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Vighnaraj Sankashti Chaturthi Day: इस दिन किया जाएगा विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी व्रत, जानें तिथि और पूजा

Ashwin Sankashti Chaturthi 2023 विघ्नराज संकष्टि चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की उपासना करने से और रात के समय चंद्रमा को अर्घ्य देने से साधक की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। भगनाव गणेश सनातन धर्म के प्रथम पूज्य देव हैं। गणेश जी कृपा से सभी कार्य बिना बाधा के पूरे होते हैं। इसलिए गणेश जी को अर्पित विघ्नराज संकष्टि चतुर्थी व्रत का महत्व और भी बढ़ जाता है।

 हिंदू पंचाग के अनुसार, आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि के दिन विघ्नराज संकष्टि चतुर्थी व्रत रखा जाता है। पूर्णिमा के बाद आने वाली कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी कहते हैं। यह दिन मुख्यतः भगवान गणेश की पूजा-अर्चना के लिए समर्पित है। इस दिन गणेश जी की विधि-विधान पूर्वक पूजा करने से व्यक्ति के जीवन से आ रही बाधाएं दूर होती हैं। ऐसे में आइए जानते हैं विघ्नराज संकष्टि चतुर्थी का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि।

विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी का महत्व (Ashwin Sankashti Chaturthi Importance)

आश्विन माह की चतुर्थी तिथि को विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी व्रत किया जाता है। इस दिन मुख्य रूप से भगवान गणेश की पूजा और व्रत आदि किए जाते हैं। साथ ही इस दिन चंद्र देव की पूजा का भी विशेष महत्व है। इस दिन पूरे श्रद्धा भाव से व्रत करने से व्यक्ति के जीवन में आ रहे सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। साथ ही इस व्रत को करने से व्यक्ति को सुख-समृद्धि का भी आशीर्वाद मिलता है।

विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी तिथि (Vighnaraj Sankashti Chaturthi 2023 Tithi)

आश्विन माह की चतुर्थी तिथि का प्रारम्भ 02 अक्टूबर 2023 सुबह 05 बजकर 06 मिनट से हो रहा है। वहीं, इसका समापन 03 अक्टूबर, मंगलवार के दिन सुबह 03 बजकर 41 मिनट पर होगा। ऐसे में विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी 02 अक्टूबर, सोमवार के दिन किया जाएगा।

जाने गणेश की जी पूजा विधि (Sankashti Chaturthi puja Vidhi)

संकष्टी चतुर्थी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत हो जाएं। इसके बाद भगवान की विधि-विधान के साथ भगवान गणेश की पूजा करें। गणपति जी का अभिषेक करें। उन्हें वस्त्र, जनेऊ, चंदन, लाल रंग के फूल, माला आदि अर्पित करें। साथ ही गणेश जी को मोदक या लड्डू का भोग लगाएं।

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