जहाँ से वह अपने कर्तव्यों के साथ अधिकार को समझ सकें इस लिहाज से ऐसे प्रशिक्षण उनके लिए काफी महत्वपूर्ण साबित होते हैं . सहयोगी संस्था निरंतर महिलाओं के क्षमतावर्धन के लिएप्रशिक्षण आयोजित करती है ताकि महिलाओं के अंदर घरेलू एवं लिंग आधारित हिंसा की सिर्फ समझ ही नहीं विकसित हो बल्कि इसके खिलाफ उनके भीतर आवाज बुलंद करने की नेतृत्व क्षमता का भी विकास हो सके.

परिवर्तन के दौर में महिलाएं क्यों रहें पीछे:

सहयोगी संस्था के सेशन कोऑर्डिनेटर राजू पाल ने प्रशिक्षण के दौरान कहा कि आज देश बदल रहा है एवं प्रगति भी कर रहा है. इस बदलाव में महिलाओं की भी उतनी ही भूमिका है जितनी पुरुषों की है. देश का संविधान समानता के अधिकार का जिक्र करता है, जो सामान रूप से महिलाओं पर भी लागू होता है. घरेलू एवं लिंग आधारित हिंसा पर महिलाओं की चुप्पी इस समानता के अधिकार से उन्हें वंचित करने को मजबूर करते हैं. इस प्रशिक्षण के दौरान महिलाओं को घरेलू एवं लिंग आधारित हिंसा के हर पहलुओं की जानकारी दी गयी. इस दौरान यह भी देखा गया कि घरेलू एवं लिंग आधारित हिंसा को लेकर उनकी अपनी क्या राय है. उसके अनुसार इस विषय पर अधिक जानकारी दी गयी. उन्होंने बातया कि प्रशिक्षण समापन के बाद यह भी जानने की कोशिश की गयी कि घरेलू एवं लिंग आधारित हिंसा को लेकर उनकी कितनी समझ विकसित हो सकी है. प्रशिक्षण के बाद यह जानकर ख़ुशी भी हुयी कि घरेलू एवं लिंग आधारित हिंसा पर मिलकर मुखर होने की महिलाओं ने अपनी सहमति दी. प्रशिक्षण के दौरान सहयोगी की उन्नति रानी, धर्मेंद्र कुमार, बिंदु देवी, सुरेंद्र सिंह, रिंकी देवी, एवं निर्मला देवी भी शामिल हुईं।

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